Jhunjhunu: शेखावाटी के सांईं का 109वां निर्वाणोत्सव, मुख्य मार्गों से निकाली गई शोभयात्रा
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Jhunjhunu: शेखावाटी के सांईं का 109वां निर्वाणोत्सव, मुख्य मार्गों से निकाली गई शोभयात्रा

 शहर के मुख्य मार्गों से निकाली गई इस शोभायात्रा में हाथों में ध्वज पताकाएं लिए श्रद्धालु हुए शामिल.

मुख्य मार्गों से निकाली गई शोभयात्रा.

Jhunjhunu: बिरला परिवार को वरदान देने और शेखावाटी के सांईं के रूप में पूजे जाने वाले परमहंस पंडित गणेश नारायण बावलिया बाबा (Paramhans Pandit Ganesh Narayan Bavaliya Baba) का ​109वां निर्वाणोत्सव ​झुंझुनूं के चिड़ावा कस्बे में मनाया गया. इस मौके पर निकाली गई शोभायात्रा में बावलिया बाबा की युवा व्यवसायी मनोज फतेहपुरिया ने अपनी पत्नी निशा के साथ पूजा अर्चना की. शहर के मुख्य मार्गों से निकाली गई इस शोभायात्रा में हाथों में ध्वज पताकाएं लिए श्रद्धालु शामिल हुए.

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वहीं बाबा के समाधि स्थल पर हुए आयोजन में समाजसेवी झंडीप्रसाद हिम्मतरामका परिवार की ओर से ​दो दिनों तक प्रसाद वितरण किया गया. वहीं मंदिर परिसर को भी फूलों से सजाया गया. यहां पर आयोजित होना वाला मेला और भंडारा कोरोना के चलते नहीं लगाया गया. वहीं श्रद्धालुओं को दर्शन भी कोरोना गाइडलाइन के तहत ही कराए गए. इसी तरह बाबा की साधना स्थली चौरासिया मंदिर में जागरण समिति की ओर से मंदिर को सजाया गया. साथ हलवे, चने और गोंद के लड्डूओं का प्रसाद वितरित किया गया. इसके अलावा बुगाला, नवलगढ़ आदि क्षेत्रों में भी बाबा के निर्वाणोत्सव पर कार्यक्रम हुए. 

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आपको बता दें कि परमहंत पंडित गणेशनारायण बावलिया बाबा मूल रूप से झुंझुनूं के बुगाला के रहने वाले थे. उन्होंने ना केवल बिरला ​परिवार को वरदान दिया. बल्कि उनके चमत्कार के किस्से आज भी काफी चर्चित है. वे एक अघोरी संत थे. हर साल उनके निर्वाणोत्सव पर दो दिवसीय आयोजन होते हैं लेकिन कोरोना के चलते दो—तीन सालों से इन आयोजनों को नहीं किया जा रहा. इस बार कोरोना से पिछले वर्षों के मुकाबले राहत होने के चलते दर्शन का कार्यक्रम रखा गया. ​सुबह से ही बाबा के दर्शन कर उन्हें प्रसाद लगाने वालों की तांता लग गया था. वहीं कोरोना गाइडलाइन की पालना करवाने के लिए प्रशासन और पुलिस ने भी चाक चौबंद व्यवस्था की थी. बाबा की ख्याति केवल शेखावाटी में ही नहीं, बल्कि मुंबई, सूरत, बैंगलोर, वापी, हैदराबाद आदि बड़े शहरों में भी उनके निर्वाणोत्सव पर कार्यक्रम होते हैँ. वहीं कई जगहों पर उनके मंदिर बने हुए हैं.

Report: Sandeep Kedia

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