लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इनके लिए प्रबोधन कार्यक्रम का किया उद्घाटन, कही ये बड़ी बात
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लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इनके लिए प्रबोधन कार्यक्रम का किया उद्घाटन, कही ये बड़ी बात

बिरला ने सुझाव दिया कि सदन में कानून के निर्माण के समय भी जनप्रतिनिधि उस पर व्यापक चर्चा और विचार करें ऐसा इसलिए है कि यह कानून ही आगे जाकर सामाजिक-आर्थिक बदलाव लाते हैं.

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इनके लिए प्रबोधन कार्यक्रम का किया उद्घाटन, कही ये बड़ी बात

Jaipur: लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को संसद भवन परिसर में लोक सभा सचिवालय द्वारा आयोजित महाराष्ट्र विधान सभा और विधान परिषद के सदस्यों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस अवसर पर उन्होंने विधायकों से कहा कि जनप्रतिनिधियों के आचरण और व्यवहार पर ही प्रतिनिधि संस्थाओं की गरिमा निर्भर करती है और सदन की मर्यादा कम होना लोकतंत्र के लिए खतरा है. उन्होंने विधायकों से आग्रह किया कि प्रतिनिधि संस्थाओं के सदस्य होने के नाते वे इन संस्थाओं की प्रतिष्ठा और मर्यादा को ऊंचा उठाने में योगदान दें.

उन्होंने यह भी कहा कि सदन में बैठकों की कम होती संख्या और कार्यवाही में बढ़ते अवरोध जैसे विषयों पर भी हमें चिंतन करना चाहिए जिससे इन संस्थाओं में लोगों का विश्वास बना रहे. बिरला ने कहा कि जनता के भरोसे पर खरा उतरने के दायित्व के प्रति जनप्रतिनिधियों को हमेशा संवेदनशील रहना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि जनता की आवाज सदन के माध्यम से सरकार तक पहुंचाने में जनप्रतिनिधियों की सक्रिय सहभागिता आवश्यक है. एक विधायक का प्राथमिक कर्तव्य होता है कि वह लोगों की समस्याओं और चिंताओं के प्रति उत्तरदायी बने. उन्होंने जोर देकर कहा कि जनप्रतिनिधि को सदन में जनता की शिकायतों को उठाकर उनकी आवाज बनना चाहिए जिससे सरकार उनके त्वरित समाधान के लिए उचित कदम उठा सके.

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बिरला ने सुझाव दिया कि सदन में कानून के निर्माण के समय भी जनप्रतिनिधि उस पर व्यापक चर्चा और विचार करें ऐसा इसलिए है कि यह कानून ही आगे जाकर सामाजिक-आर्थिक बदलाव लाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि कानून के निर्माण के समय सभी वर्गों की बात का समावेश उसमें होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे सदन के पुराने डिबेट्स को पढ़ें, जो उन्हें विषयों को गहनता से समझने में मददगार सिद्ध होंगे. उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को संबंधित क्षेत्र से जुड़ी शोध सहायता उपलब्ध होनी चाहिए क्यूंकि जीवंत लोकतंत्र के लिए उन्हें विषय की समूचित जानकारी होना आवश्यक है.

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि विधायक जनता से जुड़ाव को बढ़ाने, उनकी आशाओं-अपेक्षाओं को जानने तथा विभिन्न विषयों पर उनका फीडबैक प्राप्त करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का भी सहारा लें. विधान मंडलों की कार्यवाही को आधुनिक तकनीक से युक्त करने की आवश्यकता के बारे में उन्होंने ‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफार्म’ को एक तय समय सीमा के भीतर तैयार करने पर जोर दिया.

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