पिता के सपने को पूरा कर, डिजिटल आर्टिस्ट की दुनिया में बनाई पहचान
Advertisement

पिता के सपने को पूरा कर, डिजिटल आर्टिस्ट की दुनिया में बनाई पहचान

 4 वर्षों की मेहनत की बदौलत आज दुनिया में प्रिंस सोहल डिजिटल आर्टिस्ट के रूप में जाने जाते हैं.

 

डिजिटल आर्टिस्ट की दुनिया में बनाई पहचान

Hanumangarh: सपने पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती. मेहनत और लगन से किसी भी उम्र में ना सिर्फ अपने सपने पूरे किए जा सकते हैं बल्कि कामयाब लोगों की श्रेणी में भी छाया जा सकता है. मेहनत और जज्बे से भरपूर यह कहानी राजस्थान के हनुमानगढ़ में एक छोटे से गांव मक्कासर के रहने वाले सरताज प्रिंस सोहल की है. प्रिंस अपने घर में बने एक छोटे से कमरे को अपनी दुनिया बना चुके हैं और बीते 4 वर्षों की मेहनत की बदौलत आज दुनिया में वह डिजिटल आर्टिस्ट के रूप में जाने जाते हैं.

आपको जानकार हैरानी होगी कि प्रिंस घर बैठे ही विदेशी कम्पनियों के साथ मिलकर फिल्मों और गानों के 3डी इफेक्ट्स, वीएफएक्स आदि डिज़ाइन करते है. हाल ही में कोरिया की सरकार ने उन्हें डिजिटल आर्टिस्ट के तौर पर प्रोजेक्ट्स के लिए अपॉइंट भी किया है. बड़ी बात यह है कि प्रिंस भारत के ऐसे पहले डिजिटल आर्टिस्ट है जो कोरियन गवर्नमेंट के साथ मिलकर उनके प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे है लेकिन प्रिंस की यह कामयाबी इतनी आसान नहीं थी. 

यह भी पढ़ें - खाजूवाला में एंबुलेंस व्यवस्था Ventilator पर, स्थानीय अधिकारी और प्रशासन की सामने आई लापरवाही

नेचर आर्टिस्ट के तौर पर जाने जाते है प्रिंस सोहल
प्रिंस जब 14 वर्ष के थे तभी से उनको गेम्स, ग्राफिक्स और 3डी आर्ट में गहरी रुचि थी. गेम खेलते वक्त हमेशा उनके जहन में यह सवाल उठता था कि उनमें क्वालिटी और इफेक्ट्स की कमी थी उन्होंने इसी कला को सीखने का मन बनाया और कंप्यूटर पर इंटरनेट की मदद से ग्राफ़िक्स डिजाईन करना सीखा और फिल्म 'द स्काई इस पिंक' के लिए नूरा सिस्टर के गाने में भी इफेक्ट्स उन्होंने ही दिए है. वर्तमान में वह 'ट्रैप नेशन', 'ट्रॉय बोय', गीत एमपी3 और प्यूमा, आदिदास, जारा, मासेराती कार कम्पनी के साथ-साथ हुंडई के साथ भी काम कर रहे है. बड़ी बात यह है कि महज 20 वर्ष की उम्र में प्रिंस नेचर आर्टिस्ट के तौर पर जाने जाते है.

कोरियन सरकार ने प्रिंस को भेजा कोरिया आने का निमंत्रण 
प्रिंस का काम देखकर डिजिटल दुनिया में एडवरटाइजिंग करने का उद्देश्य रखने वाली कई बड़ी कम्पनियां प्रिंस की मुरीद बन गई है. इस बात का अंदाजा आप ऐसे लगा सकते है कि उन्होंने मासेराती जैसी बड़ी कार कम्पनी के लिए भी उनके प्रोजेक्ट्स डिजाईन किए है. इसके साथ-साथ प्यूमा कम्पनी के लिए जूते डिजाईन करने सहित उनके लिए एफ्फेट्स देने का काम भी प्रिंस बखूबी कर चुके है. भविष्य में प्रिंस कोरियन सरकार के साथ मिलकर उनके कई प्रोजेक्ट्स पर काम करने का मन भी बना चुके है और हाल ही में कोरियन सरकार ने डिजिटल आर्टिस्ट की मीटिंग में प्रिंस को चुना है उन्होंने प्रिंस को कोरिया आने का निमंत्रण भी भेजा है और उनके लिए वहां हॉल में 'प्रिंस सरताज' के नाम से 7 नम्बर सीट भी बुक की जा चुकी है.

पिता के सपने को किया पूरा 
पिता हरदीप सिंह सोहल खुद आर्टिस्ट है और बेहतरीन पेंटिंग्स बनाते है. जब वे पेंटिंग करते थे तो उस वक्त पेंटिंग की कला की कद्र कम ही देखने को मिलती थी. लोगों की कम रुचि को देखते हुए उन्होंने पेंटिंग ही बनाना बंद कर दिया और अब जब वह अपने बेटे प्रिंस को देखते है तो उन्हें लगता है कि वह पेंटिंग की कला को नया आयाम दे चुका है. ऐसा आयाम जो उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. वह आर्टिस्ट बने लेकिन उनके बेटे को आज दुनिया डिजिटल आर्टिस्ट के रूप में जानने लगी है. सही मायनों में उनके बेटे ने पिता का सपना पूरा किया है.

यह भी पढ़ें - Churu: कार से 5 लोग जा रहे थे करणी माता दर्शन करने, दो की हो गई दर्दनाक मौत

जानिए क्या कहना है नेचर आर्टिस्ट प्रिंस सोहल का
प्रिंस बताते है कि यूएसए की कम्पनियां उनके काम को देखकर काफी प्रभावित हुई, जब उनके प्रोजेक्ट्स उनके पास आने लगे तो ग्राफिक्स कार्ड छोटा होने से काम देरी से होता था और कार्ड के बिना यह काम करना संभव भी नहीं था. एक ग्राफिक्स कार्ड कम से कम डेढ़ लाख रुपये का आता है. यह बात उन्होंने अपने पिता को बताई तो उन्होंने पैसे उधार लेकर किसी तरह ग्राफिक्स कार्ड और जरूरी सामान प्रिंस को दिलवाया और इंडिया में यह कार्ड मिल नहीं पाया इसलिए यह भी यूएसए से ही मंगवाना पड़ा. इसके बाद मुझे विदेशों से और ज्यादा प्रोजेक्ट्स मिलने लगे. साथ ही उन्होंने बताया कि अगर आज वह कामयाब है तो सिर्फ उनकी मां रविन्द्र कौर और पिता हरदीप सिंह सोहल की वजह से क्योंकि यह उनका भरोसा ही था जो आज वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बना रहे है.

Reporter : Manish Sharma

Trending news