जयपुर: चीन में आयोजित हुए शूटिंग वर्ल्ड कप फाइनल (World Cup Final) में राजस्थान के ‘युवा ब्रिगेड’ दिव्यांश पंवार ने गोल्ड मेडल जीतकर भारत के लिए इस दिन को यादगार बना दिया. दिव्यांश ने पुरुषों के 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में पहला स्थान हासिल किया है. दिव्यांश की इस सक्सेस स्टोरी की कहानी एक गार्ड से जुड़ी है.
आपको बता दें कि इस साल विश्व कप में दिव्यांश का ये चौथा मेडल है. इससे पहले जूनियर विश्व कप में भी वो मेडल जीत चुका है और अगले साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक में दिव्यांश देश के लिए पदक की बड़ी उम्मीद है.
दिव्यांश ने पुरुषों के 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में 627.1 के स्कोर के साथ पहला स्थान हासिल किया. खास बात ये है कि दिव्यांश महज 17 साल के हैं और अभी 12वीं में पढ़ते हैं. इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धि प्राप्त करने वाले संभवतः वो देश के पहले शूटर हैं. दिव्यांश के पिता अशोक पंवार प्रदेश के सरकारी अस्पताल SMS में नर्सिंगकर्मी हैं. आज SMS अस्पताल में भी दिव्यांश की इस उपलब्धि पर अधीक्षक डी.एस मीणा ने दिव्यांश के पिता का मुंह मीठा कराया.
स्कूल ने दिया निशुल्क प्रैक्टिस का मौका
दिव्यांश की इस उपलब्धि के पीछे उनके स्कूल MPS का बहुत बड़ा योगदान है, जिन्होंने न सिर्फ दिव्यांश की फीस माफ़ की बल्कि स्कूल की इलेक्ट्रॉनिक शूटिंग रेंज में दिव्यांश को निशुल्क प्रैक्टिस का मौका दिया.
गार्ड के कहने पर पिता ने सिखाई थी शूटिंग
पांच साल पहले की बात है. दिव्यांश के पिता अशोक पंवार के मेडिकल स्टोर पर एक गार्ड (गुलाब सिंह) दवा लेने आया था. गुलाब जगतपुरा स्थित शूटिंग रेंज में गार्ड हैं. उसने सलाह दी कि आप बच्चे को शूटिंग सिखाएं. वे अगले ही दिन दिव्यांश को लेकर शूटिंग रेंज चले गए. कोच कुलदीप ने उसकी प्रतिभा पहचानी. दिव्यांश को कुछ दिन पब्जी खेलने की भी लत लगी लेकिन उनके पिता ने आगे ऐसा नहीं होने दिया और कुछ दिन में ही दिव्यांश का पूरा फोकस अपने खेल पर हो गया.
दिव्यांश 27 नवंबर को जयपुर वापसी करेंगे. उनके पिता कहते है कि उनका बेटा अब उनका नहीं बल्कि देश का हो चुका है क्योंकि अगले साल होने वाले ओलंपिक में दिव्यांश से पूरे देश को पदक की बड़ी उम्मीद है.