बड़ीसादड़ी में रावली मंगरी पर 13 सितंबर मंगलवार को मेवाड़ का प्रसिद्ध लोक नाट्य गवरी का मंचन किया गया.
Trending Photos
Bari Sadri: चित्तौड़गढ़ के बड़ीसादड़ी में रावली मंगरी पर 13 सितंबर मंगलवार को मेवाड़ का प्रसिद्ध लोक नाट्य गवरी का मंचन किया गया. शंभु लाल भील ने बताया कि आदिवासी भील समुदाय के लोक कलाकारों द्वारा सवा महीना आदिवासी संस्कृति से परिपूर्ण गवरी का मंचन होता है.
इसमें पौराणिक दंत कथाओं पर आधारित शिव शक्ति की आराध्य मानकर माता पार्वती सवा महीना अपने पीहर आती हैं, तो वही शिव और अपनी बेटी पार्वती को खुश करने हेतु भील समुदाय गवरी का मंचन करता है. इस दौरान हरी सब्जी नहीं खाते हैं और खाट पर नहीं सोते हैं.
इसी के साथ कालु कीर, कान जी माराज, हटिया, राजा-रानी, बंजारा मीणा खेल के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छ भारत मिशन, शिक्षा, का संदेश देते हुए हास्य, व्यंग, शौर्य पराक्रम वीरता से परिपूर्ण खेल के माध्यम से लोगों का मनोरंजन किया गया.
देश में खुशहाली, रोग महामारी का प्रकोप खत्म हो बुराई का अंत हो, देश की खुशहाली की कामना माता गोरजा से की गई. इसे देखने आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग की भीड़ उमड़ी.
Reporter- Deepak Vyas
चित्तौड़गढ़ की अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें.
अन्य खबरें
CM के जाते ही चौमूं SDM के APO के आदेश जारी, अवस्थाओं के चलते हुई कार्रवाई
Chanakya Niti : जिस पुरुष में होते हैं कुत्ते के ये 5 गुण उसकी स्त्री रहती है संतुष्ट