DOIT बिल्डिंग करोड़ों रुपये मिलने का मामला,वेदप्रकाश यादव से ACB पूछताछ पूरी, भेजा गया जेल
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DOIT बिल्डिंग करोड़ों रुपये मिलने का मामला,वेदप्रकाश यादव से ACB पूछताछ पूरी, भेजा गया जेल

जयपुर न्यूज: DOIT बिल्डिंग  करोड़ों रुपये मिलने से सनसनी फैल गई थी. वहीं वेदप्रकाश यादव से ACB पूछताछ पूरी हो चुकी है और उसे जेल भेज दिया गया है.मामले की जांच जारी है.

DOIT बिल्डिंग  करोड़ों रुपये मिलने का मामला,वेदप्रकाश यादव से ACB पूछताछ पूरी, भेजा गया जेल

Jaipur: राजस्थान में 19 मई की शाम एक सरकारी डिपार्टमेंट में कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे सरकारी तंत्र में खलबली मचा दी. सचिवालय जहां से पूरा राज्य और सरकार चलती है उससे कुछ कदमों की दूरी पर ही योजना भवन के DOIT बिल्डिंग के बेसमेंट की एक अलमारी से अचानक 2 करोड़ 31 लाख कैश और एक किलो सोना बरामद हुआ. इतना होते ही सरकारी सिस्टम में हंगामा मच गया. सूचना उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई गई और स्थानीय थाना पुलिस को मौके पर बुलाया गया. मामला बड़ा देखते हुए जयपुर पुलिस कमिश्नर खुद मौके पर पहुंचे और फिर उस व्यक्ति की खोज शुरू हुई जिसका काला धन सरकारी दफ्तर के बेसमेंट में एक सरकारी अलमारी से बरामद हुआ था.

दरअसल, डिपार्टमेंट में सभी सरकारी फाइलों को कंप्यूटर पर चढ़ाया जा रहा था. लेकिन बेसमेंट में रखी दो अलमारियों की चाबी नहीं मिली. आखिर अलमारी के लॉक को तोड़ा गया. और फिर एक अलमारी से ट्रॉली बैग में 2 करोड़ 31 लाख कैश और एक लैपटॉप बैग में एक किलो गोल्ड बरामद हुआ. पुलिस पूछताछ शुरू हुई और शक के आधार पर 7 से 8 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू हुई. पुलिस को सबसे ज्यादा शक DOIT के जॉइंट डायरेक्टर और स्टोर इंचार्ज वेदप्रकाश यादव पर था जो सालों से अलग अलग पदों पर इसी डिपार्टमेंट में पोस्टेड था और परचेजिंग कमेटी का मेंबर भी था. 

पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जिस अलमारी से कैश और गोल्ड निकला उसे इस्तेमाल करते हुए फुटेज में वेदप्रकाश को देखा. इसके बाद यादव से सख्ती से पूछताछ की गई तो उसने जो सच बताया वो बेहद चोंकाने वाला था. वेदप्रकाश यादव ने पूछताछ में बताया कि बरामद हुआ पैसा और गोल्ड उसका ही है . क्योंकि वो परचेजिंग कमेटी में मेंबर था इसलिए जो भी टेंडर्स होते थे उसमें 2 फीसदी का कमीशन उसको मिलता था और घूस की राशि को वेदप्रकाश यादव उस अलमारी में रखता था.

सरकारी अलमारी को वेदप्रकाश प्राइवेट लॉकर की तरह इस्तेमाल करता था इस पूरे मामले में आगे की जांच एसीबी को दी गई क्योंकि मामला घूसखोरी का था, एसीबी ने वेद प्रकाश यादव को गिरफ्तार करते हुए इस पूरे मामले में एक मुकदमा दर्ज किया और जांच अधिकारी एडिशनल एसपी ललित शर्मा ने आगे की जांच शुरू की.

पूरे मामले में ज़ी राजस्थान न्यूज ने सबसे पहले किया खुलासा

इस पूरे मामले में जी राजस्थान न्यूज़ ने बेसमेंट के सीसीटीवी फुटेज को सबसे पहले दर्शकों के सामने दिखाते हुए इस बात का खुलासा किया कि कैसे वेद प्रकाश यादव सरकारी अलमारी को प्राइवेट लॉकर की तरह इस्तेमाल कर रहा था और अपनी काली कमाई को वहां चुपचाप छुपाता जा रहा था. सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखाई देता है कि वेद प्रकाश यादव ऑफिस का समय खत्म होने के बाद बैग लेकर अलमारी के पास आता है उसमें कुछ रखता है और फिर वहां से चला जाता है इसी तरह एक वीडियो ऐसा भी सामने आया जिसमें अलमारी से वेद प्रकाश यादव कुछ सामान अपने बैग में रखता है और वहां से चला जाता.

2 प्रतिशत कमीशन से एकत्रित की थी राशि 

अलमारी में मिली राशि के बारे में वेदप्रकाश से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि डीओआईटी में जो खरीददारी होती है उसकी परचेजिंग कमेटी में वह सदस्य हैं. जहां कम्प्यूटर, प्रिन्टर, स्टेशनरी आदि की खरीददारी में उसे कमीशन मिलता हैं. इसी तरह इलेक्ट्रोनिक डिस्पले ई मित्रा प्लस रूरल मशीन, ई मित्रा प्लस अरबन मशीन आदि के टेंडर दिलवाने में भी वह मदद करता है, जिसके बदले उसे 2 प्रतिशत कमीशन मिलता है.  वेदप्रकाश वर्ष 1994 में डीओआईटी में राजस्थान सरकार में प्रोग्रामर के पद पर नियुक्त हुआ था और पदोन्नति के बाद से ज्वाइंट डायरेक्टर के पद तक कार्यरत रहा. वेदप्रकाश के घर की तलाशी लेने पर अवैध आय, प्रोपर्टी में किए गए निवेश, प्रोपर्टी, बैंक खाते और लॉकर आदि के बारे में जानकारी जुटाई जा रही हैं. 

वीडियो में आने के बाद भी नहीं बताया चाबी इसी के पास

वेदप्रकाश पुलिस को अलमारी के वापस ताला लगाकर, बैग ले जाता हुआ स्पष्ट रूप से दिखाई दिया. जिसके बाद पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर इससे चाबी के बारे में पूछवाया तो इसने अलमारी की चाबी उसके पास होने के बारे में अनभिज्ञता जाहिर कर दी. जबकि स्टोर इंचार्ज होने के नाते वेदप्रकाश का दायित्व था कि आलमारी अलॉट करने संबंधी रिकॉर्ड उसे संधारित करना चाहिए था. उसने रिकॉर्ड में भी यह नहीं बता रखा था कि चाबी किसके पास है. लेकिन विडियो में आलमारी खोलते और बंद कर धनराशि निकालते व रखते हुए दिखाई देने पर पुलिस ने आरोपी से सख्ती से पूछताछ की तो इसने बता दिया कि खजाना निकलने वाली चाबी उसके खुद के पास ही है और वहीं उस आलमारी को ऑपरेट करता है.

ACB ने वेद प्रकाश यादव से कुल 5 दिन पूछताछ की है सबसे पहले 3 दिन का रिमांड और फिर 2 दिन का रिमांड एसीबी को वेद प्रकाश यादव का मिला था इस दौरान यह भी बात सामने आई कि वेद प्रकाश यादव जांच अधिकारी को पूछताछ में मदद नहीं कर रहा है.ACB सूत्रों ने बताया कि पूछताछ के दौरान वेद प्रकाश सवालों के जवाब सही से नहीं दे रहा था. साथ ही जांच में सहयोग नहीं कर रहा था . उसने बार बार बयान भी बदले. DOIT के द्वारा पिछले 5 साल में जो भी खरीदारी हुई. सभी वेद प्रकाश की मौजूदगी और स्वीकृति में हुई थी. ऐसे में एसीबी उन कंपनियों की जानकारी वेद प्रकाश से मांग गई और जानकारी है कि वेद प्रकाश ने कोई जानकारी नहीं दी.

वहीं, वेद प्रकाश के आवास और घर से मिले मोबाइल, लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के भी पासवर्ड वेद प्रकाश के द्वारा एसीबी को नहीं दिए गए. इस पर सभी उपकरणों को एसीबी ने एफएसएल के पास भेजे हैं.आपको बता दें कि 19 मई की रात जयपुर में सचिवालय ठीक पास योजना भवन के बेसमेंट की बंद पड़ी अलमारी से 2.31 करोड़ रुपए से ज्यादा की नकदी और एक किलो सोना बरामद हुआ था. अलमारी में रखे ट्रॉली सूटकेस में 2000 और 500 के नोट थे. अलमारी से 2000 के 7,298 और 500 रुपए के 17, 107 नोट मिले थे. सोने की सिल्ली पर मेड इन स्विट्जरलैंड लिखा था. सोने की कीमत करीब 62 लाख बताई जा रही है.फिलहाल वेदप्रकाश यादव से ACB पूछताछ पूरी हो चुकी है और उसे कोर्ट ने जेल भेज दिया है. 

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