Jaipur News: राजस्थान में गिव अप अभियान अब महज़ सरकारी मुहिम नहीं, बल्कि सामाजिक जागृति की मिसाल बन गया है. खाद्य सुरक्षा की सूची में चल रही अपात्रता की सफाई के अभियान ने राज्य की तस्वीर बदल दी है. 37.62 लाख लोगों ने स्वेच्छा से खाद्य सुरक्षा का लाभ छोड़ दिया है, ताकि असल हकदार को उसका अधिकार मिल सके. नतीजा अब तक 65.25 लाख नए पात्र परिवार खाद्य सुरक्षा से जुड़ चुके हैं.
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Jaipur News: खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के गिव अप अभियान में सक्षम लोगों का त्याग गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थी बनने के द्वार खोल रहा है. प्रदेश में 37 लाख से अधिक लोगों ने खाद्य सुरक्षा योजन से गिव अप किया है. साथ ही प्रदेश में 65 लाख से अधिक नए पात्र गरीब योजना से जोड़े गए है. वास्तविक हकदारों तक लाभ पहुंचाने के लिए प्रदेशभर में गिव अप अभियान चलाया जा रहा हैं.
राजस्थान में गिव अप अभियान अब महज़ सरकारी मुहिम नहीं, बल्कि सामाजिक जागृति की मिसाल बन गया है. खाद्य सुरक्षा की सूची में चल रही अपात्रता की सफाई के अभियान ने राज्य की तस्वीर बदल दी है. 37.62 लाख लोगों ने स्वेच्छा से खाद्य सुरक्षा का लाभ छोड़ दिया है, ताकि असल हकदार को उसका अधिकार मिल सके. नतीजा अब तक 65.25 लाख नए पात्र परिवार खाद्य सुरक्षा से जुड़ चुके हैं.
गरीब का हक छीनना अपराध
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने बताया की “गिव अप” से न केवल अपात्रों ने आत्मनियंत्रण दिखाया, बल्कि समाज में यह संदेश भी गया कि गरीब का हक छीनना अपराध है, लौटाना पुण्य है. राज्य में 26 जनवरी को जब खाद्य सुरक्षा पोर्टल फिर से शुरू हुआ, तब से अब तक लाखों वंचित परिवारों को न सिर्फ सस्ती राशन सामग्री, बल्कि रसोई गैस सब्सिडी, दुर्घटना बीमा और मुफ्त इलाज जैसी योजनाओं का लाभ मिला है. राजधानी जयपुर में 2 लाख 60 हजार से अधिक संपन्न लोगों ने अपनी पात्रता छोड़ी है. इनकी जगह अब 2 लाख 80 हजार 670 नए पात्र परिवारों को सूची में जोड़ा गया है.
लाभार्थियों की पात्रता की मॉनिटरिंग हो रही
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने साफ किया है कि 31 अक्टूबर तक स्वेच्छा से गिव अप नहीं करने वाले अपात्र लाभार्थियों से 1 नवम्बर से वसूली शुरू की जाएगी. विभाग पात्रता का सत्यापन-जांच डोर टू डोर कर रहा है. साथ ही नए जुड़े लाभार्थियों की पात्रता की मॉनिटरिंग हो रही है. अपात्र लोगों की सूची बनाकर सार्वजनिक स्थानों, पंचायत समितियों, नगर पालिकाओं, कलक्ट्रेट, रसद कार्यालय में चस्पा की जाएगी. गिव अप के साथ सरकार ने पात्र लोगों के लिए नाम जोड़ने की प्रक्रिया भी आसान कर दी है.
खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अपात्र होंगे
अब कोई भी पात्र व्यक्ति खाद्य विभाग के पोर्टल पर या नजदीकी ई-मित्र से आवेदन कर सकता है. जांच के बाद नाम सूची में जुड़ जाएगा. ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर जांच दल बनाए गए हैं. जिला कलेक्टर को भी लाभार्थी जोड़ने का अधिकार मिला है. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार ऐसे परिवार, जिनका कोई भी एक सदस्य सरकारी, अर्द्धसरकारी, स्वायत्तशासी संस्थाओं में नियमित कर्मचारी-अधिकारी हो अथवा एक लाख रूपये वार्षिक से अधिक पेंशन प्राप्त करता है, जिस परिवार का कोई भी एक सदस्य आयकरदाता हो. ऐसे परिवार जिनके किसी भी एक सदस्य के पास चौपहिया वाहन हो (ट्रेक्टर एवं एक वाणिज्यिक वाहन को छोड़कर), खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अपात्र होंगे. साथ ही ऐसे परिवार, जिनके सभी सदस्यों की कुल आय एक लाख रुपए वार्षिक से अधिक हो खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अपात्र होंगे.
बहरहाल, राजस्थान में गिव अप अभियान ने एक नई सामाजिक सोच को जन्म दिया है, जहां संपन्न लोग खुद आगे आकर गरीब का हक लौटा रहे हैं. इस पहल ने न केवल खाद्य सुरक्षा योजना व्यवस्था को शुद्ध किया है, बल्कि साझेदारी से सेवा का नया मॉडल भी पेश किया है. अब यह केवल सरकारी योजना नहीं, बल्कि संवेदना, समानुभूति और सामाजिक जिम्मेदारी का आंदोलन बन चुका है. देखना होगा कि 31 अक्टूबर तक और कितने सक्षम लोग आगे आकर इस अभियान को और ताकत देते हैं.
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