चंबल नदी के जलस्तर के कारण गांववालों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. चंबल तटवर्ती अंधियारी गांव लगभग आधा खाली हो चुका है.
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धौलपुर: चंबल नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण तटवर्ती गांव में ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. बढ़ते जलस्तर के कारण पानी अब लोगों के घरों में प्रवेश करने लगा है. जिसके कारण ग्रामीण अपनी मवेशियों व खाने-पीने की वस्तुओं के साथ अन्य जरूरी सामान को लेकर ट्रैक्टर, ट्यूब आदि की मदद से जान हथेली पर रखकर खुद को बचाने के साथ सामान को सुरक्षित जगह पर पहुंचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं.
ग्रामीणों ने बताया कि उनकी मदद के लिए प्रशासन ने कोई भी व्यवस्था नहीं की है. जिसके कारण उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. चंबल तटवर्ती अंधियारी गांव लगभग आधा खाली हो चुका है. वहीं, बसई घियाराम के करीब 30-40 लोगों ने नाव के सहारे अपने स्तर पर चंबल के तटवर्ती गांव दगरा-बरसला, हेतसिंह का पुरा, खोड़ आदि गांव में पहुंचकर पानी से प्रभावित लोगों के घरों के सामान को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में उनकी मदद की.
साथ ही, उनके लिए खाने-पीने सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं का इंतजाम किया. हालांकि प्रशासन की तरफ से नियुक्त हल्का पटवारी व चिकित्साकर्मी बढ़ते जल स्तर पर पल-पल की निगरानी बनाए हुए हैं. आर. सी. एच.ओ.डॉ. शिव कुमार शर्मा ने बताया कि मौसमी बीमारियों से बचने के लिए चिकित्सा विभाग द्वारा लोगों से साफ-सफाई के साथ पानी को उबालकर पीने की सलाह दी गई है. साथ ही ऐसी महिलाएं जो गर्भवती हैं. उनकी भी जानकारी जुटाई जा रही है. जिससे उन्हें समय रहते सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा सके.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को ही बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने के लिए सीएमओ में एक हाईलेवल बैठक बुलाई थी. बैठक में सीएम गहलोत ने सबसे ज्यादा बारिश से प्रभावित इलाकों में सरकार की ओर से चलाए जा रहे राहत बचाव कार्यों की समीक्षा की. जलभराव के हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने तत्काल राहत कार्य शुरू करने के अधिकारियों को निर्देश दिए थे. साथ ही, बारिश प्रभावित इलाकों में मुख्यमंत्री ने एसडीआरएफ और अन्य राहत एजेंसियों को भेजने के आदेश भी दिए.
साथ ही, सीएम गहलोत ने निर्देश दिए हैं कि धौलपुर में आवश्यकता होने पर प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए. बारिश प्रभावित जिलों के प्रभारी सचिव को हालात का जायजा लेने और राहत कार्यों की निगरानी के भी निर्देश दिए थे. वहीं, इस बैठक में आपदा प्रबंधन मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल, मुख्य सचिव डी बी गुप्ता, शासन सचिव जल संसाधन और शासन सचिव आपदा प्रबंधन समेत तमाम अधिकारी मौजूद थे.