Kapasan News: अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में अफीम किसानों की फसलें तबाह हो रही है. झोलाछाप कृषि विशेषज्ञ की लिखी दवाओं से अफिम फसल खराब हुई है...
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Kapasan News: अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में अफीम किसानों की फसलें तबाह हो रही है. झोलाछाप कृषि विशेषज्ञ की लिखी दवाओं से अफिम फसल खराब हुई है. प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में लाईसेंस के द्वारा बोई जाने वाले काले सोने की फसल (अफिम) पर इन दिनों झोलाछाप कृषि विशेषज्ञ की लिखी दवाओं का स्प्रे करने के बाद काले बादल मंडराने लगे हैं.
हाल ही में ऐसा एक नहीं तीन-तीन किसानों के साथ घटित घटनाओं के बाद कहीं न कहीं इस गोरखधंधे की जमीनी जड़े लम्बी होने का ईशारा करती है, जहां एक ओर अफिम किसान रात दिन महेनत करके अफिम फसल को तैयार करता है. वहीं फसल को कीट व्याधियों से बचाने के लिए उपचार करता है पर क्षेत्र में पिछले एक-दो वर्षों से कुछ झोलाछाप कृषि विशेषज्ञ अफीम फसल में अधिक उत्पादन और पौधे की जड़े गहारी जाने की बात कह कर लाखों रुपए की दवाइयां अफीम कोर्स के नाम पर किसानों को दे रहे हैं.
यहां तक की इन झोलाछाप कृषि विशेषज्ञों द्वारा किसान के खेत तक जाकर मिट्टी के नमूने लेना और समय-समय पर जिस प्रकार एक रजिस्टर डॉक्टर दवाइयां लिखता है, ठीक वैसे ही फसल का निरीक्षण करने के बाद दवाओं की एक लंबी फेहरिस्त थमा दी जाती है, जिससे वह उनके बताए स्थान से ही दवाइयां खरीद करनी होती है और अंत में परिणाम यह रहता है कि दवाइयों का स्प्रे करते ही अफीम के पौधे नष्ट होने लगते हैं. ऐसे ही मामले भदेसर ब्लॉक के ग्राम पंचायत कंथारिया में देखने को मिले हैं, जहां किसान वर्दी चंद पिता नाथू गाडरी निवासी दोतड़ी खेड़ा, काली बाई पति शिव लाल भील गांव पुरानी दोतड़ी और रतनलाल पिता मांगीलाल गाडरी निवासी सोनियाणा द्वारा निंबाहेड़ा स्थित ई किसान नामक दुकान से अफीम का कोर्स लिया था.
वहां से भेजे गए कथित डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाओं का पैकेज किसान को दिया गया, जिसमें कुछ दवाइयां अवधि पार भी पाई गई पर किसानों ने इस पर ज्यादा गौर नहीं किया और दवाओं का स्प्रे कर दिया, जिससे की फसल सूखने लगी फसल खराब होती देख किसानों की नींद हराम हो गई.
साथ ही बार-बार झोलाछाप विशेषज्ञ को फसल नष्ट होने की जानकारी देने के बाद भी वह खेत पर नहीं पहुंच रहा है, चाहे जो भी हो अधिक मुनाफे के चक्कर में अफीम किसान ठगे जा रहे हैं और क्षेत्र में झोलाछाप कृषि विशेषज्ञ लाखों के वारे न्यारे कर रहे हैं, जबकि कृषि पर्यवेक्षक या विशेषज्ञ से सलाह नहीं लेकर झोलाछाप से अफिम फसल का ईलाज करवाना किसानों को भारी पड़ता दिख रहा है.
Reporter: Deepak Vyas
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