जयपुर: राजस्थान पुलिस के एक लाख से ज्यादा कर्मचारी-अधिकारी अब अपनी वर्दी का कपड़ा खुद खरीद सकेंगे. सरकार ने पुलिसकर्मियों को वर्दी ग्रांट के रूप में सात हजार रुपए सालाना देने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सहमति के बाद अब जल्द ही इसके आदेश जारी होंगे.
खाकी कपड़े से बनी वर्दी पुलिस की पहचान है. अभी वर्दी का कपड़ा और वर्दी के साथ 42 आइटम्स पुलिसकर्मियों को राज्य सरकार की तरफ से दिए जाते है. इन सबके लिए बजट में सालाना 42 करोड़ का प्रावधान किया जाता है. वहीं पुलिसकर्मियों को वेतन के लिए वर्दी धुलाई के लिए तनख्वाह के साथ हर महीने करीब 113 रुपए का भत्ता दिया जाता है. राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल से एएसआई तक करीब एक लाख कर्मचारी हैं. ऐसे में तनख्वाह के साथ हर साल करीब 13 करोड़ 56 लाख रुपए दिए जा रहे हैं.
दरअसल, पुलिसकर्मियों को मुहैया कराया जा रहा वर्दी का कपड़ा ज्यादा अच्छी क्वालिटी का नहीं होता जिसे पुलिसकर्मी ले तो लेते हैं, लेकिन सिलवाते नहीं. ऐसे में पुलिसकर्मियों की मांग थी कि उन्हें वर्दी के कपड़े के बदले निश्चित राशि दे दी जाए. पुलिस मुख्यालय की ओर से इस संबंध में सरकार को प्रस्ताव भिजवाया गया था. ऐसे में पुलिस ने वर्दीग्रांट को बजट घोषणा में भी शामिल कर लिया. जिसके बाद अब सरकार की प्रस्ताव को मंजूरी मिलने पर पुलिस कर्मियों में खुशी की लहर है.
राजस्थान पुलिस में पुलिसकर्मियों को वर्दी ग्रांट के रूपए में सात हजार रुपए दिए जाने के बाद हर साल करीब 70 करोड़ रुपए का प्रावधान किया जाएगा. इसमें वर्दी कपड़ा औऱ आयटम्स के 42 करोड़ और धुलाई के लिए दिए जाने वाले 13 करोड़ 56 लाख को मिलाकर करीब 56 करोड़ रुपए बैठता है. ऐसे में ग्रांट मंजूर करने के बाद सरकार को हर साल 14 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे. हालांकि ग्रांट मंजूर किए जाने के बाद पुलिस के लिए ट्रांपोट्रेशन खर्च के साथ ही मानव श्रम भी बच जाएगा.