शिपिंग कंपनियों की मनमानी से निर्यातक परेशान, कंटेनर किराए में 8 गुना इजाफा, पीएम से गुहार
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शिपिंग कंपनियों की मनमानी से निर्यातक परेशान, कंटेनर किराए में 8 गुना इजाफा, पीएम से गुहार

कंटेनर शिप करने वाली शिपिंग कम्पनियों की मनमानी निर्यातकों पर भारी पड़ रही.

शिपिंग कंपनियों की मनमानी से निर्यातक परेशान, कंटेनर किराए में 8 गुना इजाफा, पीएम से गुहार

जयपुर: कंटेनर शिप करने वाली शिपिंग कम्पनियों की मनमानी निर्यातकों पर भारी पड़ रही. निर्यातकों का कहना है कि कोरोना संकट के बाद से विभिन्न शिपिंग कंपनियों ने अपने किरायों में बढ़ोतरी का जो क्रम शुरू किया उसके बाद भारत से यूरोप और अमेरिका जाने वाले कंटेनर के किराए में 6 से 8 गुना तक वृद्धि हो चुकी है. इसके साथ ही शिपिंग कंपनियां पोर्ट खर्चोंमनमानी पूर्ण शुल्कों की वसूली कर रही हैं.

इन शिपिंग कंपनियों की मनमानी के चलते संपूर्ण अमेरिका और यूरोप में महंगाई अपने चरम पर पहुंच गई है. निर्यातकों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि इसमें दखल देकर आने वाली चुनौती कम की जाए.

सरकार ने नहीं दिया ध्यान तो निर्यात में आएगी गिरावट

राजस्थान के हैंडीक्राफ्ट्स निर्यातक जसंवत मील ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर भारत से कंटेनर शिप करने वाली शिपिंग कम्पनियों की मनमानी पर रोक लगाने और इनकी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए एक नियामक संस्था के गठन की गुहार लगाई है. जोधपुर हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष भरत दिनेश का कहना है कि पत्र में सरकार को चेताया है कि यदि समस्या का समाधान तुरंत नहीं हुआ तो परिणाम भारत से कंटेनर द्वारा किए जा रहे निर्यात में भारी गिरावट के रूप में सामने आ सकता है.

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पोर्ट खर्चों के नाम पर मनमानी शुल्कों की वसूली

निर्यातक संगठनों का कहना है कि कोरोना संकट के बाद से विभिन्न शिपिंग कंपनियों ने अपने किरायों में बढ़ोतरी का जो क्रम शुरू किया उसके बाद भारत से यूरोप और अमेरिका जाने वाले कंटेनर के किराए में 6 से 8 गुना तक वृद्धि हो चुकी है. इसके साथ ही शिपिंग कंपनियां पोर्ट खर्चों  के नाम पर भी मनमानी शुल्कों की वसूली कर रही हैं.

इन शिपिंग कंपनियों की मनमानी के चलते संपूर्ण अमेरिका और यूरोप में महंगाई अपने चरम पर पहुंच गई है। अमेरिकी सरकार ने तो इनकी मनमानी पूर्ण और अनुचित कार्यप्रणाली पर अंकुश लगाने के लिए हाल ही में ओसिएन शिपिंग रिफॉर्म्स एक्ट 2022 पास किया है. इस कानून द्वारा वहां के नियामक प्राधिकरण फेडरल मैरीटाइम कमीशन को शिपिंग लाईंस द्वारा अपनाई जा रही अनुचित

व्यापार नीति पर रोक लगाने की शक्तियां दी गई 
एक्ट के बाद इन शिपिंग कंपनियों ने चीन से अमेरिका जाने वाले कंटेनर के किराए में भारी कटौती कर दी है जो लगभग 50 प्रतिशत तक है जबकि भारत से जाने वाले कंटेनर के किराए लगभग यथावत
हैं फोर्थे के उपाध्यक्ष गिरीश अग्रवाल का कहना है कि भारत से अमेरिका जाने वाले एक कंटेनर के किराए में लगभग पांच से छह हजार डॉलर तक अतिरिक्त शिपिंग शुल्क लिया जा रहा है.

राजस्थान हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स जॉइंट फोरम के को-ऑर्डिनेटर डॉ. भरत दिनेश एवं नवनीत झालानी ने बताया कि चीन से कंटेनर किरायों में अप्रत्याशित कटौती के बाद अमेरिकी इंपोर्टर्स ने भारतीय निर्यातकों को दिए हुए ऑर्डर्स या तो होल्ड करवाना शुरू कर दिया है या कैंसिल करने लगे हैं. इससे भारत के निर्यातकों, खासकर छोटे एवं एमएसएमई निर्यातकों के लिए एक गंभीर संकट उत्पन्न हो रहा है.

इन उद्योगों का चीन सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धा

इस संकट से सबसे ज्यादा पीड़ित हैंडीक्राफ्ट निर्यातक ही हैं, जिनमें जयपुर, जोधपुर, दिल्ली-मुरादाबाद, पानीपत, सहारनपुर आगरा, फिरोजाबाद समेत अन्य शहरों के निर्यातक शामिल हैं. ताजा परिस्थिति में सबसे बड़ा संकट हैंडीक्राफ्ट्स उद्योगों पर ही आया है. क्योंकि इन उद्योगों का चीन सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी है.

दिनेश ने कहा कि हैंडीक्राफ्ट्स उद्योग सर्वाधिक रोजगार प्रदान करने वाले उद्योगों में से है और वर्तमान परिस्थितियों में इन उद्यमियों के लिए कार्य करना लगभग असंभव होता जा रहा है और अनेक फैक्ट्रियों को अपने ताले बंद करने को मजबूर होना पड़ा है. जिससे देश में गंभीर रोजगार संकट उत्पन्न होने की आशंका है. उन्होंने प्रधानमंत्री से त्वरित और ठोस कदम उठाने का आग्रह करते हुए कहा कि कंटेनर द्वारा माल एक्सपोर्ट करने वाले निर्यातकों के लिए सुरक्षित रख कर ही प्रधानमंत्री का एक जिला एक प्रोडक्ट निर्यात का सपना साकार हो सकेगा.

गौरतलब है कि साल 2020-21 की तुलना में 2021-22 में राजस्थान से निर्यात 36 फीसदी बढ़ा है. कपड़ा, ज्वैलरी, हस्तशिल्प, इंजीनियरिंग सामान, मेटल और केमिकल हर क्षेत्र में निर्यात में बढ़ोतरी हुई है. 2021-22 में एक्सपोर्ट पिछले साल 52,700 करोड़ रुपये की तुलना में लगभग 72,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.

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पीएम मामले पर करेंगे विचार

कपड़ा निर्यात 2018-19 में 6,750 करोड़ रुपये के उच्च स्तर से बढ़कर 2021-22 में 9,251 करोड़ रुपये हो गया. इसी तरह, रेडीमेड गारमेंट्स की निर्यात वृद्धि 2018-19 में 2,078 करोड़ रुपये थी, लेकिन 2021-22 में यह बढ़कर 2,561 करोड़ रुपये हो गई. राजस्थान से रत्न और ज्वैलरी का निर्यात 2018-19 में सबसे अधिक 5,737.55 करोड़ रुपये का हुआ. 2021-22 में निर्यात 6811.04 करोड़ रुपये रहा. लेकिन खर्चें और लागत भार बढ़ने के बाद कीमतों में इजाफा नहीं करने का दबाव इन आकड़ों पर असर डाल रहा है. राजस्थान के निर्यातकों को उम्मीद है, प्रधानमंत्री कार्यालय उनकी मांगों पर विचार कर राहत देगा.

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