जयपुर: आराध्य देव गोविंददेवजी मंदिर में भगवान गोविंद भगवान ने भक्तों के साथ होली खेली.मंदिर छावण में राजभोग आरती के बाद ठाकुरजी, पुजारी और भक्त पहले फूलों की, फिर पिचकारी से केसर, इत्र, गुलाब जल और बाद में पचरंगी गुलाल से होली खेली.इसके बाद भक्तों पर अबीर गुलाल और पिचकारियों से रंगों की बौछार की तो मंदिर परिसर में होली की धमाल मची.


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होली के शुभ अवसर पर पंचामृत अभिषेक किया गया. सफेद जामा पोशाक में ठाकुरजी और राधारानी को को सोने की और सखियों को चांदी की पिचकारी हाथों में थमाई गई.ठाकुरजी और राधारानी को गुलाल अर्पित करने के बाद ठाकुरजी और राधारानी को पतासे का भोग लगाकर आरती की गई. इसके बाद ठाकुरजी की होली शुरू हुई. 


सबसे पहले ठाकुरजी और राधारानी की केसर जल,गुलाब व इत्र जल की पिचकारी शुरू की गई.पहले ठाकुरजी के साथ तीन तरह के फूलों से होली खेली गई. फिर केसर, गुलाब और इत्र जल की पिचकारी से और अंत में पांच रंग लाल, हरा, गुलाबी, पीला और सफेद रंग की गुलाल से ठाकुरजी के साथ होली खेली गई. पानी की बचत का संदेश देने के लिए ठाकुरजी की होली में पानी इस्तेमाल नहीं किया गया. 


इस अवसर पर ठाकुर जी का आशीर्वाद देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, सांसद दुष्यंत सिंह, सांसद रामचरण बोहरा भी पहुंचे. वसुंधरा राजे ने इस अवसर पर कहा कि जयपुर में अलग तरीके से होली सेलिब्रेशन किया जाता है. हमें ठाकुर जी के संग होली खेलने और उनका आशीर्वाद मिला. यह आशीर्वाद सभी को मिलता रहे.


ठाकुरजी-राधारानी संग होली खेलने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी.भक्तों ने प्रभु के साथ होली खेली तो वातावरण होली के पवित्र रंगों से खुशरंगों से महक उठा. होली आमतौर पर विभिन्न प्रकार के रंगों और अबीर-गुलाल से ही खेली जाती है. लेकिन चंदन की होली खेलने का मजा ही कुछ और होता है. रंगों की होली खेलने से जहां लोग कतराते हैं वहीं चंदन की होली खेलने के लिए खुद आगे चलकर आते हैं.


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