भरतपुर जिले में सात विधानसभा सीट हैं, जिसमें भाजपा के खाते में 5 और शेष 2 कांग्रेस पार्टी के कब्जे मे है.
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भरतपुर: प्रदेश में चुनावी महासमर शुरू हो चुका है. इसी के साथ सत्ताधारी पार्टी बीजेपी और कांग्रेस पार्टी के नेताओं के तूफानी दौरे अपनी रफ्तार पकड़ चुके हैं. पूर्वी राजस्थान के भरतपुर जिले में भी राजनीतिक हलचल तेजी से शुरू हो गई हैं. जिले में चुनाव आचार संहिता का ध्यान रखते हुए सभी नेताओं ने जनता के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज करानी शुरू कर दी है. वहीं चुनावों में टिकट के लिए पार्टी के पुराने चेहरों के साथ नए दावेदार भी नजर आने लगे हैं. गौरतलब है कि भरतपुर जिले में सात विधानसभा सीट हैं, जिसमें भाजपा के खाते में 5 और शेष 2 कांग्रेस पार्टी के कब्जे मे है.
जिले मे पहले से इन नेताओं की है धाक
जिले के राजनीतिक परिवारों की बात की जाए तो पूर्व विदेश मंत्री और किसी समय कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे नटवर सिंह का नाम सबसे पहले आता है. उनके पुत्र जगत सिंह वर्तमान में जिले की कामां विधानसभा से विधायक हैं. वह इससे पहले अलवर जिले से भी विधायक रह चुके हैं. इसके अलावा पूर्व राज्यपाल जगन्नाथ पहाडिय़ा के पुत्र संजय व ओप्रकाश भी कांग्रेस पार्टी की टिकट पर वैर विधानसभा की रिजर्व सीट से भाग्य अजमा चुके हैं लेकिन असफल रहे. इसी तरह पूर्व पशुपालन डेयरी राज्यमंत्री रहे हरि सिंह के पुत्र राजीव सिंह नौकरशाह हैं और नदबई विधानसभा से टिकट मांग रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के दूसरे नेता पूर्व मंत्री व सांसद रहे नत्थी सिंह के सुपुत्र अशोक सिंह पूर्व में भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष रह चुके हैं. ये भी नदबई से कांग्रेस की टिकट लेने के लिए भागदौड़ कर रहे हैं.
टिकट पाने की कोशिश में जुटे उम्मीदवार
विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद सभी पार्टी के नेता टिकट पाने की कोशिश में जुट गए हैं. सरकार में पर्यटन मंत्री और राजा रहे मान सिंह की पुत्री कृष्णेन्द्र कौर और दीपा के सुपुत्र दुष्यंत सिंह जनता के बीच जाकर अपनी मौजूदगी दर्ज करानी शुरू कर दी है ताकि पार्टी में टिकट को लकर उनकी दावेदारी मजबूत दो पाए. हालांकि अभी तक पार्टी में टिकट को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि नदबई विधानसभा की विधायक दीपा चुनाव नहीं लड़ीं तो वह पुत्र दुष्यंत को भाजपा की टिकट दिलवा सकती हैं.
लेकिन सूत्रों की मानें तो अगर पार्टी टिकट पर तैयार नहीं हुई तो दीपा स्वयं मैदान में बनी रह सकती हैं. बता दें कि दुष्यंत मां के कामकाज में हाथ बटाते हैं जिसके कारण उनकी विधानसभा में उपस्थिति बनी रहती है. हालांकि, उनकी मां के पुराने वफादार व पार्टी कार्यकर्ताओं से उनका तालमेल कम बैठ पाता है. इसको लेकर पर्यटन मंत्री दीपी भी चिंतित रहती हैं.
वहीं जिले के कद्दावर नेता और भाजपा सरकार में दो बार केबिनेट मंत्री रहे स्व.डॉ.दिगम्बर सिंह के पुत्र डॉ.शैलेष सिंह ने भी पिता के विधानसभा क्षेत्र डीग-कुम्हेर में काफी समय तैयारी शुरू कर दी है. वह लगातार क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बनाए हुए हैं. फिलहाल वह इस विधानसभा क्षेत्र से पार्टी टिकट के संभावित दावेदारों में मजबूत प्रत्याशी के रूप में दिख रहे हैं.
दूसरी ओर जिले के दिग्गज नेता और डीग-कुम्हेर से विधायक विश्वेन्द्र सिंह के सुपुत्र अनिरुद्ध सिंह का भी नाम राजनीति में बीच-बीच चर्चा में बना रहता है. हालांकि, उनकी तरफ से राजनीति में अभी तक कोई रूचि नहीं दिखाई गई है. इसके अलावा वह ज्यादातर समय देश से बाहर ही रहते हैं. वह सार्वजनिक कार्यक्रमों में कभी कभार ही नजर आते हैं. कुछ समय पहले विधायक सिंह के साथ एक कार्यक्रम में वह नजर आए थे.
वहीं पन्द्रह साल से लगातार भरतपुर शहर के विधायक विजय बंसल के पुत्र वैभव बंसल भी राजनीतिक मंच पर कभी-कभार ही दिखाई देते हैं. हालांकि, पिता के पूर्व के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कामकाज देखा था लेकिन वह सक्रिय राजनीति में अभी तक नहीं आए हैं. वह ज्यादातर समय परिवार के व्यवसाय को देते हैं. हालांकि माना जा रहा है कि इस चुनाव में कुछ दिग्गज रिटायर्ड हो सकते हैं और उनके स्थान राजनीति की कमान अनके सुपुत्र संभाल सकते हैं. राजनीति के नई पौध ने मैदान में ताल ठोकना शुरू कर दिया है. लेकिन देखना है कि राजनीति की इन नई पौध पर दोनों राजनीतिक पार्टियों कितना भरोसा जताती हैं.