अयोध्या के राम मंदिर निर्माण में लगेगा बंशी पहाड़पुर का सफेद पत्थर, जानिए खासियत
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अयोध्या के राम मंदिर निर्माण में लगेगा बंशी पहाड़पुर का सफेद पत्थर, जानिए खासियत

राम मंदिर अयोध्या के लिए करीब दो दशक पूर्व पत्थर तराशने का काम शुरू किया गया था. इसके लिए पहाड़पुर क्षेत्र के पत्थर व्यवसायी महेश गोयल ने राम मंदिर को पत्थर सप्लाई की थी. 

 इस पत्थर में न तो सीलन आती है और न ही यह चटकता है.

देवेंद्र सिंह, भरतपुर: मुगलकाल से लेकर आज तक बनने वाले विशाल भवन, मंदिर, मकबरा, दरगाह के साथ ही सरकारी भवनों में अपनी उत्कृष्टता का बेजोड़ नमूना यहां के पत्थरों ने पेश किया है. जी हां, भरतपुर के रुदावल क्षेत्र के बंशी पहाड़पुर के सफेद पत्थर को एक बार देश के महत्वपूर्ण एवं जन-जन की आस्था के केंद्र अयोध्या स्थित बनने वाले राम मंदिर में अपनी पहचान पेश करने का मौका मिलेगा.

पिछले कई दशक से भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए चल रही अटकलों ने शनिवार को सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय आते ही विराम लगाते हुए आमजन को सुकून दिया. वहीं सबसे अधिक खुशी भरतपुर जिले के बयाना, रुदावल और बंशी पहाड़पुर क्षेत्र में सैंड स्टोन से जुड़े लोगों को मिली है. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होते ही पत्थर व्यवसाय से जुड़े लोगों में अधिक खुशी छा गई, जिसका कारण इस मंदिर के लिए बड़े स्तर पर पत्थर की मांग एवं पूर्ति करना है.

देश के बड़े आस्था स्थल के लिए पहाड़पुर का पत्थर ही क्यों?
देश की आस्था एवं हाई प्रोफाइल रुप से अहम अयोध्या मंदिर के निर्माण को लेकर भरतपुर जिले के बंशी पहाड़पुर स्थित खदानों के पत्थर को पसंद किए जाने का कारण जाना तो पता चला कि यहां का पत्थर एक विशेष किस्म का है. यहीं कारण है कि देश में दिल्ली का सर्वोच्च न्यायालय, राष्ट्रपति भवन, लालकिला, अक्षरधाम मंदिर सहित प्राचीन भवन, फतेहपुर सीकरी का बुलन्द दरवाजा, आगरा का लाल किला, भरतपुर के गंगा मंदिर, लक्ष्मण मंदिर और जामा मस्जिद, जयपुर का विधानसभा भवन सहित विदेशों में अनेक विशाल मंदिर निर्माण में इसी पत्थर को लगाया गया है. यह पत्थर अधिक समय तक टिकाऊ है. वहीं इस पत्थर के अलावा बेहतर तरीके की गढ़ाई और नक्काशी किसी दूसरे पत्थर से भी कम नहीं है. इस पत्थर में न तो सीलन आती है और न ही यह चटकता है. इसी को आधार बनाकर इस पत्थर का चयन राम मंदिर के लिए किया गया.

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दो दशक पूर्व पहाड़पुर से हुई थी सप्लाई
राम मंदिर अयोध्या के लिए करीब दो दशक पूर्व पत्थर तराशने का काम शुरू किया गया था. इसके लिए पहाड़पुर क्षेत्र के पत्थर व्यवसायी महेश गोयल ने राम मंदिर को पत्थर सप्लाई की थी. व्यवसायी की मृत्यु होने के बाद यहां से पत्थर की सीधी सप्लाई बंद हो गई है और पहाड़पुर का पत्थर अप्रत्यक्ष रुप से अयोध्या भेजा जाता रहा है. जानकारों के अनुसार, पहाड़पुर क्षेत्र से निकलने वाला सैंड स्टोन सीधे ही बयाना स्थित रीको में बिकने जाता है, जहां से पत्थर की कटिंग कर ब्लॉक के रुप में दूसरे स्थानों के लिए बेचा जाता है. बयाना रीको से भी पत्थर की सप्लाई सिरोही के पिंडवाड़ा में स्थित कार्यशालाओं में राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थर गढ़ाई एवं नक्काशी का काम किया जाता है. पहाड़पुर और बयाना क्षेत्र से राम मंदिर के लिए सीधे तौर पर पिछले करीब डेढ दशक से कोई सप्लाई नहीं हो पा रही है.

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मंदिर निर्माण को अभी चाहिए पौने दो लाख घन मीटर पत्थर
प्रस्तावित राम मंदिर को लेकर भले ही वर्षों से पत्थर तराशी एवं नक्काशी का काम चल रहा है लेकिन पूरे मंदिर निर्माण के लिए आवश्यक पत्थर के मुकाबले अभी आधा पत्थर नहीं पहुंच सका है. ऐसी स्थिति में जहां मंदिर बनने की बाधाएं दूर होने पर आमजन अब मंदिर बनने का इंतजार कर रहा है, वहीं पत्थर कारोबार से जुड़े लोग इस क्षेत्र में पत्थर की मांग बढ़ने की आशा को लेकर खुश हैं. जानकारों के अनुसार, अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर का निर्माण तीन तल का होगा, जिसके लिए करीब तीन लाख घन मीटर पत्थर की जरुरत होगी. इसके लिए दो तल बनाने को आवश्यक सवा लाख घन मीटर पत्थर की पूर्ति हो चुकी है और नक्काशी एवं गढ़ाई का काम भी पूरा हो चुका है. मंदिर के ऊपरी हिस्से के निर्माण के लिए आवश्यक करीब पौने दो लाख घन मीटर पत्थर की पूर्ति बंशी पहाड़पुर इलाके से की जाएगी. इतनी बड़ी मात्रा में पत्थर की जरुरत होने पर इस क्षेत्र में पत्थर व्यवसाय से जुड़े लोगों का जहां रोजगार मिलेगा, वहीं नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे.

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पत्थर आपूर्ति में एनवायरमेंट क्लीयरेंस नहीं मिलना बन सकती है बड़ी बाधा़
देश-विदेश में खयाति प्राप्त पहाड़पुर के सैंड स्टोन की छोटे स्तर पर भले ही पत्थर की निकासी हो रही है लेकिन राम मंदिर जैसे बडे प्रोजेक्ट के लिए इतनी बड़ी मात्रा में पत्थर की पूर्ति करना, इस क्षेत्र की खदानों के लिए एनवायरमेंट क्लीयरेंस नहीं बनना बड़ी बाधा पैदा कर सकता है. पत्थर व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि पहाड़पुर क्षेत्र में खनिज विभाग की करीब 65 से 70 खानें हैं, जिनकी विभाग ने लीज दी हुई है. इन खदानों में बेहतर श्रेणी का सफेद पत्थर निकलता है लेकिन इन खदानों को पिछले चार साल से एनवायरमेंट क्लीयरेंस नहीं मिल सका है. प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से मिलने वाले इस क्लीयरेंस के बिना चार साल से यहां खनन कार्य ठप जैसी स्थिति में है. खनिज विभाग की ओर से जारी लीजधारक क्लीयरेंस के अभाव में जहां खानें चालू कराने के लिए भरतपुर से दिल्ली तक अधिकारियों एवं नेताओं के यहां गुहार लगाकर थक चुके हैं. वहीं लीजधारकों को चार साल से बिना पत्थर निकाले लाखों रुपये तिमाही डैडरेंट (लीज किराए) के रुप में खनिज विभाग को जमा कराने पड़ रहे हैं.

क्या कहना है पत्थर व्यवसायियों का
पत्थर व्यवसायी ओमप्रकाश शर्मा का कहना है कि पहाड़पुर क्षेत्र का पत्थर बेहतर है और नक्काशी युक्त मंदिर एवं भवनों में इसका प्राथमिकता से चयन किया जाता है. वहीं व्यवसायी हरिओम सिंह का कहना है कि पहाड़पुर क्षेत्र की खदानें कई साल से प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के क्लीयरेंस के बिना बंद हैं. सरकार इन खानों का रेग्यूलाइजेशन करे तो इस क्षेत्र से बेहतर स्तर के पत्थर निकासी शुरू हो सकेगी और देश के प्रतिष्ठित राम मंदिर निर्माण में पहाड़पुर का पत्थर अपनी पहचान कायम कर सकेगा.

 

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