जानिए Bikaner के एक ऐसे गांव के बारे में, जहां के निवासियों को बारिश से लगता है डर
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जानिए Bikaner के एक ऐसे गांव के बारे में, जहां के निवासियों को बारिश से लगता है डर

 रेगिस्तान के बीच में कोई गांव बसा हो और वहां के वाशिंदे बारिश से डरते हो.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Bikaner: रेगिस्तान के बीच में कोई गांव बसा हो और वहां के वाशिंदे बारिश से डरते हो, ऐसा सुनने में कुछ अजीब लगता है लेकिन आज हम आपको एक ऐसे कस्बे से रूबरू करा रहे हैं जो कहने को तो बड़ा कस्बा है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में यह किसी गांव ढाणी से भी बदतर नजर आ रहा है. हालात ये की थोड़ी सी बारिश में सड़कों में पानी का दरिया बन जाता है. 

यहां तक कि पानी घरों में भी घूस जाता है जिससे लोगों में हाहाकार मच आता है. जी हां, हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय से मात्र 30 किलोमीटर दूर नापासर कस्बे की, जहां बारिश आते ही कस्बे वासियों की सांस अटक जाती है. कस्बे में बनी आम आदमी को राहत देने के उद्देश्य से बनी सीवरेज अब आम आदमी के जी का जंजाल बन गई. सीवरेज पूरी तरह से जाम होने की वजह से हल्की बारिश से सड़कों पर पानी का दरिया बन जाता है. साथ ही निकासी व्यवस्था नहीं होने के कारण बारिश के कई दिन बाद भी पानी तालाब के रूप में पड़ा रहता है, जो कई बीमारियों को न्योता देता नजर आता है. 

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इससे सड़कों पर चलने में मुश्किल होता है तो वहीं अध्यन के लिए विद्यालय जाते छात्र-छात्राओं को इस पानी से रूबरू होना पड़ता है. वर्षो से चली आ रही इस समस्या से आम जन परेशान हैं. दुनिया में कोई भी शहर, कस्बा या गांव अपना विकास चाहता है, लेकिन इस कस्बे के लिए उल्टा नियम लागू होता है. राज्य सरकार ने कस्बे में बढ़ती जनसंख्या और आवासीय क्षेत्र को देखते हुए 2 जून 2016 को इसे नगरपालिका बना दिया. लेकिन स्थानीय नेताओं की अदूरदर्शिता कहे या खुदगर्जी कहे, सरकार के खिलाफ याचिका लगा दी. कोर्ट ने 14 जून 2018 को वापिस इसे ग्राम पंचायत बना दिया, जिसका नतीजा ये हुआ कि नगरपालिका को मिलने वाली सभी सुविधाएं और बजट बंद हो गई.

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स्थानीय निवासी दीपक पारिक और दाऊलाल कहते हैं कि बारिश किसे अच्छी नहीं लगती, लेकिन स्थानीय प्रशासन की अव्यवस्था से हल्की सी बारिश से होने वाली परेशानी से हर एक को यही ख्याल आता है कि बारिश न हो तो ही ठीक है. सीवरेज पूरी तरह से अवरुद्ध हो गई, जिसके लिए बड़े बजट की आवश्कता है जो स्थानीय पंचायत के पास नहीं है.

नापासर कस्बे के तत्कालीन स्थानीय नेताओं की अदूरदर्शीता कहे या अपने स्वार्थ को फलीभूत करना कहे, अगर आज ये नगरपालिका होती तो कस्बे वासियों को इस समस्या का सामना नहीं करना पड़ता. यहां का आम आदमी भी बारिश की फुहारों में भीगकर बरसात का आनंद देता.

Report-Tribhuwan Ranga

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