सवाई माधोपुर: एनक्लोजर में नजरबंद हुआ आदमखोर बाघ, रणथम्भौर से विदाई तय
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सवाई माधोपुर: एनक्लोजर में नजरबंद हुआ आदमखोर बाघ, रणथम्भौर से विदाई तय

वन विभाग द्वारा बाघ को अस्थाई रूप से एंक्लोजर में मेहमान के तौर पर रखा जा रहा है. इसकी लगभग रणथम्भौर से विदाई होना तय है.

बाघ टी-104 के भाग्य का फैसला एनटीसीए द्वारा किया जाएगा.

सवाई माधोपुर: तीन लोगों को मौत के घाट उतारने वाला सवाईमाधोपुर के रणथम्भौर का चर्चित बाघ टी-104 इन दिनों रणथंभोर के भिड क्षेत्र में बने एंक्लोजर में नजरबन्द है. हालांकि, टी 104 का यह स्थाई ठिकाना नहीं है. वन विभाग द्वारा बाघ को अस्थाई रूप से एंक्लोजर में मेहमान के तौर पर रखा जा रहा है. इसकी लगभग रणथम्भौर से विदाई होना तय है. बाघ टी-104 के भाग्य का फैसला एनटीसीए द्वारा किया जाएगा. बाघ तब तक एंक्लोजर में मेहमान के रूप में रह रहा है. बाघ की लगातार वन विभाग द्वारा मॉनिटरिंग भी की जा रही है. रणथम्भौर के आला अधिकारी भी भिड एंक्लोजर पहुंचकर इसकी सुध ले रहे हैं. वन विभाग द्वारा सेटेलाइट व रेडियो कॉलर से लगातार टी 104 पर नजर रखी जा रही है.

बता दें कि, वन विभाग ने रणथम्भौर में वन सीमा से बाहर निकलने वाले बाघों के संरक्षण को लेकर भिड चौकी के पास लगभग 35 लाख रुपए की लागत से दो हैक्टेयर क्षेत्र में एंक्लोजर का निर्माण करवाया है. बाघ टी-104 की लगातार बढ़ती आबादी क्षेत्र में गतिविधियों से चिंतित वन विभाग ने चार माह पूर्व आनन-फानन में एंकलोजर का निर्माण करवाया है. एंक्लोजर में रहने वाला बाघ टी-104 पहला टाइगर है. एंक्लोजर में घायल वन्यजीव का उपचार करने के लिए अलग से सुरक्षित स्थान बना है. 

वहीं, एंक्लोजर में रहने वाले वन्यजीव बाघ के लिए दो कच्ची व एक पक्की पानी की तलाई बनाई गई है. जिनमें भिड़ चौकी से पाइप लगाकर पानी भरा जाता है. एंक्लोजर के चारों तरफ लगभग तीन, साढ़े तीन फीट ऊंची हरे रंग की नेट लगाई गई है, जिससे यदि बाहर कोई अन्य जानवर आ जाए तो एंक्लोजर में रहने वाले जानवर को नजर नहीं आए और वह अन्य जानवर को देख अग्रेसिव नहीं हो. 

वन विभाग ने भिड़ क्षेत्र में 11 फीट ऊंचा लोहे का जाल लगाकर एंक्लोजर का निर्माण करवाया है. इसके अलावा ऊपरी हिस्से पर लगभग तीन फीट जाल लगाकर टेपर किया गया है. वहीं, जमीन में गहराई तक जाल को गाड़ा गया है, जिससे कोई वन्यजीव जमीन में सुरंग यानि छेद नहीं कर सके, जिसके माध्यम से एंक्लोजर में रहने वाला बाघ बाहर नहीं निकल पाए.  वन विभाग द्वारा वन्यजीव की सुरक्षा एवं संरक्षण को ध्यान में रखते हुए एंक्लोजर का निर्माण करवाया है. 

बात दें कि हाल ही में भी बाघ टी-104 ने वन विभाग द्वारा एंक्लोजर में छोड़े गए पांड़े का शिकार किया तथा उसे लेकर अंदर पानी की तलाई के पास पेड़ों के पास जाकर बैठ गया.  भोजन, पानी व आराम की पर्याप्त व्यवस्था के चलते बाघ एंक्लोजर में आराम कर रहा है, लेकिन यह आराम बाघ टी-104 के लिए कुछ समय के लिए ही है. इसे रणथम्भौर से कहां जाना है इसका फैसला एनटीसीए द्वारा किया जाएगा.  एनटीसीए के आदेशों के बाद ही वन विभाग द्वारा बाघ को अन्यत्र छोड़ा जाएगा. तब तक बाघ एंक्लोजर में वन विभाग के मेहमान के रूप में रहेगा. 

वहीं, वनाधिकारियों के अनुसार बाघ टी-104 रणथम्भौर का जवान एवं खूबसूरत बाघ है. अपनी मां से अलग होने के बाद अपना विचरण क्षेत्र बनाने के लिए निकला था, लेकिन अन्य बाघों के हुई लड़ाई के चलते टी-104 जोन दर जोन भटकता रहा और दो बार करौली के कैलादेवी वन क्षेत्र में पहुंच गया, जहां दो लोगों को अपना शिकार बना लिया. बाघ टी-104 बाघ टी-64 व टी-58 के दबाव में रणथम्भौर में रुक नहीं पा रहा था. एक बार उसकी टी-19 से भी मुठभेड़ की संभावना जताई जा रही है. रणथम्भौर के सभी जोन में अन्य बाघों ने अपना जमावड़ा जमा रखा है. ऐसे में लगातार हो रहे अन्य बाघों से सामना के चलते दबाव के कारण बाघ टी-104 रणथम्भौर में रुक नहीं पा रहा.

वन विभागीय सूत्रों की मानें तो रणथम्भौर में लगातार बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है. रणथम्भौर में लगभग 15 बाघ अधिक है. ऐसे में आने वाले समय में अन्य बाघों के लिए भी एंक्लोजर उपयोगी साबित होगा. टेरेटरी की तलाश में वन क्षेत्र से निकलकर आबादी क्षेत्र में जाने वाले बाघ को वन विभाग द्वारा ट्रंकोलाइज कर एंक्लोजर में छोड़ा जाएगा. बाद में एनटीसीए के आदेशों पर वह बाघ कहां रहेगा इस पर वनाधिकारियों द्वारा अमल किया जाएगा. 

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