भरतपुर की एक बच्ची ने कायम की हौसले की नई मिसाल, जानिए कैसे
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भरतपुर की एक बच्ची ने कायम की हौसले की नई मिसाल, जानिए कैसे

हादसे के 9 साल बाद आज प्रीती गांव के स्कूल में सामान्य बच्चों के साथ पढ़ने जाती है.

यह बच्ची बड़ी होकर बिजली विभाग में अफसर बनना चाहती है

भरतपुर: पॉजिटिव सोच और हौसले की मिसाल है राजस्थान के भरतपुर की एक बच्ची. भरतपुर में वैर तहसील के गांव ललिता मूडिया में प्रीति नाम की बच्ची के दोनों हाथ बिजली विभाग की लापरवाही में चले गए. अब यही बच्ची बड़ी होकर बिजली विभाग में अफसर बनना चाहती है ताकि कोई और ऐसे हादसा का शिकार न हो. प्रीति फिलहाल 10वीं क्लास में पढ़ रही है. 

बात साल 2009 की है. प्रीति अपने दोस्तों के साथ खेल रही थी. तभी जमीन पर पड़े ट्रांसफॉर्मर से उसके हाथ छू गए. इससे उसके दोनों हाथ बुरी तरह झुलस गए. डॉक्टरों ने कहा कि अगर प्रीति को जिंदा रखना है तो उसके दोनों हाथ काटने होंगे. हाथ काट दिए गए. इस हादसे के बाद प्रीती दिव्यांग बन गई लेकिन उसका दिव्यांग का प्रमाण पत्र आजतक नहीं बन सका और ना ही इस हादसे के बाद बिजली निगम ने उसे कोई मदद दी. ऐसे हादसों के बाद अक्सर अच्छे-अच्छे लोगों की हिम्मत टूट जाती है. लेकिन प्रीति ने हार नहीं मानी. 

हाथ नहीं तो क्या पैर तो हैं 

हादसे के 9 साल बाद आज प्रीती गांव के स्कूल में सामान्य बच्चों के साथ पढ़ने जाती है. अपने पैरों से ही क्लास में पढ़ाई करती है. घर पर अपना होमवर्क करती है. प्रीति पैरों से ही खाना पीना भी करती है. प्रीती के स्कूल के शिक्षक महावीर मीणा भी उसकी तारीफ करते हैं और बताते हैं कि प्रीती एक होशियार लड़की है जो अपनी हिम्मत और जज्बे से एक दिन सबका नाम रोशन करेगी. प्रीति कहती है कि वह पढ़ लिखकर अब बिजली निगम की अफसर बनना चाहती है. प्रीति बताती है कि जब वो अफसर बन जाएगी तो जमीन पर ट्रांसफार्मर नहीं रखे जाएं, इसकी व्यवस्था करेगी. प्रीति की मां वेदवती और पिता कीर्ति गोय का कहना है कि प्रीति घर में भी मन लगाकर पढ़ाई करती है. 

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