पंजाब की फैक्ट्रियों से निकले कैमिकल वेस्टेज की वजह से राजस्थान की नहरों में आ रहा दूषित पानी, मांग के बाद भी कोई समाधान नहीं!
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पंजाब की फैक्ट्रियों से निकले कैमिकल वेस्टेज की वजह से राजस्थान की नहरों में आ रहा दूषित पानी, मांग के बाद भी कोई समाधान नहीं!

 हनुमानगढ़ जिले में नहरों में दूषित पेयजल की आपूर्ति होती आई है.पंजाब से नदियों से आ रहे पानी में पंजाब की फैक्ट्रियों से लंबे समय से नदियों में कैमिकल वेस्टेज डाले जाते रहे हैं, जिसको लेकर कई बार मांग भी उठी, लेकिन समाधान का आज भी इंतजार है.

  दूषित पेयजल आपूर्ति के लिए एक मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी विचाराधीन है.

 हनुमानगढ़: जिले में नहरों में दूषित पेयजल की आपूर्ति होती आई है. पंजाब से नदियों से आ रहे पानी में पंजाब की फैक्ट्रियों से लंबे समय से नदियों में कैमिकल वेस्टेज डाले जाते रहे हैं, जिसको लेकर कई बार मांग भी उठी, लेकिन समाधान का आज भी इंतजार है. आईजीएनपी मे रिलाइनिंग के चलते हुई नहर बंदी के बाद नहरों में पानी बिलकुल काला नजर आने लग गया है. जिसके चलते आमजन की चिंताएं बढ़ गई हैं. पंजाब की फैक्ट्रियों का केमिकल वेस्ट पानी में मिलने के बाद दूषित पेयजल जहरीला भी होता रहा है, जिसपर एनजीटी में मामला लंबित भी है. इसी दूषित पेय जल से क्षेत्र में कैंसर और अन्य असाध्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा होता रहा है.

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पूर्व सिंचाई मंत्री डॉक्टर रामप्रताप ने राजस्थान को हो रहे दूषित पेयजल की आपूर्ति को लेकर नाराजगी जाहिर की है. पूर्व मंत्री ने बताया कि दो दिन पहले पंजाब में नहरों पर चल रहे राइलाइनिंग का काम को देखने के दौरान उन्होंने राजस्थान को आपूर्ति होने वाले पानी को देखा जो कि बिलकुल काले रंग का था, पंजाब के एईएन ने मौके पर पहुंच जानकारी दी कि सरहिंद फीडर में स्टोर ये 2000 क्यूसेक पानी पेयजल आपूर्ति के लिए रखा गया है. पूर्व मंत्री ने कहा कि 2000 में से अगर 700-800 पानी भी अगर दूषित है, तो वो भी पीने लायक नहीं रहता. उन्होंने आमजन से अपील की है कि विभाग चाहे कुछ भी कहे लेकिन पानी उबाल कर और छान कर ही पिएं. ताकि खुद और परिवार को बीमारी से बचाया जा सके.

 दूषित पेयजल आपूर्ति के लिए एक मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी विचाराधीन है जिसमे पंजाब के शहरो का गंदा पानी नहरों में आने से पहले ट्रीटमेंट की मांग की गई थी. उन्होंने बताया कि भाजपा सरकार के समय हनुमानगढ़ जिले आमजन को स्वच्छ पानी 40 फीट तक की हाइट तक के प्रेशर से मिले इसके लिए करीब 281 करोड़ का एक प्रोजेक्ट मंजूर हुआ था. जिसको लेकर काम भी शुरू हो गया था. हनुमानगढ़ में विभाग के एक अधिशासी अभियंता की नियुक्ति भी हो गई थी, कच्ची डिग्गी भी बना दी गई थी, लेकिन सरकार बदलने के साथ ही पूरी योजना ठंडे बस्ते में चली गई. ये योजना जो पेयजल जैसी आम आदमी की मूलभूत सुविधा से जुड़ी थी, इसको क्यों और किन कारणों से रोका गया ये समझ से परे है.

इस मामले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ले जाने वाले हनुमानगढ़ के अधिवक्ता शंकर सोनी का दर्द है कि 40-45 वर्ष पुरानी इस समस्या को लेकर उन्होंने और उनके साथियों ने लंबी लड़ाई लड़ी मगर कोई नतीजा नहीं निकला. पंजाब और राजस्थान में कई बार एक ही पार्टियों की और गठबंधन की सरकारें आई मगर किसी भी सरकार या राजनैतिक दल ने नागरिकों की इस बड़ी समस्या के समाधान के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किए. यहां तक कि मामला जो एनजीटी में गया तो राजस्थान सरकार इसके खिलाफ एनजीटी में चली गई. क्योंकि यह मामला राजस्थान के 10 जिलों से और लाखों नागरिकों की जिंदगी से जुड़ा हुआ है, ऐसे में शंकर सोनी का कहना है कि इस मुद्दे का बिना किसी राजनीतिकरण के तुरंत समाधान होना चाहिए.

वहीं सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर अमरजीत मेहरड़ा का कहना है कि विभाग लगातार पंजाब से आने वाले पानी की मॉनिटरिंग करता है. जब भी इस तरह की कोई शिकायत या निरीक्षण में बात सामने आती है, तो पंजाब के अधिकारियों से बात कर समस्या का निस्तारण भी करवाया जाता है. पानी के रंग बदले हुए होने के सवाल पर चीफ ने कहा कि पानी में पत्ते वगैरह से भी रंग बदल जाता है. जलदाय विभाग भी लगातार पानी को टेस्ट करवाता है, ताकि प्रदूषित पानी की आपूर्ति को रोका जा सके. चीफ सिंचाई विभाग उत्तर ने कहा कि वे खुद विभागीय अधिकारियों के साथ समय समय पर निरीक्षण करते रहते है ताकि राजस्थान को आपूर्ति होने वाला जल प्रदूषित ना हो, इसको लेकर विभाग लगातार अलर्ट पर है.

राजस्थान के 10 जिलों और पंजाब के कई जिलों से जुड़ा हुआ दूषित पेयजल वितरण का यह मामला इतना गंभीर है, उसके मुकाबले में दोनों राज्यों की सरकारें इस मामले में बिल्कुल भी गंभीर नहीं है और श्री गंगानगर हनुमानगढ़ जिला में खासकर इस दूषित पेयजल के कारण कैंसर और अन्य लोग घर-घर तक पहुंच चुके हैं. नागरिकों को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने वाली राजस्थान सरकार भी इस मुद्दे पर गंभीरता नहीं दिखा रही. ऐसे में बरसों से राजस्थान के नागरिक इस गंभीर समस्या से परेशान हैं. अभी भी लगता नहीं है कि इस समस्या का जल्द ही कोई समाधान किसी भी पार्टी की कोई भी सरकार कर सकेगी.

Report-Manish Sharma

 

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