Jaipur : केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जिस भाषा का प्रयोग राजस्थान के मुख्यमंत्री इनदिनों कर रहे हैं, उसकी अपेक्षा एक राज्य के मुखिया से नहीं की जा सकती. शेखावत ने कहा कि गहलोत साहब के बिगड़े बोल से स्पष्ट लग रहा है कि वो गहरे मानसिक दबाव में हैं. एक ओर कुर्सी जाने का डर हमेशा उन्हें सताता रहता है, दूसरा राज्य उनसे संभल नहीं रहा है. कानून-व्यवस्था समेत राज्य में सबकुछ चौपट हो गया है.


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शनिवार को केंद्रीय मंत्री शेखावत ने बयान जारी कर कहा कि साल 2020 में जब गहलोत साहब की कुर्सी पर संकट आया था, तब भी उन्होंने सचिन पायलट के लिए ऐसी ही भाषा का प्रयोग किया था और नकारा, निकम्मा जैसे शब्द बोले थे। पिछले दिनों जब राहुल गांधी ने सचिन पायलट की तारीफ कर दी तो गहलोत साहब को फिर कुर्सी पर संकट नजर आने लगा है. उसी दिन से वो बेचैन हैं.



शेखावत ने कहा कि पहले मुख्यमंत्री ने सचिन पायलट पर मुझसे मिलकर सरकार गिराने का षड्यंत्र रचने का झूठ बोला. जब इससे भी मन नहीं भरा तो मेरे लिए भी उन्हीं शब्दों का प्रयोग करने लगे, जिनका सचिन पायलट के लिए करते आ रहे हैं. वैसे भी वर्ष 2019 में जबसे जोधपुर की जनता ने गहलोत साहब के पुत्र के बजाय मुझे सेवा का मौका दिया है, वो मेरे प्रति द्वेष रखते आ रहे हैं.



केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट कहा कि ईआरसीपी को लेकर भी एक झूठ गहलोत साहब रोज बोल रहे हैं. वो यह की प्रधानमंत्री जी ने राष्ट्रीय परियोजना का वादा किया था. मैं पहले भी स्पष्ट कर चुका हूं कि वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री जी ने ईआरसीपी को लेकर जयपुर में केवल इतना कहा था, कि यह योजना मेरे पास में भेजी गई है, वसुंधरा जी ने भेजी है, बहुत सारे विधायक भी मुझसे मिले हैं. सारे पक्षों से बातचीत कर हम इस पर संवेदनशीलता से विचार करेंगे.


शेखावत बोले कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजमेर में भी कहा था कि इस योजना पर विचार चल रहा है. हम सहानुभूतिपूर्वक विचार कर रहे हैं.  उन्होंने राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की बात नहीं कही. शायद गहलोत साहब को उम्मीद है कि एक झूठ सौ बार बोलने से वो सच हो जाएगा, पर ऐसा होता नहीं है.



केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ईआरसीपी को लेकर गहलोत साहब केवल और केवल भ्रम की राजनीति कर रहे हैं, जो पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों की जनता के साथ अन्याय है. नियमों पर न चलकर गहलोत साहब पूरे देश के व्यापक जल संबंधों को लेकर एक नई चुनौती खड़ा करना चाहते हैं, जबकि वर्ष 1952 से लेकर अब तक विभिन्न सरकारों ने अलग-अलग समय पर इस बात की पुनर्समीक्षा की है और जितने नोटिफिकेशन निकले हैं, वो केंद्र में कांग्रेस सरकार के समय निकले हैं. चाहे वो 1998, फरवरी 2014 या फिर उससे पहले निकले हों. 


सभी नोटिफिकेशन में भारत सरकार ने व्यापक स्तर पर ये तय किया था कि 75 प्रतिशत डिपेंडबिलिटी हो, तभी कोई नया प्रोजेक्ट कंसीव किया जा सकेगा. गहलोत साहब 50 प्रतिशत डिपेंडबिलिटी पर प्रोजेक्ट बनाकर भेजेंगे और फिर भारत सरकार को कहेंगे कि आप इसको मंजूर कर दो तो साफ है कि यह 13 जिलों की जनता की प्यास बुझाने नहीं, अपनी राजनीतिक मंशाओं की पूर्ति की कोशिश मात्र है.


शेखावत ने कहा कि गहलोत साहब से बस इतना सा अनुरोध है, इधर-उधर की बातों में जनता को उलझाने से आपकी कुर्सी बचने वाली नहीं है. आप पहले चुनाव के समय प्रदेश की जनता से किए अपने वादे निभाएं, किसानों का कर्ज माफ करें, बेरोजगारों को भत्ता दें, तुष्टीकरण की राजनीति छोड़कर प्रदेश में अमन-चैन कायम करें, प्रदेश की कानून-व्यवस्था पटरी से उतर गई है, प्रदेश को रेपिस्तान कहा जाने लगा है, प्रदेश में कानून का राज कायम करें, ताकि जनता सुख-शांति से रह सके.


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