ग्रहण के चलते समस्त धार्मिक कार्यक्रम सूतक लगने से पहले ही सम्पन होंगे. सूतक लगते ही मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे और सरोवर में स्नान पूजा अर्चना भी नहीं होगी.
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जयपुर: आषाड़ माह की पूर्णिमा मंगलवार श्रावण मास प्रारंभ हो गया. मंगलवार से ही गुरु पूर्णिमा व्रत, वेदव्यास पीठ पूजन, कोकिला व्रत, शिव शयन उत्सव, सन्यासियों का चातुर्मास प्रारंभ हो रहा है. साथ ही आज मंगलवार आषाढ़ी पूर्णिमा को खंडग्रास चंद्रग्रहण होगा जो हमारे देश में भी मान्य होगा.
ग्रहण के चलते समस्त धार्मिक कार्यक्रम सूतक लगने से पहले ही सम्पन होंगे. सूतक लगते ही मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे और सरोवर में स्नान पूजा अर्चना भी नहीं होगी. साथ ही जगत पिता ब्रह्मा मंदिर के कपाट भी बंद रहेंगे. यह ग्रहण भारत के अलावा अफगानिस्तान, यूक्रेन, टर्की, ईरान, सऊदी अरब ,पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका अंटार्कटिका में भी दृश्य मान होगा.
पंडित कैलाशनाथ दाधीच ने बताया कि चंद्र ग्रहण का सूतक शाम कल 4 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगा. पूर्ण चंद्र ग्रहण रात्रि में 1:32 से रात्रि 4:30 तक रहेगा. ग्रहण का संपूर्ण कार्यकाल 2 घंटा 58 मिनट का होगा. भारत के पूर्व पश्चिम एवं उत्तरी भाग में चंद्र ग्रहण का प्रभाव रहेगा. ग्रहण के समय गुरु मंत्र का जाप अपने इष्ट देव का मंत्र का जाप धार्मिक ग्रंथ का पठन एवं मनन हवन दान पुण्य करना श्रेष्ठ बताया गया है.
ग्रहण के समय में चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए इससे परिवार में अशांति एवं शरीर में रोग का प्रभाव होता है. जिन महिलाओं को गर्भधारण है उन्हें इस ग्रहण को नहीं देखना चाहिए. ग्रहण के समय में लोहे की कोई वस्तु एवं गोद में नारियल लेकर ईश्वर के मंत्र का जाप करें जिससे गर्भाधान में कष्ट योग नहीं बनेगा.
ग्रहण का सेनानायक, मंत्री गण, धर्म के नेता, कथा के वाचक, कर्मकांड एवं पांडित्य, उद्योगपति, प्रशासक एवं शासक एवं विशेष तौर पर महिलाओं को कष्टदायक योग रहेगा. चंद्र ग्रहण उत्तराषाढ़ा नक्षत्र एवं धन राशि मकर राशि पर विशेष मान्य रहेगा. इन दोनों राशियों वालो को विशेष ध्यान रखना चाहिए.