Jaipur: जयपुर की चौमूं नगरपालिका में GST का बड़ा खेल सामने आया है. इस पूरे मामले में सफाई ठेकाकर्मियों में जुड़ी एक फर्म को प्रतिमाह 4 से 5 लाख रुपए जीएसटी का अतिरिक्त भुगतान किया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक एक्स सर्विसमैन वेलफेयर सोसाइटी के फर्म के जरिए नगरपालिका में सफाई कर्मचारी लगाए गए हैं, इस फर्म का ठेका दिसंबर तक है और जनवरी से अब तक की बात की जाए तो अब तक जीएसटी के नाम पर 32 से 40 लाख रुपए का अतिरिक्त भुगतान फर्म का बनता है. नगरपालिका हर माह फर्म को करीब 150 सफाई कर्मचारियों का 40 से 50 लाख रुपए का भुगतान करती है, जिसमें जीएसटी के भी 5 लाख रुपए शामिल हैं. नियमानुसार सफाई कर्मचारियों के वेतन पर जीएसटी नहीं ली जा सकती है, फिर नगर पालिका पिछले कई सालों से फर्म को GST दे रही है और संवेदक GST के बिल प्रस्तुत कर रहा है. इस तरह लाखों रुपयों का चूना नगर पालिका हर माह सरकार को लगा रही है.


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लेखाकार ने माना भुगतान को अवैध


नगर पालिका के लेखाकार ने भी फर्म को जीएसटी के नाम पर भुगतान को अवैध माना है. दो दिन पहले यह मामला सामने आने के बाद अब नगरपालिका ईओ देवेंद्र जिंदल ने फर्म को जीएसटी के नाम पर किया जा रहा भुगतान रोकने के दिए निर्देश दिए हैं. लेखाकार ने संवेदक से भी जीएसटी जमा कराने का हिसाब मांगा है. ईओ ने बताया कि फर्म को चिट्ठी लिखकर जीएसटी डिपार्टमेंट को जीएसटी चुकाने की रसीद और इसका हिसाब मांगा जाएगा, अगर फर्म ने जीएसटी डिपार्टमेंट को राशि चुकाई है, तो डिपार्टमेंट से अब तक की सारी राशि वापस लौटने के कहा जाएगा. अगर फर्म ने उक्त राशि जमा नहीं कराई है तो संवेदक से वसूली जाएगी. 


अब जब नगर निकायों में शहरी रोजगार गारंटी स्कीम लागू हो चुकी है, तो सफाई कर्मचारियों का ठेका देने की जरूरत ही नहीं है. इन सफाई कर्मियों को शहरी रोजगार गारंटी स्कीम में लगाया जा सकता है. ईओ ने बताया कि पालिका के इन संविदा सफाई कर्मियों को इस स्कीम में शामिल किया जाएगा, इससे नगरपालिका का काफी पैसा बचेगा, जो विकास और अन्य कार्य में काम में आएगा.


कर्मचारियों के वेतन पर जीएसटी नहीं लगता


जीएसटी एक्ट में सफाई कर्मचारियों के वेतन पर जीएसटी नहीं लगता. सलूम्बर (उदयपुर) नगरपालिका ईओ से चौमू ईओ को इस एक्ट की जानकारी मिली, तो यह मामला सामने आया. खास बात यह है एक्स सर्विसमैन वेलफेयर सोसायटी फर्म के पास प्रदेश की काफी नगर निकायों में सफाई कर्मचारियों के ठेके हैं, अगर वहां पर भी जीएसटी के नाम पर फर्म को भुगतान किया जा रहा है, तो यह राशि हर महीने में करोड़ों की हो सकती है. यह जानबूझकर या नियमों से अनभिज्ञ होकर किया जा रहा है, हालांकि यह तो जांच का विषय है. अब जरूरत इस बात की है DLB निदेशक को इस मामले की जांच करवा कर कार्रवाई करनी चहिये, जिससे सरकारी पैसे के दुरपयोग को रोका जा सके.


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