धौलपुर में जोरदार बारिश से फसलों को भारी नुकसान, खरीफ और रबी की दोनों फसलें प्रभावित

Dholpur News: राजस्थान के धौलपुर में बारिश ने इस बार अन्नदाता किसान को सबसे ज्यादा प्रभावित किया. जून महीने से शुरू हुई लगातार बारिश ने थमने का नाम नहीं लिया. रेनी सीजन में जिले में जोरदार बारिश हुई है. खरीफ की फसल इस बार बुरी तरह प्रभावित हुई है. शारदीय नवरात्रों से रवि की सरसों फसल की बुवाई का भी समय शुरू हो गया. ऐसे में रवि फसल पर भी आसमानी संकट देखा जा रहा है.

धौलपुर में जोरदार बारिश से फसलों को भारी नुकसान, खरीफ और रबी की दोनों फसलें प्रभावित

Dholpur News: जिले में बारिश ने इस बार अन्नदाता किसान को सबसे ज्यादा प्रभावित किया. जून महीने से शुरू हुई लगातार बारिश ने थमने का नाम नहीं लिया. रेनी सीजन में जिले में जोरदार बारिश हुई है. खरीफ की फसल इस बार बुरी तरह प्रभावित हुई है. शारदीय नवरात्रों से रवि की सरसों फसल की बुवाई का भी समय शुरू हो गया. ऐसे में रवि फसल पर भी आसमानी संकट देखा जा रहा है.

खरीफ फसल की कटाई अधर में
किसानों ने बताया इस बार बरसाती सीजन में खरीफ की बाजार, दलहन, तिलहन, ग्वार, ज्वार, मक्का, मूंग,मोठ, मूंगफली, गन्ना आदि सभी फसलों में नुकसान हुआ है. जिन किसानों की फसल बच गई थी, वह अब फसल कटाई और लावणी का काम कर रहे है. लेकिन 30 सितंबर और 7 अक्टूबर को सुबह से शुरू हुई बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है. खरीफ की सभी फसलें कटाई होकर खेतों में पड़ी हुई है. किसान मौसम खुलने का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन लगातार हो रही बारिश से फसल खेतों में ही सड़ने की स्थिति पर पहुंच रही है. किसानों ने बताया कुदरत की मार के सामने अन्नदाता बेबस हो रहा है.

रवि फसल पर भी संकट
रवि की सरसों और आलू फसल की बुबाई का समय शारदीय नवरात्रों से शुरू हो गया है. कनागत समाप्त होने के बाद 22 सितंबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो गई थी. किसानों ने शुभ दिन मानकर नवरात्रों से सरसों और आलू फसल की बुवाई की शुरुआत की थी. किसान विनीत कुमार शर्मा ने महंगे खाद बीज एवं डीएपी बाजार से खरीद कर सरसों की बुवाई की थी. लेकिन लगातार हो रही बारिश से अंकुरित होने से पूर्व सरसों और आलू की फसल बर्बाद हो गई. अन्नदाता किसान बुरी तरह से बर्बादी के मुहाने पर आ गया है.

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पशुओं के चारे पर भी संकट
किसान राम कुशवाहा ने बताया फसल बर्बाद होने के साथ चारा भी नष्ट हो गया है. खेतों में अभी भी जल भराव के दो से तीन फीट तक के हालात बने हुए हैं. हरा चारा खेतों में सड़ चुका है. किसानों के पास आजीविका का दूसरा जरिया मवेशी पालन होता है. चार बर्बाद होने से उस पर भी संकट आ गया है. किसान चारों तरफ से घिर चुका है. परिवार की आजीविका चलाने में भी अब मुश्किल होगी. किसानों ने बताया सरकार ने आर्थिक तौर पर अच्छा पैकेज नहीं दिया तो निश्चित तौर पर पलायन करना पड़ेगा.

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