Rajasthan Lok Sabha Chunav 2024: बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला,क्या बीएपी रोक पाएगी इस बार BJP की हैट्रिक?
Rajasthan Lok Sabha Chunav 2024: बांसवाडा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला है, यहां एसटी वोटर ही जीत का फैसला करते हैं, इस सीट का गेंम चेंजर वोटबैंक यही मतदाता है. लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में क्या BAP, BJP का विजयी रथ रोक पाएगी?
Rajasthan Lok Sabha Chunav 2024: राजस्थान में लोकसभा चुनाव के तहत बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर 26 अप्रैल को मतदान होना है, नामांकन की प्रक्रिया के बाद अब राजनैतिक दल चुनाव प्रचार में जुटे हैं.इधर बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है.वहीं, करीब 70 फीसदी एसटी होने से इस सीट पर जीत फैसला एसटी वोटर ही करता है.
बिगड़ सकता है, जीत का गणित?
पिछले दो लोकसभा चुनाव में एसटी वोटर की वजह से भाजपा ने जीत दर्ज की लेकिन विधानसभा चुनाव में आदिवासी समाज के नाम से मैदान में आई भारत आदिवासी पार्टी कांग्रेस के गठबंधन के बाद इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत की गणित बिगाड़ सकती है.
राजस्थान का दक्षिणांचल आदिवासी बहुल बांसवाड़ा ओर डूंगरपुर जिला कई मायनों में खास है.बांसवाडा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर जनजाति बाहुल्य सीट है.इस सीट पर 70 फीसदी वोटर एसटी है.जबकि 30 फीसदी वोटर में ओबीसी, सामान्य,एससी और अल्पसंख्यक सहित अन्य वोटर्स हैं.
राजनीतिक लिहाज से इस क्षेत्र कांग्रेस की मजबूत पकड़ मानी जाती थी क्योंकि यहां के आदिवासी कांग्रेस का वोट बैंक माने जाते थे. लेकिन पिछले दो लोकसभा चुनाव में देखने में आया की आदिवासी वोट कांग्रेस से छिटक कर भाजपा की तरफ गया और दो बार भाजपा के सांसद जीत कर लोकसभा गए.
यहां 22 लाख वोटर्स में से 14 लाख वोटर एसटी
बांसवाडा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर कुल 22 लाख के करीब वोटर हैं.इसमें से करीब 14 लाख 85 हजार वोटर एसटी, करीब 3 लाख 17 हजार वोटर ओबीसी, एक लाख 67 हजार के करीब वोटर सामान्य, 80 हजार वोटर एससी और अन्य वर्ग के वोटर्स हैं.ऐसे में एसटी वोटर्स की संख्या ज्यादा होने से इस सीट पर एसटी वोटर जिस दल की और जाता है उसकी जीत निश्चित मानी जाती है.
विधानसभा चुनाव के बाद बदली गणित
डूंगरपुर व बांसवाडा जिलो में कुछ समय पहले बनी भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने भाजपा व कांग्रेस की दोनों जिलो में चुनावी गणित बिगाड़ दी है.बीएपी की बांसवाडा-डूंगरपुर जिलों में मौजूदगी से दोनों जिलो का एसटी वोटर कांग्रेस व भाजपा से छिटका है, आदिवासी समाज के नाम से मैदान में आई बीएपी के प्रति अपना विश्वास जता रहे हैं.
विधानसभा चुनाव में बांसवाडा-डूंगरपुर लोकसभा सीट में शामिल 8 विधानसभा सीट में से एक सीट चौरासी पर बीएपी ने करीब 69 हजार मतों से जीत दर्ज की थी जो की पूरे प्रदेश में बड़े अंतर से जीत वाली दूसरी सीट थी.वहीं, इसके अलावा डूंगरपुर, सागवाडा, घाटोल और बागीदौरा विधानसभा सीट पर बीएपी दूसरे स्थान पर रही थी.विधानसभा चुनाव में इन 8 सीटो पर कांग्रेस ने 33.50 फीसदी, भाजपा ने 29.93 फीसदी और बीएपी ने 27.66 फीसदी वोट हासिल किये थे.
इस बार आसान नहीं होगी BJP की राह
बांसवाडा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालविया चुनावी मैदान में हैं, तो वहीं भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) से चौरासी से दो बार लगातार जीत दर्ज करने वाले राजकुमार रोत चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, कांग्रेस ने अंतिम समय में अरविन्द डामोर से नामांकन जरूर भरवाया था.
लेकिन बाद में कांग्रेस ने बीएपी से गठबंधन से घोषणा की थी लेकिन अरविंद डामोर ने नामांकन नहीं उठाया था. ऐसे में कांग्रेस और बीएपी के गठबंधन करने से इस बार भाजपा के लिए इस सीट पर जीत आसान नहीं लग रही है. हालांकि भाजपा व बीएपी के नेता जनजाति वर्ग के अपने साथ होने व जीत के दावे कर रहे हैं.
बहराल बांसवाड़ा-डूंगरपुर में गर्मी के साथ राजनीती का पारा भी चढ़ रहा है.उम्मीदवार आदिवासी वोटर्स के साथ अन्य वोटर्स को रिझाने में लगे हैं. लेकिन इस बार आदिवासी वोटर्स किस दल के साथ जाएगा और किस दल के प्रत्याशी को जीत का ताज पहनायेगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.