प्रसाशन की उदासीनता के चलते मनोहरा तालाब में जा रहा गन्दा पानी, जानवरो के पीने योग्य भी नही रहा
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प्रसाशन की उदासीनता के चलते मनोहरा तालाब में जा रहा गन्दा पानी, जानवरो के पीने योग्य भी नही रहा

आबादी बढ़ने के साथ ही नई नई कालोनियां एवं बस्तियां विकसित हो जाने से प्रशासन की अनदेखी के चलते इस तालाब में गन्दे नालो का पानी आ रहा है, जिसके चलते तालाब का पानी जानवरों तक के पीने लायक नहीं रहा.

मनोहरा तालाब.

Jaipur: चाकसू कस्बे के पूर्वी छोर पर स्थित मनोहरा तालाब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. प्राचीन जलाशय के किनारों पर लगभग सभी धर्मों के आस्था केन्द्र स्थापित है. जहाँ कभी इस तालाब का पानी मंदिरो में अभिषेक एवं मस्जिद और मजार में वजु करने और बड़ी स्वामणियो में दाल बनाने और नहाने धोने के काम में आता था. वही आज यह पानी जानवरो के पीने योग्य भी नही रहा. आबादी बढ़ने के साथ ही नई नई कालोनियां एवं बस्तियां विकसित हो जाने से प्रशासन की अनदेखी के चलते इस तालाब में गन्दे नालो का पानी आ रहा है, जिसके चलते तालाब का पानी जानवरों तक के पीने लायक नहीं रहा.

परेशानी की वजह
30 वर्षों में चाकसू की बसावट काफी बढ़ गई है. तालाब के कैचमेंट एरिया तथा पानी के मुख्य नालों के आसपास कई मकान एवं कॉलोनियां विकसित हो गई है. कस्बे में सीवरेज लाइन नहीं होने से इन कालोनियों एवं मकानों का गंदा पानी तालाब के मुख्य नाले में आने लगा, जिससे यह का पानी लगातार प्रदूषित होता जा रहा है.

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मनोहरा तालाब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है
जहाँ कभी इस तालाब का पानी मंदिरो में पूजन अभिषेक, पीने और नहाने धोने के काम मे लेते थे. वही आज यह पानी जानवरो के पीने योग्य भी नही रहा. इस सम्बंध में पहले मौखिक और लिखित नगरपालिका में सूचना भी दी थी लेकिन कोई समाधान नही हुआ सन्त राजेन्द्र पुरी महाराज का कहना है, चाकसू कस्बे के पूर्व में स्थित मनोहरा तालाब में नालो से आधे चाकसू की गंदगी आ रही है जिससे तालाब का पानी बदबूदार और गन्दा रहता है. इससे लोगो में बीमारियों होने का भी डर रहता है महाराज ने मीडिया के माध्यम से प्रशासन से मांग की है कि इन गन्दे नालो के पानी की निकासी सुनियोजित तरीके से कस्बे से बाहर करे जिससे तालाब के पानी को गन्दा होने बचाया जा सके और भविष्य में वापस इस तालाब के पानी का अभिषेक नहाने धोने और पीने के काम में लिया जा सके.

कभी इस तालाब में कमल खिला करते थे,
इस तालाब के किनारे पर चैंपेश्वर महादेव मंदिर, गणेशपुरी धाम (बगीची), वीर तेजाजी मंदिर, ज्ञानेश्वर महादेव मंदिर, गोपीनाथजी मंदिर, लडडू गोपाल जी मंदिर, हनुमान मंदिर और पीर बाबा की मजार स्थित है ,इन मन्दिरो में अभिषेक करने के लिए तालाब का जल ही काम मे लिया जाता था साथ ही चाकसू में बड़े बड़े कार्यक्रमो और स्वामणियो में दाल बनाने के लिए इस तालाब से ही पानी लेते थे. अब प्रसासन की उदासीनता के चलते गन्दे नालो का पानी इसमे छोड़ा जा रहा है.

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सेवानिवृत्त व्याख्याता गोपाल लाल गोस्वामी का कहना है कि जब हम बच्चे थे तब दाल बनाने के लिए इस तालाब से पानी ले जाते थे और मन्दिरो की पूजा में भी इसका पानी ही काम लेते थे लेकिन कालांतर में प्रसासन की उदासीनता के चलते इनमे कस्बे के गन्दे नालो का पानी आने लगा. जिससे आज इस पानी की स्थिति ये ही गई कि कोई व्यक्ति इस पानी को छू भी लेता है तो उसको घर पे या हैंडपंप पर जाकर हाथ धोना पड़ता है. अतः प्रशासन से अनुरोध है कि कोई भी ऐसी सुनियोजित व्यवस्था करके नालो के गन्दे पानी को तालाब में न छोड़कर कस्बे से बाहर निकलने की व्यवस्था करें. और बरसात का पानी ही तालाब में आने दिया जाए

यदि कस्बे में सिविल लाइन डालकर नाले के पानी का निकास कस्बे से बाहर कर दी जाए तो समस्या का समाधान हो सकता है. और तालाब का पानी दूषित होने से बचाया जा सकता है. अब देखने वाली बात यह होगी कि जनप्रतिनिधियों और सम्बंधित अधिकारियों को अवगत करवाने के बाद इस तालाब की कोई सूद लेता है या नही या फिर तालाब का पानी दूषित होकर लोगो के लिये परेशानी का सबक बनेगा.

Report: Amit Yadav

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