चित्तौड़गढ़: हमारे पूर्वजों ने स्वाभिमान व आम आदमी की लड़ाई लड़कर अपनी पहचान बनाई है, त्याग तपस्या और बलिदान हमारे पूर्वजों की पहचान है. मेवाड़ की रक्षा के लिए 36 कौमों को साथ लेकर उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी है.  यह बात प्रदेश के ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने सोमवार को जौहर श्रद्धांजलि समारोह के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त की. उन्होंने कहा कि मेवाड़ की रक्षा के लिए भामाशाह का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उन्होंने कहा कि आज का युग तलवार और ढ़ाल की लड़ाई का नहीं है बल्कि कलम की लड़ाई का युग है. 


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उन्होंने बेटियों की शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षित बेटी से कई पीढ़ियां आगे बढ़ेगी. उन्होंने समारोह के दौरान सम्मानित होने वाले छात्र-छात्राओं और भामाशाह को संबोधित करते हुए कहा कि अच्छे काम का सम्मान होना ही चाहिए. सांसद सीपी जोशी ने वीरांगनाओं को नमन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने भी मेवाड़ के इतिहास को आमजन तक पहुचाने के लिये महाराणा प्रताप, जयमल, झाला मन्ना पर टिकट जारी किये. 


 गोपाल सिंह ईडवा ने कहा कि क्षत्रिय कौम में हर क्षेत्र में जाग्रति आई है लेकिन यह जाग्रति लोकतंत्र के अनुकुल होनी चाहिए. लोकतंत्र में राजा और रंक सभी समान है. ऐसे में राजपूतों को राजनीति में आगे आना चाहिए. विधायक चन्द्रभान सिंह आक्या ने समाज में व्याप्त कुरीतियों को मिटाने व भावी पीढी को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास करने का आव्हान करते हुए कहा कि यह समाज का गौरवपूर्ण कार्यक्रम है, जिसमें स्वाभीमान की रक्षा के लिये प्राणों की आहुतिया देने वाले वीर वीरांगनाओं को नमन किया जा जाता है.


 धर्म गुरू के रूप में मचलाना घाटी आश्रम प्रतापगढ के संत रामजीराम महाराज ने कहा कि इलेक्ट्रोनिक युग में मनोरजंन के माध्यम से मनमर्जी को महत्व दिया जा रहा है पुरानी संस्कृति को भुला दिया गया है. विधायक सुरेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है, पूर्वजों की बदौलत ही मान सम्मान मिल रहा है. जौहर स्मृति संस्थान महामंत्री मंगल सिंह खंगारोत ने ऊर्जा मंत्री को मेवाड़ के महापुरुषों का अपमान करने पर रासुका लगाए जाने व राजस्थानी भाषा को मान्यता दिए जाने के संबंध में ज्ञापन सौंपा. 


जौहर स्मृति संस्थान द्वारा चैत्र कृष्णा एकादशी पर आयोजित जौहर श्रृद्धाजंली समारोह से पूर्व शाही ठाठ-बाठ ने निकली भव्य शोभायात्रा ने शहरवासियों को क्षत्रिय परम्परा की झलक का दिग्दर्शन कराते हुए इस बात की अनुभूति कराई कि किसी न किसी रूप में आज भी मेवाड़ की शाही क्षत्रिय परम्परा जीवंत है. शोभायात्रा में हाथी पर रावत चुण्डा की झांकी के साथ ही एक दर्जन से अधिक अश्व, उंट, केसरिया पताकाएं, महाराणा प्रताप, पन्नाधाय, एकलिंग नाथ, जौहर और पुलवामा में शहीदों को श्रृद्धाजंली की झांकी के साथ शोभायात्रा पर पेराग्लाईडर से पुष्प वर्षा आकर्षण का केंद्र रही. 


Report- Deepak Vyas