कहीं फिर से गुर्जर आरक्षण कोर्ट में ना अटके, इसलिए केंद्र से 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग
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कहीं फिर से गुर्जर आरक्षण कोर्ट में ना अटके, इसलिए केंद्र से 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

अब तक गुर्जर समाज आरक्षण का लेकर राज्य सरकार को ही घेरता था, लेकिन अब आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार को कटझरे में खड़ा कर दिया है. राजस्थान (Rajasthan News) में गुर्जर समाज आरक्षण के लिए केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटा रहा है.

फाइल फोटो

Jaipur : अब तक गुर्जर समाज आरक्षण का लेकर राज्य सरकार को ही घेरता था, लेकिन अब आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार को कटझरे में खड़ा कर दिया है. राजस्थान (Rajasthan News) में गुर्जर समाज आरक्षण के लिए केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटा रहा है. नवी अनूसूची में शामिल करने की मांग पर गुर्जरों ने केंद्र को घेरना शुरू कर दिया.

अब केंद्र सरकार निशाने पर
राजस्थान में गुर्जर आरक्षण (Gujjar Reservation) की आग अब केंद्र सरकार तक पहुंचने लगी है. राज्यों को 5 प्रतिशत आरक्षण के मुद्दे पर घेरने वाला गुर्जर समाज अब केंद्र (Central Government) को निशाने पर ले रहा है. दरअसल राज्य सरकार ने गुर्जरों को 5 प्रतिशत आरक्षण देकर अपना काम पूरा कर दिया, लेकिन कही मामला फिर से कोर्ट में अटक जाए, इसलिए समाज की मांग है कि केंद्र सरकार नवी अनुसूची में शामिल कर इस समस्या का समाधान किया जाए. हालांकि इससे पहले गुर्जर नेता विजय बैंसला ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह समेत 10 राज्य सभा सांसदों को पत्र लिखकर गुर्जरों को 9वीं अनूसूची में शामिल करने की मांग की थी.लेकिन इसके बावजूद ये मुद्दा सदन में दमदार तरीके से नहीं उठा.

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संसद में संग्राम, नहीं उठा मुद्दा
गुर्जर समाज 2015 से ही केंद्र सरकार से मांग कर रहा है कि नवी अनुसूची में शामिल किया जाए, लेकिन अब तक राजस्थान के सांसदों ने इस मुद्दे को प्रमुखता से नहीं उठाया. 6 साल से गुर्जर समाज सांसदों से आस लगाए बैठे थे, लेकिन अबकी बार भी संसद में संग्राम के चलते इस मुद्दे का नहीं उठाया गया. हालांकि सांसद हनुमान बेनीवाल ने गुर्जर और जाट आरक्षण का मुद्दा सदन में उठाया था. राजस्थान में 2007, 2008, 2010, 2015, 2019, 2020 में आरक्षण को लेकर आंदोलन हुए, लेकिन अब तक इस मुद्दे का कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया.  

जाने कोर्ट में कब कब अटका मामला
पहली बार सरकार वर्ष 2008 में विधेयक लाई. उसमें आरक्षण 68 प्रतिशत आरक्षण हो रहा था. जिसमें ईबीसी को 14, 5 प्रतिशत एसबीसी, 21 प्रतिशत ओबीसी, 16 प्रतिशत एससी, 12 प्रतिशत एसटी को आरक्षण दिया, लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए रोक लगाया कि उसमें आरक्षण प्रतिशत बहुत ज्यादा हो रहा था.

- 2008 में कोर्ट के स्टे के बाद सरकार 2012 में नोटिफिकेशन लाई. जिसमें गुर्जर समेत एसबीसी की पांचों जातियों को 5 प्रतिशत आरक्षण दिया, लेकिन इसे भी कोर्ट में चैलेंज किया गया और कोर्ट ने स्टे लगा दिया.

- 2015 में सरकार गुर्जरों को आरक्षण देने के लिए विधेयक लाई,लेकिन कोर्ट ने ओबीसी कमीशन की रिपोर्ट सही नहीं माना और आरक्षण को खारिज कर दिया.

-2018 में राजस्थान सरकार विधेयक लेकर आई. विधेयक सदन में पास भी हो गया, लेकिन कुछ दिनों बाद ही हाईकोर्ट ने रोक लगा दी. जिसके बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में गई, लेकिन वहां भी कोर्ट ने 50 प्रतिशत ज्यादा होने पर रोक लगा दी गई.

-कोर्ट की रोक के बाद गुर्जरो के लिए मोर बेकवर्ड क्लास बनाया गया. जिसमें 1% आरक्षण का लाभ दिया. 1 प्रतिशत आरक्षण का लाभ ठुकराते हुए गुर्जरों ने पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग की और आंदोलन का ऐलान कर दिया.

-इसके बाद कांग्रेस सरकार ने ही सत्ता में आते ही 5 प्रतिशत आरक्षण गुर्जर समाज को दे दिया.

-लेकिन गुर्जर समाज को डर है कि कही फिर से मुद्दा कोर्ट में ना अटक आए.इसलिए समाज की मांग है कि केंद्र सरकार आरक्षण की समस्या का समाधान निकाले.

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