Jaipur News: वर्तमान समय में मोबाइल फोन, कम्प्यूटर, सोशल मीडिया एवं इन्टरनेट का बढ़ता उपयोग लोगों के लिए सहुलियत से जयादा सिरदर्द साबित हाे रहा है. तकनीकी का उपयोग बढ़ने के साथ ही साइबर क्राइम भी बढ़ने लगे हैं. अपराधी पलक झपकते ही बैंक खातों से राशि हड़प रहे हैं तो मोबाइल और ई मेल हैक कर लोगों को धोखा दे रहे हैं.
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Jaipur News: प्रदेश में बढ़ते साइबर अपराध को रोकने के लिए पुलिस और जनता दोनों ही 'हेल्पलेस' है. साइबर क्राइम कंट्रोल और पुलिस थानों में पीड़ितों की त्वरित सुनवाई तथा सहयोग के लिए साइबर हेल्पडेस्क स्थापित की जानी थी, जो अभी अधरझूल में लटकी हुई है.
वर्तमान समय में मोबाइल फोन, कम्प्यूटर, सोशल मीडिया एवं इन्टरनेट का बढ़ता उपयोग लोगों के लिए सहुलियत से जयादा सिरदर्द साबित हाे रहा है. तकनीकी का उपयोग बढ़ने के साथ ही साइबर क्राइम भी बढ़ने लगे हैं. अपराधी पलक झपकते ही बैंक खातों से राशि हड़प रहे हैं तो मोबाइल और ई मेल हैक कर लोगों को धोखा दे रहे हैं. मौके पर मौजूद हुए बिना अपराध करने वाले ठगों को पकड़ना पुलिस के सामने भी बड़ी चुनौती बनी...तो राजस्थान सरकार ने दो साल पहले प्रदेश में साइबर क्राइम और ठगों के खिलाफ जंग शुरू करने का ऐलान किया. राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी 33 जिलों में नए साइबर क्राइम थाने खोल दिए.
इन थानों में पीड़ितों की जल्द सुनवाई तथा सहयोग के लिए 34 साइबर हेल्प डेस्क की स्थापित करने की विधानसभा में इस साल बजट घोषणा की गई. साइबर हेल्प डेस्क से स्थानीय प्रशासन एवं विभिन्न एजेंसियों से सम्पर्क के लिए ठोस कार्य योजना बनाने का प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय से राज्य सरकार को भेजा गया. हेल्प डेस्क के लिए कर्मचारियों और संसाधनों की जरूरत बताई गई.
मुख्य बिंदु
- प्रत्येक साइबर हेल्प डेस्क के लिए तीन पुलिस कांस्टेबल का स्टाफ प्रस्तावित बताया गया
- कार्यालय उपयोग तथा विशेषज्ञ सेवाओं के लिए स्टाफ, फर्नीचर व अन्य संसाधन
- स्टाफ और संसाधनों पर 8 करोड़ 85 लाख रुपए का खर्च बताया गया
- पिछले सालों में साइबर ठगों ने हजारों लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी की गई
- लोगों के पसीने की गाढ़ी कमाई साइबर ठग पलक झपकते ही पार कर रहे हैं
- पहले एक मात्र जयपुर में ही साइबर थाना खाेला गया, बाद में सभी 33 राजस्व जिलों में थाने खोले गए.
- वहीं केंद्र के निर्देश पर सातों रेंज पर साइबर क्राइम यूनिट खाेली गई
- राज्य सरकार ने प्रत्येक पुलिस थाने के लिए डीएसपी-इंस्पेक्टर के एक एक पद, एसआई के तीन, हैड कास्टेबल के दो, कांस्टेबल के छह, प्रोग्रामर व सूचना सहायक के एक एक पद सहित 15 पद स्वीकृत किए थे.
- इधर साइबर हेल्प डेस्क के प्रस्ताव राज्य सरकार के पास पहुंचे तो वित्त विभाग ने वर्तमान थानों की नफरी से ही हेल्प डेस्क के लिए कांस्टेबल और अन्य स्टापॅ लेने की सलाह दी है.
ऐसे में यह मामला फिलहाल अटकता हुआ ही दिखाई दे रहा है.