चित्तौड़गढ़ जिला काला सोना यानी अफीम की खेती के लिए जाना जाता है. उसी अफीम की तुलाई का काम 13 अप्रैल से शुरू होगा, जिसके लिए नारकोटिक्स विभाग ने कमर कस ली है.
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Chittorgarh: राजस्थान के चित्तौडगढ़ जिले में काला सोना के नाम से जाना जाने वाला अफीम का तेल 13 अप्रैल से तोल शुरू होगा, जिसमें चित्तौड़गढ़ और निंबाहेड़ा उपखंड में जिले के अफीम किसानों के माल का तोल किया जाएगा, जिसके लिए नारकोटिक्स विभाग में तैयारियां जोर-शोर से की जा रही है.
जानकारी के अनुसार, चित्तौड़गढ़ जिला काला सोना यानी अफीम की खेती के लिए जाना जाता है. उसी अफीम की तुलाई का काम 13 अप्रैल से शुरू होगा, जिसके लिए नारकोटिक्स विभाग ने कमर कस ली है. नारकोटिक्स विभाग के सूत्रों के अनुसार, तोल के लिए तीन खंड बनाए गए हैं, जिसमें प्रथम खंड मे 300 गांव के लगभग 5200 किसानों, द्वितीय खंड में 180 गांव के 4602 अफीम किसानों के माल का तोल किया जाएगा.
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वहीं, तृतीय खंड के 240 गांव के लगभग 4,944 अफीम किसानों के माल का तोल निंबाहेड़ा उपखंड के परिणीय रिसोर्ट में किया जाएगा, जिसमें प्रत्येक खंड में प्रतिदिन लगभग 400-400 किसानों के अफीम का तोल किया जाएगा.
इसके बारे में जानकारी देते हुए चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने बताया कि सभी अफीम किसानों के माल का तोल 13 अप्रैल से शुरू होगा. सरकार के आदेशानुसार अफीम किसानों की सभी समस्याओं का समाधान इससे पहले कर लिया जाएगा.
वहीं, उन्होंने बताया कि समय-समय पर अफीम किसानों की समस्याओं को भारत सरकार तक पहुंचा कर समाधान भी करवाया है. उन्होंने बताया कि इस बार अफीम के तोल में नवाचार भी किया जा रहा है. इस बार ओवन टेस्टिंग पद्धति को बंद करके हाथ से जांच की जाएगी, जिससे अफीम किसानों के माल की जांच करने में समय कम लगेगा.
रिपोर्टर-दीपक व्यास