Jaipur: स्वच्छता सर्वेक्षण सोमवार से शुरू होने जा रहा हैं, जो 28 मार्च तक चलेगा. लेकिन पिंकसिटी में स्वच्छता सर्वेक्षण की तस्वीर गंदगी में सनी हैं. केंद्र से शहरी विकास मंत्रालय की टीम कभी भी जांच-परखने के लिए आ सकती हैं. दोनों नगर निगम की मुखिया समितियों में उलझी हुई हैं.
दिखावे के लिए दोनों नगर निगमों में स्वच्छता सर्वेक्षण के पोस्टरों का विमोचन किया जा रहा हैं. अधिकारियों को बुलाकर स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर बैठकों के लिए चिंतन-मंथन किया जा रहा हैं. लेकिन शहर के हालात दिन पर दिन बिगड़ते जा रहे हैं.
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दरअसल, जयपुर में दोनों ही जगह शहरी सरकार में चुनावी रंग उतरने का नाम नहीं ले रहा हैं. स्वच्छता सर्वेक्षण का काम छोड़कर दोनों नगर निगमों में समितियों को लेकर बखेड़ा चल रहा हैं. राज्य सरकार और नगर निगम ग्रेटर के बीच संचालन समितियों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है और नगर निगम हैरिटेज में भी समितियों के गठन को लेकर मामला बढ़ता ही जा रहा हैं.
इनकी लड़ाई में जयपुर शहर की सफाई व्यवस्था फंस गई हैं. बीवीजी की गाड़ियां कचरा उठाने के लिए नहीं पहुंच रही हैं. कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने से गाडियां रोककर जाम लगाया जा रहा हैं. पार्षद धरने पर बैठ रहे हैं. इतना सबकुछ होने के बावजूद दोनों ही मुखिया पदभार संभालने के बाद से जयपुर को नंबर वन बनाने का राग अलाप रही हैं.
मेयर डॉक्टर सौम्या गुर्जर ने कहा की स्वच्छता सर्वेक्षण के समय जिस तरह विकास कार्य रोकने का काम किया जा रहा हैं वह ठीक नही हैं. वहीं, हैरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर का कहना हैं जागरूकता अभियान चलाया है और जयपुर हैरिटेज नगर निगम की रैकिंग इस बार अच्छी आएगी. लेकिन धरातल पर ना तो शहर में सीवरेज की लाइनें साफ हो रही है ना ही हूपर पहुंच रहे हैं.
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बैठकों में चिंतन-मंथन का दौर जारी
- 10 फरवरी को ग्रेटर आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव की अध्यक्षता में स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर बैठक हुई. मेयर ने सभी अधिकारियों को फील्ड में रहकर सफाई व्यवस्था दुरस्त करने के निर्देश दिए,
- 22 फरवरी को नगर निगम हैरिटेज में मेयर मुनेश गुर्जर और आयुक्त लोकबंधु ने स्वच्छता सर्वेक्षण पोस्टर का विमोचन किया.
- 25 फरवरी को ग्रेटर निगम आयुक्त ने अधिकारियों को फील्ड में रहने के निर्देश दिए, साथ में प्रतिष्ठानों पर डस्टबिन रखवाने के निर्देश दिए.
दोनों नगर निगम की मुखिया ने डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण का काम कर रही बीवीजी कंपनी को काम सुधारने की हिदायत दी. पार्षदों ने बीवीजी कंपनी को हटाने तक की बात कही. लेकिन आज तक कोई सुधार और बदलाव नही आया.आज भी कुछ इलाकों में हूपर का आना बंद हो गया है और कुछ जगह जहां हूपर पहुंच रहा हैं. वहां दो से तीन दिन का इंतजार करना पड़ रहा हैं. लोग अभी भी गीला और सूखा कचरा अलग-अलग नहीं डाल रहे हैं. जबकि सर्विस लेवल प्रोगेस में 600 अंक गीला और सूखा कचरा अलग-अलग करने पर ही मिलेंगे. साथ ही 800 अंक कचरा निस्तारण के दिए जाएंगे. यह बीवीजी कंपनी के कामकाज पर निर्भर करता है.