स्थानीय विरोध के चलते छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) ने खनन गतिविधियों को अनुमति देने से रोक लगा दी है.
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Jaipur: राजस्थान की बिजली उत्पादन कंपनियों सामने कोयला आपूर्ति अभी भी चुनौती बना हुआ है. अक्टूबर अंत में केंद्र सरकार (Central Government) से पारसा कोल ब्लॉक खान में माइनिंग की मंजूरी की खुशी नवंबर में काफूर हो गई. स्थानीय विरोध के चलते छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) ने खनन गतिविधियों को अनुमति देने से रोक लगा दी है. 1136 हेक्टेयर खनन लीज से राजस्थान को कोयला आपूर्ति होनी है. अगर अनुमति नहीं मिली तो रबी सीजन में किसानों को मिलने वाली बिजली में कटौती संभावित है. वहीं, घरेलू उपभोक्ताओं पर भी कटौती मार बढ़ सकती है.
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केंद्र सरकार द्वारा राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को 841.538 हैक्टेयर क्षेत्र का छत्तीसगढ़ के सरगुजा परसा कोल ब्लॉक 2015 में आवंटित किया गया था. ऊर्जा विभाग को केन्द्र सरकार से परसा कांता बेसिन के दूसरे चरण के 1136 हैक्टेयर के वन भूमि में वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग से क्लियरेंस मिलने के बाद खनन शुरू करने की तैयारी थी, लेकिन मामला छतीसगढ़ सरकार ने अटका दिया. स्थानीय लोगों के विरोध के चलते छत्तीसगढ़ सरकार ने खनन अनुमति नहीं दी. ऊर्जा मंत्री भंवर सिहं भाटी का कहना है कि यह मुद्दा उनके ध्यान में है, मुख्यमंत्री को सभी तथ्यों से अवगत करवाकर जल्द कोयला खनन शुरू करवाने की कोशिश रहेगी, रबी सीजन में किसानों को बिजली उपलब्धता में कमी नहीं आने दी जाएगी.
छत्तीसगढ़ में भी कांगेस सरकार होने से अब प्रदेश में विपक्ष में बैठी भाजपा ने भी इसे मु्ददा बनाने की तैयारी की है. गौरतलब है कि 841 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र के इस ब्लॉक से कोयले का उत्पादन आरंभ होने पर राज्य को प्रतिदिन करीब 2.7 रैक कोयले की मिल सकेगी. मोटे अनुमान के अनुसार, इस ब्लॉक में 5 मिलियन टन प्रतिवर्ष कोयले का उत्पादन होने की संभावना है. बिजली उत्पादन कंपनियों से कोयले की वर्तमान मांग 72 हजार टन प्रतिदिन के करीब है. विद्युत विभाग को अगर कोयला आपूर्ति सुधारने में सफलता नहीं मिली तो रबी सीजन में कृषि ब्लॉक में विद्युत सप्लाई पर असर दिखेगा. मुश्किल यह है कि आवंटित खनन लीज से कोयला नहीं मिलने पर प्रदेश का बिजली महकमा अब केंद्र पर भी दबाव नहीं बना सकेंगा.