Jaipur: भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (Indian Council of Historical Research) की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव के पोस्टर में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु (Pandit Jawaharlal Nehru) की तस्वीर नहीं लगाने को लेकर विवाद गर्मा गया है. 


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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने इस संबंध में बयान जारी कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार के इस कदम की निंदा करते हुए इसे उनकी छोटी सोच बताया है. सीएम ने अपने बयान में ना केवल पंडित जवाहरलाल नेहरू के आजादी के आंदोलन में जेल में रहने के दौरान उनके साहस का उल्लेख किया है बल्कि जेल में विनायक दामोदर सावरकर के अंग्रेजों से माफी मांगने की घटना का जिक्र करते हुए संघ परिवार पर भी हमला बोला है.


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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक बार फिर से केंद्र सरकार को लेकर हमलावर हैं. इस बार वजह वर्तमान में कोई आंदोलन या केंद्र सरकार की किसी योजना का मसला नहीं है बल्कि भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद की ओर से जारी किए गए आजादी के अमृत महोत्सव के पोस्टर का विवाद है. 


दरअसल, इस पोस्टर में पंडित जवाहर लाल नेहरू की तस्वीर नहीं लगाई है. इसे लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बयान जारी किया है सीएम ने कहा है पंडित जवाहरलाल नेहरु की तस्वीर पोस्टर में नहीं लगाना ना सिर्फ निंदनीय है बल्कि केन्द्र सरकार की छोटी सोच का प्रदर्शन भी है. 


सीएम ने लिखी ये बड़ी बातें
अशोक गहलोत यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू की जेल की सजा की तुलना विनायक दामोदर सावरकर की जेल की सजा से की है सीएम ने लिखा है कि पंडित नेहरू आजादी की लड़ाई के दौरान 9 बार जेल गए. उन्होंने अपने जीवन के 3259 दिन करीब 9 साल जेल में गुजारे. अंग्रेजों का विरोध करते हुए कई बार उन्होंने अंग्रेजों के किए गए बल प्रयोग का सीना तान कर सामना किया. जहां विनायक दामोदर सावरकर ने जेल जाने के एक साल बाद में ही अंग्रेजों से माफी मांगना शुरू कर दिया था और कुल छह बार माफी मांगी एवं जेल से रिहा होने के बाद ब्रिटिश एजेंट बनकर काम किया वहीं पंडित नेहरू फौलाद की तरह अंग्रेजों के सामने खड़े रहे और भारत को आजादी दिलाकर अपना संकल्प पूरा किया. नेहरू ने भारत ही नहीं विश्व पटल पर भी भारत की आजादी की बात मजबूती से रखी. 


जवाहर लाल नेहरू ने त्याग दी थी सुख-सुविधाएं
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि भारत के सबसे अमीर परिवारों में से एक नेहरू परिवार के सदस्य जवाहर लाल नेहरू ने अपने देश की खातिर सारी सुख-सुविधाओं का त्याग कर अपना जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया. नेहरू परिवार के सभी सदस्यों मोतीलाल नेहरू, स्वरूप रानी नेहरू, जवाहर लाल नेहरू, कमला नेहरू, विजयलक्ष्मी पंडित, कृष्णा नेहरू और इन्दिरा प्रियदर्शनी नेहरू का भारत की आजादी की लड़ाई में बड़ा योगदान रहा है. उनके पिता मोतीलाल नेहरू ने अपना घर आनंद भवन भी क्रांतिकारियों के लिए दे दिया था. मोतीलाल नेहरू ने स्वराज पार्टी बनाकर आजादी की लड़ाई को आगे बढ़ाया. आजादी की खातिर अपना घर तक छोड़ देने वाले पंडित नेहरू के योगदान को कमतर दिखाने की कोशिश करना मोदी सरकार की बेवकूफी मात्र है.


नेहरू ने आजाद हिन्द फौज के सैनिकों के मृत्युदंड को माफ करवाया
मुख्यमंत्री ने कहा है कि जब सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज के तीन प्रमुख कमांडरों सहगल, ढिल्लन और शाहनवाज पर अंग्रेजों ने मुकदमा चलाया तो नेहरु ने पूरे देश में इनके समर्थन के लिए कैंपेन चलाया और आईएनए डिफेंस कमिटी बनाई. नेहरु ने अन्य वकीलों के साथ मिलकर लाल किले में वकालत करते हुए इनका मुकदमा लड़ा और आजाद हिन्द फौज के सैनिकों के मृत्युदंड को माफ करवाया जबकि विनायक दामोदर सावरकर ने आजाद हिन्द फौज के खिलाफ ब्रिटिश सरकार की तरफ से लड़ने के लिए युवाओं को ब्रिटिश फौज में भर्ती करवाया. देश के साथ गद्दारी करने वाले ऐसे लोगों को स्वतंत्रता सेनानी बताना सभी स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है.


अपना तन, मन, धन एवं जीवन देश की आजादी की लड़ाई लड़ने एवं आधुनिक भारत की नींव रखने के लिए लगा देने वाले पंडित नेहरू के योगदान को कमतर दिखाने के कुप्रयास का खामियाजा भाजपा सरकार को भुगतना पड़ेगा और समय आने पर देश मोदी सरकार को सबक सिखाएगा.