जो कल तक सड़कों पर मांगते थे भीख, आज हजारों को परोस रहे हैं 2 वक्त का निवाला
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जो कल तक सड़कों पर मांगते थे भीख, आज हजारों को परोस रहे हैं 2 वक्त का निवाला

जो कल तक दूसरों पर आश्रित थे वह आज किसी का सहारा बन रहे हैं. कोरोना महामारी (Coronavirus) में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है.

जो कल तक सड़कों पर मांगते थे भीख, आज हजारों को परोस रहे हैं 2 वक्त का निवाला

Jaipur : जो कल तक दूसरों पर आश्रित थे वह आज किसी का सहारा बन रहे हैं. कोरोना महामारी (Coronavirus) में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है. कभी चौराहों के सड़क किनारे हाथ फैलाकर भीख मांगने वाले ये भिखारी आज लोगों की बढ़चढ़कर मदद करते हुए नजर आ रहे हैं. बीते वक्त के भिक्षुक अब कैटरिंग प्रशिक्षु है. 

अक्षय पात्र फाउंडेशन (Akshay Patra Foundation) की ओर से इस समय गरीब और असहाय लोगों तक भोजन पहुंचाने का काम किया जा रहा है और इस काम में जो लोग लगे हैं उनको देखकर कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता कि कल तक यह लोग खुद मांग कर अपना गुजारा बसर कर रहे थे, लेकिन आज यह लोग इस कोरोना महामारी में लोगों के लिए मसीहा साबित हो रहे हैं. अक्षय पात्र की रसोई में काम करने वाले ये लोग यहां के रसोईया या हलवाई नहीं हैं. 

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यह वो लोग है जो अब आत्मनिर्भर होकर कोरोना महामारी (Covid 19) में मरीजों के परिजनों के लिए भोजन तैयार कर रहे हैं. या उनको खाना पहुंचा रहे है. जो इस महमारी में दो वक्त की रोटी की जुगत पूरी नहीं कर पाते. आज इतना स्वादिष्ट भोजन और व्यंजन बनाना सीख चुके हैं. वे मजबूरी में कभी दूसरों द्वारा दिए गए भोजन और थोड़े से पैसों पर आश्रित थे.

कौशल विकास एवं आजीविका विकास निगम ने जनवरी में भिक्षुक ओरिएंटेशन एंड रिहैबिलिटेशन कार्यक्रम शुरू किया था. बैगर फ्री सिटी कांसेप्ट के कारण इसमें 40 भिक्षुकों को फुटपाथ से लाकर आवास और आजीविका के लिए कौशल प्रशिक्षण दिया था. इस दौरान उन्हें रहने खाने के साथ 225 रुपए प्रतिदिन स्टाइपेंड भी दिया गया. इसी की बदौलत अब वे इस काबिल हो गए है कि समाज को अपनी ओर से महामारी में निशुल्क सेवांए दे पा रहे हैं.

आज इनके चेहरों पर मजबूरी नहीं बल्की आत्मविश्ववास है. यहां भोजन तैयार कर रहे प्रशिक्षु  रघुनाथ कहते है कि "हम अपनी सेवा से दूसरे की मदद कर पा रहे है यह हमारे लिए अच्छी बात हैं." जबकि यहां प्रॉडक्शन एग्जीक्यूटिव अक्षय पात्र सौरभ शर्मा का कहना है कि "इन लोगों की सेवा की भावना देखकर इनके रोजगार के लिए प्रयत्न करने में हम भी प्रयास जरूर करेंगे."

सरकार के साथ ही यूं तो कई संस्थाओं,प्रतिष्ठानों और दानवीरों ने इस महामारी में लोगों की मदद का बीड़ा उठाया है.लेकिन मौजूदा हालातों को देखते हुए भोर योजना के प्रशिक्षुओं को जब समाज के बुरे हालातों का पता चला तो उन्होंने भी सेवा में अपनी भागीदारी की ठानी. क्योंकि इनका मानना था कि प्रशिक्षण के बाद अब वे भी मदद करने लायक हो गए तो फिर क्यों मुसीबत में फंसे लोगों की जो मदद बन सके की जाए.

बीते महीनों में इन्हें कुकिंग और कैटरिंग का प्रशिक्षण देने वाले सौपान संस्थान के निदेशक जितेन्द्र सिंह बताते है कि "इनके सेवा भाव को देखते हुए अब इन्हें अक्षय पात्र में 15-15 के बैच में लाया जाता है. जहां वे दिनभर कड़ी मेहनत कर अपना पूरा सहयोग देते है. यहां खाना बनाने से लेकर उसे वितरित करने में भी उनका सहयोग होता है. यह इनकी इंटर्नशिप भी हैं साथ ही लोगों की मदद भी. इससे उम्मीद है कि कोरोना काल के बाद आने वाले दिनों में उनकी रोजगार की राह भी आसान हो सकेगी."

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