Dungarpur News: जिले में टीबी बीमारी को लेकर सुखद खबर है. डूंगरपुर जिले में साल दर साल टीबी के मरीजों की संख्या में कमी हो रही है. विभाग की ओर से की गई जांच में वर्ष 2021 में 25 फीसदी, वर्ष 2022 में 21 फीसदी, वर्ष 2023 में 17 फीसदी और वर्ष 2024 मई तक 6 फीसदी मरीज टीबी से ग्रसित पाए गए हैं.


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एचआइवी (एड्स) के बाद दूसरी सबसे ज्यादा खराब बीमारी टीबी को माना जाता है क्योंकि अगर इसका समय से सही इलाज न हुआ तो यह जानलेवा भी हो जाती है. जानलेवा इस बीमारी को भारत से खत्म करने के लिए सरकार द्वारा चलाये जा रहे प्रयासों के सार्थक परिणाम सामने आने लगे हैं. डूंगरपुर क्षय रोग निवारण केंद्र की प्रभारी डॉ करिश्मा पंचाल ने बताया की वित्तीय वर्ष 2019-20 में 4208 मरीज थे. वित्तीय वर्ष 2020-21 में यह संख्या घटकर 2869 पर आ गई. वही इसके बाद प्रति वर्ष इन आंकड़ो में कमी आती जा रही है.



वर्ष 2021-22 में विभाग की ओर से 7 हजार 377 लोगों की टीबी की जांच की गई, जिसमें 1869 मरीज टीबी के पाए गए. इसी तरह वर्ष 2022 में 14 हजार 869 जांच की गई जिसमे 21 फीसदी मरीज टीबी के आये तो वही वर्ष 2023 में 20 हजार 567 जांच की गई, जिसमें से 17 फीसदी मरीज टीबी के निकले. इधर डॉ. करिश्मा ने बताया कि वर्ष 2024 में अभी तक 24 हजार 798 जांच की गई, जिसमें 6 फीसदी टीबी के मरीज सामने आये हैं. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा चलाए जा कार्यक्रमों का ही परिणाम है कि इस रोग के मरीजों की संख्या लगातार घट रही है.


टीबी मरीज को मुफ्त इलाज के साथ मिलती आर्थिक मदद
डॉ करिश्मा पंचाल ने बताया की सरकार टीबी मरीज की जांच लेकर पूरा इलाज मुफ्त करती है. वही मरीज को पौष्टिक खाना के लिए इलाज चलने तक प्रतिमाह 500 रुपये आर्थिक सहायता भी देती है तथा चिकित्सालय में भर्ती होने पर अलग से आने जाने का खर्च का खर्च भी देती है.