जिला उपभोक्ता आयोग-प्रथम ने लोन की एक किस्त जमा नहीं कराने पर उपभोक्ता के खाते को एनपीए श्रेणी में डालने को सेवा दोष और अनफेयर ट्रेड माना है. इसके साथ ही आयोग ने एसबीआई बैंक पर पचास हजार रुपए का हर्जाना लगाया है.
Trending Photos
Jaipur: जिला उपभोक्ता आयोग-प्रथम ने लोन की एक किस्त जमा नहीं कराने पर उपभोक्ता के खाते को एनपीए श्रेणी में डालने को सेवा दोष और अनफेयर ट्रेड माना है. इसके साथ ही आयोग ने एसबीआई बैंक पर पचास हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. आयोग ने बैंक को दस हजार रुपए परिवाद व्यय के तौर पर अतिरिक्त अदा करने को भी कहा है. आयोग ने यह आदेश सुनील कुमार के परिवाद पर दिए. परिवाद में कहा गया कि उसने बैंक से सात फरवरी 2011 को दो लाख बीस हजार रुपए का पर्सनल लोन लिया था. जिसे 5234 रुपए की साठ किस्तों में ब्याज सहित तीन लाख 14 हजार 040 रुपए चुकाए जाने थे. वह मई 2012 से अक्टूबर 2012 तक बीमारी के कारण किस्त जमा नहीं करा सका और इसकी सूचना बैंक को भी दे दी.
वहीं, बाद में उसने सभी किस्त समय पर जमा करा दी. बैंक ने लोन देने के बाद उसके खाते से दिसंबर 2012 से फरवरी 2014 के बीच कई बार राशि काट ली और राशि काटने का कोई जवाब नहीं दिया गया. इसके साथ ही उसे खाते का उपयोग भी नहीं करने दिया जा रहा है. आयोग के नोटिस पर बैंक ने कहा कि मई 2012 से अक्टूबर 2012 तक खाताधारक ने कोई राशि जमा नहीं की. लोन खाता सात जून 2013 को अनियमित होने के कारण एनपीए की श्रेणी में आ गया. जिसके चलते परिवादी डिफाल्टर हो गया. नियमानुसार बैंक दी गई लोन राशि एकमुश्त वसूलने का अधिकारी हो गया.
ऐसे में बैंक ने जुलाई माह में नोटिस भेजकर चेक अनादरण की कार्रवाई शुरू की. आयोग ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि खाता मई में अनियमित हुआ और जून में उसको एनपीए की श्रेणी में डाल दिया. जबकि आरबीआई के नियमों के अनुसार तीन किस्त जमा नहीं होने पर खाता एनपीए हो सकता है. इसके साथ ही आयोग ने मनमाने तरीके से खाता एनपीए किए जाने को सेवा दोष व अनफेयर ट्रेड मानते हुए बैंक पर हर्जाना लगाया है.
अपने जिले की खबर पढ़ने के लिये यहां क्लिक करें
Reporter- Mahesh Pareek