जयपुर न्यूज: राजस्थान में छत्तीसगढ़ की तर्ज पर डिमांड अब तेज होती नजर आ रही है. निकायों की तरफ पंचायतों में भी सत्ता में भागीदारी की सरकार से मांग की जा रही है.
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Jaipur,Rajasthan: राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही दिव्यांगजनों की पंचायतीराज में सत्ता की भागीदारी की मांग तेज होने लगी है.राज्य में चुनाव से पहले निकायों की तरह पंचायतीराज में पार्षद मनोनीत करने की मांग उठने लगी है.
पंचायतीराज अधिनियम 1993 की धारा में संशोधन
छत्तीसगढ़ सरकार दिव्यांगजनों को राजनीति में समानता का अधिकार देने के लिए उन्हें पंचायतों जनप्रतिनिधि के रूप में काम करने का अवसर दे रही है. वहां जिन पंचायतों में कोई भी दिव्यांग चुनाव जीतकर नहीं आएगा,वहां छत्तीसगढ़ सरकार दिव्यांगजनों को मनोनीत कर सकेगी. इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार पंचायतीराज अधिनियम 1993 की धारा में संशोधन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर चुकी है.
राजस्थान में भी दिव्यांगजनों को पंचायतों की सत्ता में भागीदारी की मांग
अब छत्तीसगढ़ की तर्ज पर राजस्थान में भी दिव्यांगजनों को पंचायतों की सत्ता में भागीदारी की मांग उठने लगी है.सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत भाई गोयल ने सरकार से मांग की है कि निकायों की तरफ पंचायतों में भी दिव्यांगजन पार्षद मनोनीत किया जाए.
विकलांग अधिकार महासभा ने एक बार फिर से आरक्षण की मांग की
प्रदेश में यह पहली बार नहीं है,जब चुनावी सीजन में दिव्यांगों की मांग तेज हुई है,बल्कि सालों ये मांग जारी है. इससे पहले कांग्रेस और बीजेपी सरकार ने भी दिव्यांगजनों की इस मांग को जायज माना है,विकलांग अधिकार महासभा ने एक बार फिर से आरक्षण की मांग की है.
हेमंत भाई गोयल ने पंचायतीराज में दिव्यांगों को भागीदारी मिलनी चाहिए. प्रदेश में 16 लाख दिव्यांग हैं.ऐसे में प्रत्येक दिव्यांग सहित परिवार में अगर चार लोग भी जुड़े हुए हैं तो इन सबकी संख्या 60 लाख से ज्यादा होती है. ऐसे में तमाम पार्टियों के लिए दिव्यांगों के वोट भी माइने रखते है.
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