नगर निगम ग्रेटर जयपुर में मेयर-आयुक्त आमने-सामने, तबादलों पर बढ़ा विवाद

Jaipur News : नगर निगम ग्रेटर में कार्यकाल के आख़िरी दिनों में ही अफसरशाही और जनप्रतिनिधित्व की जंग खुलकर सामने आ गई है. जोन उपायुक्तों और इंजीनियरों के तबादले को लेकर मेयर और कमिश्नर के बीच ठन गई है .मेयर ने इन तबादलों पर आपत्ति जताते हुए तुरंत प्रभाव से निरस्तीकरण की फाइल चला दी हैं. दोनों के आदेशों के टकराव में कामकाज की रफ्तार कम हो गई हैं.
 

नगर निगम ग्रेटर जयपुर में मेयर-आयुक्त आमने-सामने, तबादलों पर बढ़ा विवाद

Jaipur News : नगर निगम ग्रेटर जयपुर में कार्यकाल समाप्ति के समय मेयर और कमिश्नर के बीच तबादलों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. निगम जोन उपायुक्तों और अभियंताओं के कार्य आवंटन के ऑर्डर को मेयर डॉक्टर सौम्या गुर्जर ने आपत्ति जताते हुए इन्हें तुरंत प्रभाव से निरस्त करने के कार्यालय आदेश जारी कर दिए हैं. वहीं कमिश्नर डॉक्टर गौरव सैनी ने अब तक तबादला आदेश निरस्त नहीं किए गए हैं.इस टकराव के चलते निगम के कामकाज की रफ्तार पर असर पड़ रहा है.

हाल ही में नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय पर मेयर डॉक्टर सौम्या गुर्जर की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में तल्खी देखने को मिली. झोटवाड़ा जोन से प्रतिनिधित्व करने आए अधिशाषी अभियंता पंकज कुमार मीना को भी मेयर ने मीटिंग में बैठने की अनुमति नहीं दी थी.

मेयर ने जब पंकज कुमार मीना से परिचय पूछा तो उन्होने बताया की झोटवाडा जोन में उन्हे अधिशाषी अभियंता लगाया हैं. इस पर मेयर ने कहा की आपके आदेश निरस्त हो रहे हैं, इसलिए आप झोटवाडा जोन का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते हैं. इन सभी के बीच मेयर ने अपने कार्यालय आदेश में नियमों का हवाला देते हुए कहा की राजस्थान नगरपालिका अधिनियम, 2009 की धारा 333 (1) एवं (2) में यह स्पष्ट रूप से प्रावधान किया गया है कि राज्य सरकार नगरपालिकाओं में तकनीकी सेवाओं से संबंधित अधिकारियों जैसे स्वास्थ्य अधिकारी, अभियंता, राजस्व अधिकारी, लेखाधिकारी, विधि अधिकारी आदि की नियुक्ति कर सकती है.

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इस अधिनियम की उपधारा (2) में कहा गया है कि इन अधिकारियों के बीच कार्य का वितरण अध्यक्ष (यानी मेयर) के अनुमोदन से मुख्य नगरपालिका अधिकारी अर्थात आयुक्त द्वारा किया जाएगा. लेकिन बिना सक्षम स्तर की स्वीकृति के ही आयुक्त ने 24 सितंबर और 1 अक्टूबर 2025 को कार्य आवंटन के आदेश जारी किए. मेयर ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा है कि इन आदेशों को अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार "अध्यक्ष के अनुमोदन" की स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई है. इसलिए ये आदेश प्रभावशील नहीं माने जाएंगे और अधिकारी-कर्मचारी पूर्ववत अपने कार्य करते रहेंगे.

24 सितंबर को दो अधिशाषी अभियंता को किया कार्य आवंटन
1 अक्टूबर को उपायुक्त और इंजीनियरों को किया कार्य आवंटन
अशोक कुमार शर्मा- उपायुक्त, राजस्व द्वितीय और आयोजना द्वितीय
डॉ.नीलम मीना- उपायुक्त पशु प्रबंधन शाखा
उमंग राजवंशी- अधिशाषी अभियंता हिंगौनिया गौशाला का अति.चार्ज
अनिल कुमार बैरवा- कनिष्ठ अभियंता, मालवीय नगर जोन, निर्माण खंड
रामकेश मीना- कनिष्ठ अभियंता, मालवीय नगर जोन, भवन शाखा
मानव रील- कनिष्ठ सहायक, विद्याधर नगर जोन

दूसरी ओर नगर निगम आयुक्त ने अब तक 24 सितंबर और 1 अक्टूबर को निकाले कार्य आवंटन के आदेश को वापस नहीं लिया हैं.निगम के कई विभागों में इस विवाद के चलते कामकाज की रफ्तार धीमी पड़ गई है. कई जोनों में अधिकारी यह तय नहीं कर पा रहे कि किस आदेश को मानें. जानकारों की माने तो इस पूरी घटनाक्रम से पट्टों से संबंधित पत्रावलियां भी अटकी हुई हैं. दीपावली से पहले सफाई, प्रकाश और मरम्मत जैसे जरूरी कार्यों की गति पर भी असर पड़ा है. यदि यह विवाद जल्द सुलझा नहीं, तो त्योहारी सीजन में नागरिक सुविधाओं पर इसका सीधा असर पड़ सकता है। फिलहाल विवाद के समाधान के लिए राज्य सरकार के स्तर पर स्थिति स्पष्ट किए जाने की उम्मीद की जा रही है.

बहरहाल, नगर निगम ग्रेटर जयपुर में मेयर और आयुक्त के बीच तबादलों पर टकराव न केवल प्रशासनिक संकट बन गया है, बल्कि यह अधिनियम की व्याख्या, अधिकार क्षेत्र और राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई का प्रतीक भी बनता जा रहा है. आने वाले दिनों में देखना होगा कि राज्य सरकार या विभाग इस मामले में किसका पक्ष लेता है और निगम की कार्यप्रणाली कब सामान्य होती है.

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