Jaipur News: शहर में कथित लव जिहाद मामले की गूंज अब बीजेपी प्रदेश कार्यालय तक पहुंच गई है. पीड़ित युवती की मां-भाई ने कई हिंदू संगठन प्रतिनिधियों के साथ बीजेपी की जनसुनवाई में पहुंचकर गुहार लगाई. इस पर वहां मौजूद पार्टी प्रदेश उपाध्यक्ष मोतीलाल मीणा ने पुलिस अधिकारियों से बातचीत कर उन्हें मामले के त्वरित निस्तारण की बात कही. ऐसा नहीं होने पर पीड़ित परिवार और हिंदू संगठनों के साथ थाने के घेराव की चेतावनी भी दे डाली. मीणा ने कहा कि इस तरह के संवेदनशील मामलों में पुलिस की लापरवाही बर्दास्त नहीं की जाएगी.


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जयपुर में बिंदायका थाना इलाके से 11 जून को लापता हुई युवती के परिजनों ने पुलिस को सूचना दी. सूचना के बाद पुलिस एफआईआर दर्ज करने के बजाय उन्हें भगा दिया. इसके बाद उन्होंने पुलिस कमिश्नर और डीसीपी वेस्ट से बातचीत की तो दो दिन बाद एफआईआर दर्ज की गई. एफआईआर दर्ज होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो युवती की मां-भाई हिंदू संगठनों में फाइट फॉर राइट के अध्यक्ष सुनील उदेईया, परशुराम सेना के प्रदेश अध्यक्ष अनिल चतुर्वेदी सहित कई लोग बीजेपी प्रदेश कार्यालय पहुंचे. वहां मौजूद पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष मोतीलाल मीणा को सारी जानकारी दी. 



परिजनों ने कहा कि उनकी बेटी से नहीं मिलने दिया जा रहा है. एक दो बार फोन आया, लेकिन ज्यादा बात करने दी गई. इसके बाद मोतीलाल मीणा ने पहले थानाधिकारी तथा बाद में डीसीपी से बात करके कहा कि लव जेहाद जैसे संवेदनशील मामलों में पुलिस लापरवाही नहीं बरतें. मीणा ने लड़की को दस्तयाब करने के बाद भी बिना मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए वापस आरोपियों को सौंपना गंभीर बात है. उन्होंने पुलिस को आज रात तक का कार्रवाई के लिए समय दिया. ऐसा नहीं करने पर कल विभिन्न संगठनों के लोगों के साथ थाने के घेराव की चेतावनी दी.



दूसरी ओर युवती की मां ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पुलिस का रवैया ठीक नहीं है, लड़की को ला कर दस मिनट मिलवा कर अपराधियों को ही सौंप दिया जो पुलिस की मिलीभगत को दर्शाता है . लड़की की माँ ने बताया कि मेरे पति आरएसएस के कार्यकर्ता रहे हैं और मुस्लिम युवक द्वारा मेरी बेटी को जानबूझकर जाल में फंसाया है और अब अपने क़ब्ज़े में लेकर दबाव में लड़की से बयान दिलवा रहा है.



परशुराम सेना के प्रदेश अध्यक्ष अनिल चतुर्वेदी ने कहा कि अंतरधार्मिक विवाहों पर रोक लगाने का क़ानून बनाये इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहा है. बच्चियों के साथ अप्रिय घटनाएँ बढ़ रही है. इस संबंध में सरकार और प्रशासन ने यदि कड़े कदम नहीं उठाये तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा.