मोर की शहीदों जैसी अंतिम विदाई, तिरंगे में लपेटकर निकाली शवयात्रा
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मोर की शहीदों जैसी अंतिम विदाई, तिरंगे में लपेटकर निकाली शवयात्रा

जिले में शुक्रवार को एक अनूठी शव यात्रा निकाली गई. शव तिरंगे में लिपटा हुआ था. बड़ी संख्या में लोग अंतिम यात्रा के साथ चल रहे थे. लोगों में उत्सुकता हुई कि कौन शहीद हो गया, लेकिन जब अर्थी पर शव देखा तो हर कोई संवेदनाओं से भर उठा.

मोर की शहीदों जैसी अंतिम विदाई, तिरंगे में लपेटकर निकाली शवयात्रा

Jhunjhunu: जिले में शुक्रवार को एक अनूठी शव यात्रा निकाली गई. शव तिरंगे में लिपटा हुआ था. बड़ी संख्या में लोग अंतिम यात्रा के साथ चल रहे थे. लोगों में उत्सुकता हुई कि कौन शहीद हो गया, लेकिन जब अर्थी पर शव देखा तो हर कोई संवेदनाओं से भर उठा. यह शव था राष्ट्रीय पक्षी मोर (national bird peacock) का, जिसे शहीद की तरह अंतिम विदाई दी गई.

दरअसल, झुंझुनूं  के मंडावा (mandawa) मोड़ इलाके में एक मोर बिजली के तारों से टकरा गया. करंट लगने से मोर अचेत होकर जमीन पर गिर गया. स्थानीय लोगों ने वेटरनरी डॉक्टर व पक्षी प्रेमी अनिल खीचड़ को सूचना दी. डॉक्टर खीचड़ मौके पर पहुंचे और मोर का इलाज शुरू किया. इलाज के दौरान ही मोर ने दम तोड़ दिया. मोर की मौत ने डॉक्टर खीचड़ को झकझोर दिया. उनकी पहचान इलाके में पक्षी प्रेमी के रूप में भी है. 

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डॉ. खीचड़ ने अपने कुछ पहचान वालों से मोर का अंतिम संस्कार सम्मान के साथ करने की बात कही. इसके बाद उनके साथियों और अन्य शहरवासियों ने जो कुछ किया, वह पशु प्रेम के लिहाज से एक नजीर बन गई. राष्ट्रीय पक्षी मोर का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. लोगों ने अर्थी को उसी तरह तैयार किया, जैसे किसी बुजुर्ग की मौत पर डोल तैयार किया जाता है. चार लोगों ने अर्थी को कंधा दिया. 

खास बात ये रही कि मोर को तिरंगे में लपेटकर शहीद की तरह विदा किया गया. अंतिम यात्रा के दौरान डीजे पर देशभक्ति गीत बजाए जा रहे थे. जहां से भी अंतिम यात्रा गुजरी, लोगों ने हाथ जोड़कर नमन किया. अंतिम यात्रा में काफी संख्या में लोग शामिल हुए. शव यात्रा को देखकर लोगों को लगा कि किसी बड़े आदमी का निधन हुआ है. जब उन्हें पता चला कि अर्थी पर मोर का शव है तो लोगों ने सम्मान दिखाते हुए संवेदनाएं जाहिर की. 

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शव यात्रा बाजार से गुजरी तो व्यापारी अपनी गद्दियां छोड़कर मोर के सम्मान में खड़े हो गए और श्रद्धांजलि दी. डॉ. अनिल खीचड़ ने बताया कि राष्ट्रीय पक्षी मोर का अंतिम संस्कार पूरे सम्मान से करने का निश्चय किया गया था. मोर के लिए अर्थी तैयार की गई और राष्ट्रीय ध्वज में लपेट कर अंतिम विदाई दी गई. शव यात्रा मंडावा रोड से रवाना होकर इंदिरा नगर स्थित श्मशान घाट पहुंची. यहां पर मोर का विधि-विधान और नियमों के साथ दाह संस्कार किया गया. गौरतलब है कि जिले में साढे़ दस हजार से ज्यादा मोर हैं. 

Reporter: Sandeep Kedia

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