राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल की व्यवस्था का BJP ने किया विरोध, केवल 6 विधायक रहे मौजूद
बता दें कि प्रश्नकाल को लेकर इस बार स्पीकर डॉक्टर सीपी जोशी ने नई व्यवस्था दी है. इसके तहत प्रश्नकाल में पूरक प्रश्न पूछने का अधिकार सिर्फ मूल प्रश्न कर्ता को ही होगा.
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जयपुर: राजस्थान विधानसभा में बुधवार को बीजेपी ने सदन से बाहर रह कर अपना विरोध जताया. यह विरोध आसन से स्पीकर की व्यवस्था के खिलाफ था. मामला पूरक प्रश्न से जुड़ा हुआ है. दरअसल स्पीकर ने व्यवस्था दी है कि प्रश्नकाल में मूल प्रश्न कर्ता के अलावा दूसरे किसी विधायक को पूरक प्रश्न पूछने की इजाजत नहीं होगी और यही बात बीजेपी को अखर रही है. विरोध जताने के लिए गुरुवार को प्रश्नकाल में बीजेपी की केवल वे विधायक ही सदन में पहुंचे जिन्होंने आज सवाल लगाया था.
बता दें कि प्रश्नकाल को लेकर इस बार स्पीकर डॉक्टर सीपी जोशी ने नई व्यवस्था दी है. इसके तहत प्रश्नकाल में पूरक प्रश्न पूछने का अधिकार सिर्फ मूल प्रश्न कर्ता को ही होगा. इसके अलावा अन्य कोई विधायक अगर सूचीबद्ध सवाल पर पूरक प्रश्न करना चाहता है तो उसे इसकी इजाजत नहीं होगी. पिछले कुछ दिनों में प्रश्नकाल के दौरान आए सवालों में बीजेपी के विधायकों ने पूरक प्रश्न पूछने की कोशिश की, लेकिन इजाजत नहीं मिलने के चलते बीजेपी को अब यह व्यवस्था अखरने लगी है. प्रमुख विपक्षी दल के नाते बीजेपी का कहना है कि इस व्यवस्था से जनहित के कई मुद्दे चर्चा से अछूते ही रह जाते हैं और सरकार बचने के लिए गली निकाल लेती है.
बीजेपी के इस रवैए पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं. उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी कहते हैं विधानसभा में अध्यक्ष की व्यवस्था सर्वोपरि होती है और इसे सभी को मानना होता है. इस मामले में राजस्व मंत्री हरीश चौधरी कहते हैं कि प्रश्नकाल के दौरान सदन से बाहर रहकर विपक्ष अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं कर रहा. उन्होंने कहा कि जनता ने जिन उम्मीदों के साथ विपक्ष को भेजा था ऐसे तो वे भी पूरी नहीं हो पाएंगी.
वहीं, सरकार के तर्कों पर बीजेपी के अपनी दलील है. बीजेपी विधायक सतीश पूनिया कहते हैं कि लोकतंत्र में विरोध जताने का सभी को अधिकार है और उनकी आवाज दबाए जाने के खिलाफ वे लोकतांत्रिक तरीके से विरोध जता रहे हैं. पुनिया ने कहा कि बीजेपी के विधायकों ने प्रश्नकाल के दौरान 'ना पक्ष लॉबी' में बैठकर सदन की कार्यवाही देखने का फैसला इसीलिए किया. बीजेपी विधायक अशोक लाहोटी कहते हैं कि जब कोई सवाल प्रश्नकाल में सूचीबद्ध हो जाता है तो वह हाउस की प्रॉपर्टी हो जाता है ऐसे में पूरक प्रश्न पूछने की इजाजत होनी चाहिए.
बीजेपी का इस रवैये पर सवाल उठाते हुए सरकार के उप-मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी कहते हैं कि बीजेपी ने 2 दिन पहले ही प्रश्नकाल के दौरान बाहर रहने का फैसला कर लिया था, तो फिर इस फैसले को लागू करने में 2 दिन की देरी क्यों की? इसके साथ ही कांग्रेस का सवाल यह भी है कि जब सर्वदलीय बैठक में अध्यक्ष ने साफ कर दिया था कि प्रश्नकाल में इस बार से नई व्यवस्था लागू रहेगी तब सर्वदलीय बैठक में बीजेपी ने अपना एतराज दर्ज क्यों नहीं कराया?
पूरक प्रश्न को लेकर स्पीकर की व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और उप नेता राजेंद्र राठौड़ की अगुवाई में बीजेपी के विधायक स्पीकर से मुलाकात भी कर चुके हैं. हालांकि सीपी जोशी के रवैये को देखकर अभी नहीं लगता कि जल्द इस मामले में बर्फ पिघल जाएगी. ऐसे में बीजेपी अपनी आगे की रणनीति पर भी मंथन कर रही है.
(इनपुट-अंकित तिवारी, भरतराज, शशि मोहन)
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