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EID Al Fitr 2022: ईद उल फितर, कल यानि कि 3 मई 2022, मंगलवार को मनाई जाएगी. चांद देखने के बाद ईद की तारीख तय होती है. रमजान के पाक महीने में रोजे रखने के बाद रोजेदार ईद मनाते हैं. मान्यता है कि इस दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में जीत हासिल की थी और इसी जीत की खुशी में इस्लाम के अनुयायी हर साल ईद मनाते हैं. इस बार की ईद इसलिए भी खास है. क्योंकि इस बार पूरे 30 रोजे रखे गए. वरना कई बार चांद का दीदार पहले हो जाने पर 29 दिन के ही रोजे हो पाते हैं.
इस्लाम में भी जकात यानी कि दान को बड़ा महत्व दिया गया है. ईद का त्योहार भी दान के बिना अधूरा है आज के दिन गरीब लोगों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान जरूर देना चाहिए इससे अल्लाह हमेशा मेहरबान रहते हैं. इसके अलावा बच्चों को तोहफे के रूप में ईदी भी बांटी जाती है.
ईद से पहले ही राजस्थान में मिली ईदी
जयपुर सचिवालय में मुस्लिम समुदाय की तीर्थ यात्रा यानी हज यात्रा के लिए लॉटरी निकाली गई, जिसमें प्रदेश के 2072 लोगों का नाम खुला है. लॉटरी खुलने के बाद आगे की प्रक्रिया जारी है. ये लॉटरी ईद से चार दिन पहले निकाली गयी थी जिसने ईद पर खुशी को डबल कर दिया.
कमेटी के जिला संयोजक के मुताबिक लॉटरी में जिन लोगों का नाम आया है उन्हे हज कमेटी ऑफ इंडिया के खाते में 81000 रुपए की पहली किश्त जमा करनी है. इसी महीने यात्रियों की ट्रेनिंग होगी और पासपोर्ट का वेरिफिकेशन होगा. आपको बता दें लॉटरी में करीब 800 लोग हज यात्रा से वंचित रह गये है क्योंकि उनकी उम्र 65 साल से ज्यादा है. ये निजी खर्च पर भी हज यात्रा नहीं कर सकते है क्योंकि साउदी सरकार ने अप्रैल में ही नई गाइडलाइन जारी की थी जिसमें 30 अप्रैल 2022 को 65 साल की आयु से ज्यादा वाले लोगों को यात्रा की अनुमति नहीं है.
ईद पर बूंदी की मीठी सेवइयां ना भूलें
राजस्थान के बूंदी में एक परिवार 75 सालों से सेवइंया बना रहा है वो भी हाथ से. रमजान महीने के आखिरी दिनों के साथ ही ईद-उल-फितर की आहट से बाजारों में सेवइयां सजने लग जाती है. लेकिन बूंदी की सेवइयां खास हैं. हाथ से बनायी गयी ये सेवइयां बूंदी, कोटा, झालावाड़, टोंक, जयपुर, अजमेर से लेकर एमपी और यूपी तक भेजी जाती हैं. क्योंकि बाजारों में ज्यादातर मशीन से बनी सेवइयां ही मिलती है. हाथ से बनी सेवइयां अब गिने चुने लोग ही बनाते हैं.
कैसे बनाते है हाथ से सेवइयां
रात में मैदा और सूजी को भिगो दिया जाता है. सुबह इसे गूंथा जाता है, फिर हाथों से महिलाएं लंबे-लंबे लच्छे बनाती हैं और उन्हें गोल-गोल घुमाया जाता है. इसके बाद डोर की तरह पतला करके झाड़ियों के गुच्छे में सुखाने के लिए डाल दिया जाता है. 1 घंटे सुखाई जाती है, जिसके बाद पैकेट में पैक कर मार्केट या आर्डर पर भेज दिया जाता है.