दलबदल को लेकर 4 विधायकों का दिल्ली में डेरा, सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता देवदत्त कामत से की मुलाकात
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दलबदल को लेकर 4 विधायकों का दिल्ली में डेरा, सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता देवदत्त कामत से की मुलाकात

बसपा से कांग्रेस में आए 4 विधायक दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. राजेंद्र गुढ़ा, लाखन सिंह मीणा, संदीप यादव और वाजिब अली ने दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के वकील देवदत्त कामत से मुलाकात की. 

कांग्रेस विधायक मिले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत से.

Jaipur : बसपा से कांग्रेस में आए 4 विधायक दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. राजेंद्र गुढ़ा, लाखन सिंह मीणा, संदीप यादव और वाजिब अली ने दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के वकील देवदत्त कामत से मुलाकात की. इन सभी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दाखिल किए जाने वाले जवाब को लेकर देवदत्त कामत से चर्चा की. आपको बता दें कि बसपा (BSP) के कांग्रेस में विलय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सभी 6 विधायकों से 4 हफ्ते में फाइनल जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन विधायकों की सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा है.

इन विधायकों के लिए ना माया मिली ना राम वाली स्थिति हो गई है यानी सदस्यता जाने का भी डर है और ना ही कांग्रेस (Congress) में मंत्री बन पाए हैं. वहीं, नौबत यहां तक आ गई है कि इन विधायकों में भी दो गुट बन गए हैं. छह में से चार विधायक दिल्ली में है तो 2 विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) से मुलाकात कर उनके प्रति अपना भरोसा जाहिर किया है. गहलोत सरकार के लिए राहत की बात यह है कि अगर सुप्रीम कोर्ट इन विधायकों की सदस्यता खत्म करता है तब भी आंकड़ों के लिए लिहाज से सरकार पर किसी तरह का कोई संकट नहीं है.

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क्या है दल बदल कानून
साल 1985 में 52वें संविधान संशोधन के माध्यम से देश में दल बदल विरोधी कानून पारित किया गया था. साथ हीं, संविधान की दसवीं अनुसूची, जिसमें दल बदल विरोधी कानून शामिल को संशोधन के माध्यम से भारतीय संविधान से जोड़ा गया. इस कानून का उद्देश्य भारतीय राजनीति में दल बदल की कुप्रथा को खत्म करना था.

इस कानून के तहत अगर एक निर्वाचित सदस्य स्वेच्छा से राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ देता है या निर्वाचित सदस्य किसी राजनीतिक दल में शामिल हो जाता है. साथ ही किसी सदन के सदस्य की ओर से पार्टी के विपरीत वोट किया जाता है या खुद को वोटिंग से अलग रखता है तो दल विरोधी कानून के तहत जनप्रतिनिधि को अयोग्य घोषित किया जा सकता है.

कानून के मुताबिक सदन के अध्यक्ष के पास सदस्यों को योग्य करार देने के संबंध में निर्णय लेने की शक्ति है.

दल बदल विरोधी कानून में कुछ ऐसी विशेष परिस्थितियों का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें दल बदल करने पर भी सदस्य को अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकेगा. दल बदल विरोधी कानून में एक राजनीतिक दल को किसी अन्य राजनीतिक दल में और उसके साथ विलय करने की अनुमति दी गई है. बशर्ते कि उसके कम से कम दो तिहाई विधायक विलय के पक्ष में हो. ऐसे में न तो दल बदल रहे सदस्यों पर कानून लागू होगा और ना ही राजनीतिक दल पर. इसके अलावा सदन के अध्यक्ष बनने वाले सदस्य को इस कानून से छूट प्राप्त होगी.

 

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