सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) नीति के प्रावधानों का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. पहले ज्वेलर्स ने हड़ताल कर विरोध जताया और अब हॉलमार्किंग सेंटर संचालक आंदोलन की राह पर हैं.
Trending Photos
Jaipur : सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) नीति के प्रावधानों का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. पहले ज्वेलर्स ने हड़ताल कर विरोध जताया और अब हॉलमार्किंग सेंटर संचालक आंदोलन की राह पर हैं. राजस्थान हॉलमार्किंग एसोसिएशन (Rajasthan Hallmarking Association) की ओर से आज भारतीय मानक ब्यूरो (Indian Standards Bureau) की निदेशक कनिका कालिया को ज्ञापन सोंपा गया.
यह भी पढ़ें- सोना-चांदी कीमतों में इस सीजन की बंपर गिरावट, आप भी तुरंत कर डालें खरीदारी
इस मौके पर एसोसिएशन के चेयरमैन (Association Chairman) उदय सोनी, प्रेसिडेंट सुमेर मौसूण मेहरीवाला, महासचिव सतीश अग्रवाल और संरक्षक बाबूलाल लावट शामिल थे. इनका कहना है कि बड़ी कंपनियों के दबाव में सोने के आभूषणों पर मैन्यूफैक्चरिंग पॉइंट पर ही हॉलमार्किंग करने से छोटे शहरों और कस्बों में हॉलमार्किंग सेंटर्स ( Hallmarking Center) का कामकाज ठप हो जाएगा. सरकार ज्वैलर्स को ही अपने आभूषणों की शुद्धता के लिए सेल्फ सर्टिफिकेशन (Self Certification) के अधिकार देना चाहती है. इससे भी हॉलमार्किंग सेंटर्स (Hallmarking Center) की उपयोगिता ही समाप्त हो जाएगी.
यह भी पढें- जयपुर में मौसम ने बदला अपना मिजाज, बारिश का Yellow alert जारी
दूसरी ओर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (Pollution Control Board) की ओर से हॉलमार्क सेंटर्स को ऑरेंज श्रेणी में रखने से बड़ा संकट खड़ा हो गया है. अब हॉलमार्क सेंटर्स को शहर से बाहर औद्योगिक क्षेत्र में ही खोला जा सकता है. शहर में पुराने सेंटर्स का नवीनीकरण नहीं हो रहा और नए सेंटर्स को अनुमति नहीं मिल रही. जबकि हॉलमार्किंग सेंटर वहीं होना चाहिए जहां सोने के आभूषणों का बाजार हो.
गौरतलब है कि देश में 1 हजार और प्रदेश में 46 हॉलमार्किंग सेंटर हैं. एक हॉलमार्किंग यूनिट लगाने में लगभग 1 करोड़ का निवेश होता है. इसके संचालन में 1 से 2 लाख रुपये महीने का खर्च आता है. एक हॉलमार्किंग सेंटर करीब 10 लोगों को रोजगार मुहैया कराता है. ऐसे में सरकार की हॉलमार्किंग नीति के नए प्रावधानों ने हॉलमार्किंग सेंटर्स के भविष्य पर ही प्रश्नचिंह लगा दिया है.