राजस्थान: 3 महीने से राशन कार्ड की पोर्टेबिलिटी बंद होने से हजारों उपभोक्ता परेशान
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राजस्थान: 3 महीने से राशन कार्ड की पोर्टेबिलिटी बंद होने से हजारों उपभोक्ता परेशान

पोर्टेबिलिटी बंद होने के बाद शहर में हजारों उपभोक्ताओं के राशन की दुकान बदल गई. व्यवस्था बदलने के बाद में उपभोक्ताओं को अपनी पसंद के दुकानदार से गेहूं लेने पर रोक लग गई.

लोगों द्वारा गेहूं न ले पाने से गेहूं का वितरण प्रति माह तक कम हो गया है.

जयपुर: राजस्थान में 26 हजार राशन की दुकानों पर मिलने वाला गरीब का निवाला धीरे-धीरे गायब होता जा रहा है. एक रुपए किलो गेहूं देने के लिए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की राशन कार्ड (एनएफएसए) पोर्टेबिलिटी तीन महीने से बंद होने से उपभोक्ता को गेहूं लेने में परेशानी हो रही है. बड़ी संख्या में उपभोक्ता गेहूं लेने से हर महीने वंचित हो रहे हैं या उन्हें गेहूं लेने के लिए घर से दूर किसी राशन दुकान पर जाना पड़ा है.

पोर्टेबिलिटी बंद होने के बाद शहर में हजारों उपभोक्ताओं के राशन की दुकान बदल गई. व्यवस्था बदलने के बाद में उपभोक्ताओं को अपनी पसंद के दुकानदार से गेहूं लेने पर रोक लग गई. इससे हजारों उपभोक्ताओं को फरवरी-मार्च में गेहूं लेने के लिए एक से दूसरी दुकान में चक्कर लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसके बाद उपभोक्ताओं करे डीएसओ ऑफिस में जाकर मूल दुकान से राशन के गेहूं लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करना पड़ा. फिर कहीं उपभोक्ताओं को मूल दुकानों से गेहूं देने की व्यवस्था शुरू की गई. लेकिन कई उपभोक्ता अब भी इस व्यवस्था के बाद से गेहूं लेने से वंचित हैं. उपभोक्ता अब भी एक से दूसरी दुकान में गेहूं लेने के लिए चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन इसी बीच खबर आई कि 15 मई के बाद में वापस व्यवस्था में बदलाव होगा.

इससे बड़ी संख्या में लोगों द्वारा गेहूं न ले पाने से गेहूं का वितरण प्रति माह तक कम हो गया है. अब मार्च से पोर्टेबिलिटी सुविधा बंद है. मार्च के पहले सप्ताह में चुनिंदा श्रेणियों के उपभोक्ताओं को एक रुपए प्रति किलो के हिसाब से गेहूं देने की सुविधा शुरू करने के लिए ई पीडीएस सॉफ्टवेयर में बदलाव किया गया था. तब से राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी की सुविधा बंद पड़ी है.

फिलहाल उपभोक्ताओं को उसी राशन डिपो से गेहूं लेना पड़ा रहा है, जिस राशन डिपो से उसका कार्ड पहले अटैच्ड था. इससे राशन डिपो का क्षेत्र छोड़कर दूसरी जगह रहने वाले उपभोक्ताओं को गेहूं लेने में परेशानी हो रही है. जनवरी में उपभोक्ताओं के लिए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने 2 लाख 24 हजार मेट्रिक टन गेहूं का कोटा आवंटित किया था. फरवरी माह में यह बढकर 2 लाख 25 हजार मेट्रिक टन पहुंच गया, लेकिन पोर्टेबिलिटी बंद होने से अब ये आंकडा 1लाख 98 हजार मेट्रिक टन पर पहुंच गया है. वितरण ज्यादा नहीं हो सकने से गेहूं का कोटा घटा दिया गया है.

खाद्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सरकार ने मार्च में अंत्योदय, बीपीएल और स्टेट बीपीएल श्रेणी उपभोक्ताओं को दो की बजाय एक रुपए प्रति किलो के हिसाब गेहूं देना शुरू किया था. इसके लिए ई पीडीएस सॉफ्टवेयर में बदलाव कर दो व एक रुपए किलो के हिसाब से गेहूं देने की एंट्री करने की फीडिंग की गई. इससे एक बार पोर्टेबिलिटी की सुविधा बंद कर दी गई ताकि सॉफ्टवेयर को इसी के अनुसार अपडेट किया जा सके. राज्य स्तर पर ई पीडीएस सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं हुआ है. इसी वजह से काफी उपभोक्ताओं द्वारा गेहूं न लेने से उठाव कम हो रहा है. अगले महीने सॉफ्टवेयर में अपडेशन होने से राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी शुरू होने की संभावना है.

राज्य सरकार ने पीडीएस के तहत एनएफएसए में लाभान्वित परिवारों को उनके वर्तमान निवास के नजदीक गेहूं उपलब्ध करवाने और डिपो संचालकों की सेवाओं में कमी से होने वाली सुविधा से बचाने के लिए राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी की सुविधा 1 सितंबर 2018 से शुरू की थी. इससे उपभोक्ता किसी भी राशन डिपो से गेहूं ले सकते थे, चाहे उनका राशन कार्ड उस डिपो से अटैच्ड था या नहीं. किसी डिपो से लगातार तीन बार गेहूं लेने से राशन कार्ड उसकी डिपो से अटैच्ड करने की सुविधा थी.

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