झुंझुनूं कलेक्ट्रेट पर किसान नेता कै. मोहनलाल के नेतृत्व में पिछले करीब 250 दिनों से धरना चल रहा है.
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Jhunjhunu: जिले में किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के समर्थन में चल रहा धरना भी विवादों में आ गया है और आंदोलन दो धड़ों में भी बंटता हुआ दिखाई दे रहा है.
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क्रांति दिवस पर जो तस्वीर सामने आई, उससे आंदोलन के समर्थन में पहुंचे किसान कंफ्यूज हो गए. कलेक्ट्रेट पर एक साथ दो धरने और प्रदर्शन किए गए. पूरा टैंट एक ही रंग का एक ही साइज का था लेकिन बीच में एक पर्दा लगाकर एक दीवार बना दी गई और इसके बाद आरोप-प्रत्यारोप ने तय कर दिया कि झुंझुनूं में किसान आंदोलन को लेकर भी विरोधाभास है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, झुंझुनूं कलेक्ट्रेट पर किसान नेता कै. मोहनलाल के नेतृत्व में पिछले करीब 250 दिनों से धरना चल रहा है. संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) ने इस धरने को व्यक्ति बताया और कहा कि यह धरना मोर्चे का नहीं है. मोर्चे के नेता कामरेड फूलचंद बर्बर (Foolchand Barbar) ने कहा कि जो लोग धरने पर बैठे हैं, वो किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं. वो अच्छी बात है लेकिन वे मोर्चे का नाम का दुरूपयोग कर रहे हैं, जो सही नहीं है. इसके अलावा किसानों में मैसेज जा रहा है कि दो जगहों पर किसान आंदोलन चल रहा है, जिसे भी सही नहीं कहा जा सकता.
कै. मोहनलाल ने दिया यह जवाब
कामरेड फूलचंद बर्बर के जवाबों का कै. मोहनलाल ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि वे ना तो कामरेड है, ना कांग्रेसी और भाजपा में. वे देशभक्त हैं और अब किसान आंदोलन जन आंदोलन बन चुका है. इसलिए वे तिरंगे के नीचे आंदोलन कर रहे हैं. जो लोग लड़ाई नहीं लड़ सकते, वो ऐसी बातें करते हैं जबकि उन्हें इस धरने में शामिल होना चाहिए. हम तो उनका स्वागत करने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि धरने को लेकर अनर्गल बयानबाजी करने वाले लोग किसान आंदोलन को कमजोर करना चाहते हैं.
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बहरहाल, दोनेां तरफ से बयानबाजी, दो-दो प्रदर्शन के बाद यह तो तय है कि झुंझुनूं में किसान आंदोलन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.
Reporter- Sandeep Kedia