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Jaipur: जिला उपभोक्ता आयोग प्रथम ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में सीटें कम होने की वजह से छात्रों की ब्रांच बदलकर सिविल इंजीनियरिंग करने के मामले में रिजनल कॉलेज ऑफ पॉलिटेक्निक व अन्य पर ढाई लाख रुपए का हर्जाना लगाते हुए दस हजार रुपए परिवाद व्यय के अतिरिक्त अदा करने को कहा है. आयोग ने यह आदेश विपिन कुमार व अन्य के परिवाद पर दिए.
परिवाद में कहा गया कि उन्होंने सितंबर 2011 में तीस हजार रुपए जमा करवाकर इंजीनियरिंग की मैकेनिकल ब्रांच में प्रवेश लिया था. इसी ब्रांच की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने मिड टर्म की परीक्षा भी दी, लेकिन राजस्थान तकनीकी शिक्षा बोर्ड, जोधपुर में उनकी ब्रांच को मैकेनिकल की जगह सिविल इंजीनियरिंग की दिखाई.
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परिवाद में आरोप लगाया गया कि प्रवेश पत्र बदलकर उनके हस्ताक्षर भी फर्जी किए गए हैं. वहीं कॉलेज प्रशासन की ओर से कहा गया कि मामला उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है. यदि परीक्षा फार्म में गलत ब्रांच दर्ज हो गई तो उसे बोर्ड के सामने उठाना चाहिए था और उन्हें भी पक्षकार बनाना चाहिए था. परिवादी ने जानबूझकर एक हजार रुपए का डीडी जमा नहीं कराया, जिसके चलते वे परीक्षा में नहीं बैठ सके. ऐसे में उन्होंने बनावटी परिवाद दायर किया है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने कॉलेज पर हर्जाना लगाया है.
Reporter - mahesh pareek