ठगी की दुनिया में लॉन्च हो गई है एक नई टेक्नोलॉजी, जानिए कैसे काम करता है Raspberry Pi
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ठगी की दुनिया में लॉन्च हो गई है एक नई टेक्नोलॉजी, जानिए कैसे काम करता है Raspberry Pi

सीधा एटीएम के सर्वर को हैक करके पैसे चुराये जा सकते है. इसके लिए एक छोटी सी डिवाईस के जरिये एटीएम को का सर्वर ठग अपने कंट्रोल में कर लेते हैं. इस डिवाइस का नाम है रास्पबेरी पाई. 

रास्पबेरी पाई (फाइल फोटो)

Jaipur : साइबर ठगी (Cyber Crime) देश ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए एक बड़ी चिंता का कारण बन गया है. अब तक एटीएम (ATM) से कार्ड बदलकर रुपये निकालने, क्रेडिट कार्ड (Credit Card) के ज़रिये ठगी जैसे मामले तो आपने कई सूने होंगे, लेकिन आज आपको एक ऐसे मामले के बारे में बताते हैं जिसे सूनकर आप हैरान रह जायेंगे कि जो एक ऐसी टेक्नोलोजी (Technology) के जरिये एटीएम से रुपये गायब कर सकते हैं, जिसके बारे में शायद पुलिस भी अनुमान ना लगा पाये. इसका पता तब चला जब ऐसी ठगी राजस्थान में हुई है.

एटीएम में तोड़फोड़, लूट की वारदात, एटीएम को गैस कटर से काटकर चोरी जैसी घटनाओं को रोकने में पुलिस सफल नहीं हो पा रही है. ऐसे में बदमाशों ने अब एक ऐसा तरीका ईजाद कर लिया जिसके जरिये सीधा एटीएम के सर्वर को हैक करके पैसे चुराये जा सके. इसके लिए एक छोटी सी डिवाईस के जरिये एटीएम को का सर्वर ठग अपने कंट्रोल में कर लेते हैं. इस डिवाइस का नाम है रास्पबेरी पाई (Raspberry Pi works) और बदमाश एटीएम का लोकल सर्वर बनाने के लिए अब इसके एडवांस वर्जन यानि कि रास्पबेरी पाई थ्री का इस्तेमाल करने लगे हैं. रास्पबेरी पाई की डिवाइस को कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन मंगवा सकता है. इसका इस्तेमाल छात्र अपना प्रोजेक्ट (Project) बनाने के लिए करते हैं, लेकिन इस डिवाइस में मालवेयर डालकर ठग इन डिवाईस को ठगी के लिए इस्तेमाल करने लगते हैं.

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साइबर एक्सपर्ट सन्नी नेहरा (Cyber Expert) बताते हैं कि एटीएम से पैसे निकालने के लिए ठग रास्पबेरी पाई टैक्नोनॉजी का उपयोग करते है जो कि एक मिनि कम्प्यूटर और मदरबोर्ड जैसा होता है. हालांकि केवल रास्पबेरी पाई के जरिये ठगी करना संभव नहीं जब तक आप इसे ब्लेक बॉक्स नहीं बना लेते. ब्लेक बॉक्स बनाने से मतलब है कि डार्क वेब से आप एक ऐसा कोड ले जिसे रास्पबेरी पाई में इंस्टाल किया जा सके. उसके बाद ये डिवाइस एटीएम ठगी करने के लिए तैयार हो जाती है. कुछ हैकर इसके लिए एटमस्पीटर, कटलेट मेकर, ग्रीन डिस्पेंसर और फ़ास्ट केश जैसे मालवेयर का इस्तेमाल करते हैं. ये मालवेयर डार्कनेट से हैकर खरीद लेते है. हालांकि आम आदमी की पहूंच डार्क नेट तक नहीं होती, लेकिन ये हाइटेक ठग इतने शातिर होते है कि कई साइबर एक्सपर्ट (Cyber Expert) को भी अपनी टीम में रखते हैं और उनके जरिये ऐसी डिवाईस तैयार करवाकर ठगी की जाती है.

साइबर एक्सपर्ट (Cyber Expert) सन्नी नेहरा ने बताया कि ठगों की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली ये डिवाइस ऐसी एटीएम मशीनों पर ही काम करती है जो कि पुराने मैनुअल सेटिंग सिस्टम पर काम कर रहे होते हैं. ऐसे एटीएम में जाकर वह इस डिवाइस को एटीएम में लगाकर वाई-फाई के जरिए पहले तो मेन सर्वर को हटाया जाता है और उसके बाद नया लोकल सर्वर बनाकर पैसे निकाल लेते हैं. राजस्थान पुलिस ने 2 ऐसी महिलाओं को भी गिरफ्तार किया है जिन्होंने ऐसी ही डिवाइस के ज़रिये वारदात को अंजाम दिया था. इन महिलाओं ने इस तरह के एटीएम मशीनों को ही शिकार बनाया था, जिनका सिस्टम आउटडेटेड था. आर.बी.आई ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि बैंक अपनी एटीएम मशीनों में पूराने ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल ना करें. इसके बावजूद देश के कई बैंक आज भी एटीएम मशीनों में विंडो के माइक्रोसॉफ़्ट एक्सपी वर्जन का इस्तेमाल कर रहे हैं जिनका अपडेट देना माइक्रोसॉफ़्ट ने कई साल पहले ही बंद कर दिया है. ऐसे सिस्टम को हैक करना ठगों के लिए आसान होता है.

इस तरह की वारदातों ने बैंक के साथ-साथ पुलिस के सामने भी साइबर क्राइम (Cyber Crime) को रोकने के लिए एक बड़ी चुनौती दे दी है. पुलिस के साथ साथ बैंक को भी जरुरत है कि अपने सिस्टम को अपडेट करें, जिससे साइबर ठग अपने मंसुबों में कामयाब नहीं हो सके साथ ही पुलिस को भी अपने सिस्टम को हाइटेक बनाने की जरुरत है.

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