करौली में टाइगर की मूवमेंट से डर में जी रहे लोग, बच्चों का स्कूल जाना भी हुआ बंद!
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करौली में टाइगर की मूवमेंट से डर में जी रहे लोग, बच्चों का स्कूल जाना भी हुआ बंद!

दुर्गेसीघटा निवासीयो ने बताया कि वन विभाग की टीम इलाके में घूम तो रही है, एक दिन पहले भी टाइगर के पहले पगमार्क नजर आए, उसके बाद टाइगर भी नजर आया.

फाइल फोटो

करौली: जिला मुख्यालय के समीप दुर्गेसी घटा इलाके में चार दिन पहले टाइगर के हमले में चरवाहे की मौत और उसके बाद से क्षेत्र में टाइगर के मुवमेंट से लोगों की नींद उड़ गई है. वहीं अधिकांश बच्चों का स्कूल जाना भी बंद हो गया. इसके चलते ग्रामीणों के कामकाज प्रभावित हो गए हैं. दुर्गेसीघटा और नाहरदह इलाके में ग्रामीण टाइगर के चलते दहशत में नजर आ रहे हैं.  

ग्रामीणों ने बताया कि चार दिन से उनकी नींद उड़ी हुई हैं. बच्चों का स्कूल जाना भी बंद हो गया है. जरुरी कामकाज के लिए जाना मुश्किल हो गया है. अकेला व्यक्ति रास्ते पर जाने में कतराने लगा है. सामूहिक रूप से लोग करौली सहित आसपास के इलाके में आ जा रहे हैं. गौरतलब है कि इन इलाकों के बीच घना जंगल और गहरी खाई है. इसी एक खाई में टाइगर ने चरवाहे पर हमला किया था. 

दुर्गेसीघटा निवासीयो ने बताया कि वन विभाग की टीम इलाके में घूम तो रही है, एक दिन पहले भी टाइगर के पहले पगमार्क नजर आए, उसके बाद टाइगर भी नजर आया. इससे लोगों में भय बना हुआ है और लोग परेशान हैं. बच्चें स्कूल नहीं जा पा रहे. खेतों से भी शाम ढलने से पहले ही लोग घरों में पहुंच जाते हैं. वहीं समीप के नाहरदह इलाके की महिला दुर्गी ने भी पीड़ा बयां करते हुए कहा कि चार दिन हो गए. 

ना तो चैन से सो पा रहे हैं और ना ही कहीं आ-जा पा रहे हैं. हमेशा भय बना रहता है. जब तक टाइगर यहां से चला नहीं जाता, सुकून नहीं मिलेगा. नाहरदह के ही कृष्णबल्लभ बोला कि टाइगर के डर से बाजार जाना भी बंद हो गया है. बाघ के डर से नाहरदह के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में ताला लटका नजर आया. ग्रामीण बोले कि अध्यापक तो आया, लेकिन टाइगर के भय से बच्चों को स्कूल नहीं आने दिया जा रहा. स्कूल में करीब 40-50 बच्चे अध्ययनरत हैं. इसी प्रकार दुर्गेसीघटा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में भी आसपास के बच्चे ही स्कूल पहुंचे. विद्यालय में 29 बच्चों में से आधे बच्चे ही नजर आए.

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