लोगों में आज भी हैं सुहागरात से जुड़े ये 7 भ्रम, तोड़ डालिए
Suhagrat Myths: सुहागरात का नाम सुनते ही कुछ लोग शर्म से लाल हो जाते हैं तो कुछ लोग खुशी से भर जाते हैं. यह शब्द है ही ऐसा, जो लोगों का ध्यान अपनी ओर खूब खींचता है, नए जोड़े तो छोड़िए, किसी भी उम्र के लोग इस शब्द को सुनते ही शर्म और हया से भर जाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज भी भारत में सुहागरात से जुड़े हुए कुछ भ्रम लोगों में बने हुए हैं. आज भी लोगों को लगता है कि सुहागरात में कुछ चीजें जरूर होती हैं लेकिन ऐसा नहीं है. आज हम आपको सुहागरात से जुड़ी उन सात बातों को बताएंगे, जिनको लेकर आज भी लोगों को सच्चाई का पता बिल्कुल भी नहीं है. अगर यह बातें समय रहते पता चल जाएं तो नई नवेले जोड़ों में प्यार और खुशियां दोनों बरकरार रहती हैं. यहां तक की शादियां भी लंबी चलती है.
सुहागरात भ्रम नंबर 1- तकलीफदेय एक्सपीरियंस
अक्सर महिलाओं को लगता है कि जब वह पहली बार फिजिकल रिलेशन यानी कि संभोग करती हैं तो उन्हें दर्द और तकलीफदेय एक्सपीरियंस से गुजरना पड़ता है लेकिन सच्चाई तो यह है कि अगर कपल समझदार है, दोनों में प्यार है और तो दोनों ही रोमांटिक तरीके से फोरप्ले का इस्तेमाल करके सिचुएशन में आगे बढ़ सकते हैं. अगर पार्टनर सपोर्टिव और लड़की को समझने वाला है तो हो सकता है कि जब महिलाएं पहली बार रिलेशन बनाएं तो उन्हें दर्द और तकलीफदेय अनुभव से ना गुजरना पड़े.
सुहागरात भ्रम नंबर 2- सेक्सुएल पावर
कई बार लड़कियों ही नहीं लड़कों के मन में भी यह भ्रम बना होता है कि पुरुषों के प्राइवेट पार्ट के आकार से उनकी सेक्सुएल पावर का पता लगाया जा सकता है लेकिन यह बिल्कुल ही गलत है. रोमांस के समय दोनों संबंध बनाते समय एक दूसरे के साथ कितने कंफर्ट जोन में हैं और किस तरह से एक दूसरे से बातचीत कर रहे हैं, यह भी उनके सेक्सुअल रिलेशन को मजबूत करता है. पुरुषों के प्राइवेट पार्ट का आकार इंसान की शादीशुदा जिंदगी पर बेहद ही कम असर डालता है.
सुहागरात भ्रम नंबर 3- मास्टरबेट का असर
कई बार पुरुषों और लड़कों को लगता है कि अगर वह पहले से मास्टरबेट जैसी चीज करते आ रहे हैं तो उन्हें सुहागरात पर सेक्स रिलेशन बनाने में काफी दिक्कत होती है क्योंकि वह अपनी पार्टनर के सामने बेहतरीन परफॉर्म नहीं कर पाते हैं. ऐसे में आपको यह जानना जरूरी है कि मेडिकल साइंस के अनुसार अगर कोई लड़का या पुरुष मास्टरबेट करता है तो उनकी सेक्सुअल पावर, प्रजनन क्षमता और सेहत पर कोई बहुत बुरा असर नहीं पड़ता है. हां, अगर कोई शख्स यह मान लेता है कि ऐसा करने से वह कमजोर हो रहा है तो उसकी सोच उसके शरीर पर पूरी तरह से हावी हो सकती है.
सुहागरात भ्रम नंबर 4- कमरे की लाइट
सुहागरात पर ज्यादातर कपल्स अपने कमरे की लाइट जलाए रखते हैं. इसको लेकर उनका कहना है कि सुहागरात पर वह अपने सामने वाले पार्टनर को बेहतर फील करने के लिए ऐसा करते हैं लेकिन सच यह है कि ज्यादातर महिलाएं अंधेरे में रिलेशन बनाना पसंद करती हैं क्योंकि जब वह संभोग करती हैं तो उनकी आंखें अपने आप ही बात बंद हो जाती हैं. ऐसे में कमरे की लाइट जले ना चले, इसका कोई खास असर नहीं पड़ता है.
सुहागरात भ्रम नंबर 5 - वर्जिन लड़की से रक्तश्राव
पुरुषों और लड़कों का मानना होता है कि अगर वह सुहागरात पर वर्जिन लड़की के साथ वह रिलेशन बना रहे हैं तो उनके पहली बार मिलन पर उसके प्राइवेट पार्ट से रक्तश्राव होना जरूरी है लेकिन सच तो यह है कि पहली बार रिलेशन बनाने के दौरान महिलाओं के अंग से रक्त स्राव हो, यह जरूरी नहीं है. दरअसल कई महिलाओं में आजकल भागने दौड़ने के चलते हाइमन नाम की झिल्ली पहले से ही एब्सेंट हो जाती है या फिर खत्म हो जाती है. ऐसे में पहली बार संबंध बनाते समय खून आए, ऐसा जरूरी नहीं है.
सुहागरात भ्रम नंबर 6 - सेक्सुअल रिलेशन के लिए एक्साइटेड
कई बार लोगों का यह मानना होता है कि ज्यादातर लड़कियां और महिलाएं सुहागरात पर ही सेक्सुअल रिलेशन बनाने के लिए एक्साइटेड रहती हैं लेकिन सच यह है कि ज्यादातर महिलाएं सुहागरात पर अपने पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाने से ज्यादा उसके व्यवहार को जानने के लिए एक्साइटेड होती हैं. वह पार्टनर के बारे में हर बात जानना चाहती हैं.
सुहागरात भ्रम नंबर 7 - शारीरिक मिलन जरूरी
बहुत सारे लोगों को लगता है कि सुहागरात ही वह समय होता है, जब वह अपनी पार्टनर या सामने वाले के साथ में सेक्सुअल रिलेशन बना सकती हैं लेकिन सुहागरात पर ही नया जोड़ा एक दूसरे के साथ शारीरिक मिलन कर ले, यह जरूरी नहीं होता है क्योंकि कई बार दोनों में से एक पार्टनर इस चीज के तैयार नहीं होता है. अगर कपल या चाहता है क्योंकि शादीशुदा जिंदगी अच्छी और बेहतर चले तो उन्हें सुहागरात पर दोनों की सहमति जरूर होनी चाहिए.