जयपुर: जल जीवन मिशन में गणपति और श्री श्याम ट्यूबवेल फर्म के 900 करोड़ के टैंडर में अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी है. सूत्रों की माने तो इरकॉन ने 7 अप्रैल का प्रमाण पत्र फर्जी माना है.


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इरकॉन का रिप्लाई,फर्जी है प्रमाण पत्र


गणपति और श्रीश्याम ट्यूबवेल्स के 900 करोड़ के प्रोजेक्ट्स पर रोक के बीच दोनों फर्म के अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए.सूत्रों के हवाले से ये खबर आई है कि पीएचईडी की उच्च स्तरीय जांच कमेटी के सवालों पर इरकॉन ने जवाब दिया.अपने रिप्लाई में केंद्र सरकार की उपक्रम कंपनी इरकॉन ने कहा है कि 7 अप्रैल को गणपति और श्रीश्याम ट्यूबवेल का प्रमाण पत्र फर्जी है.



जलदाय विभाग को इरकॉन के चीफ विजिलेंस ऑफिसर ने ये भी कहा है कि प्रमाण पत्र जारी करने वाले विजय शंकर हमारे एम्लाई ही नहीं.यानि इरकॉन के मुताबिक गणपति और श्याम ट्यूबवेल ने जो अनुभव प्रमाण पत्र लिया है,वो फर्जी है.अब जलदाय विभाग की जांच कमेटी इरकॉन का बयान दर्ज करने दिल्ली या केरल जा सकती है.


फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए गए थे एक्सईएन


गणपति और श्री श्याम ट्यूबवेल्स फर्म पर लगे आरोपों के बाद विवादों के बीच जलदाय विभाग ने दोनो फर्म के कार्यों और इनके पैमेंट पर भी रोक लगा दी.पहले हुई शिकायत के बाद जलदाय विभाग ने शाहपुरा एक्सईएन विशाल सक्सेना को फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए इरकॉन कंपनी के दफ्तर केरल भेजा था,जहां इरकॉन ने गणपति के कार्यों के लिए प्रमाण जारी किए थे.


यहां-यहां थे गणपति के प्रोजेक्ट


जगतपुरा में 81.80 करोड़,सवाईमाधोपुर में 16.85 करोड़,नीमकाथाना में 23.87 करोड़ और 23.81 करोड़, खो नागोरियान प्रोजेक्ट 53.28 करोड़,शाहपुरा में 6.19 करोडनागौर में 93.15 करोड़ और 85.77 करोड़ के प्रोजेक्ट्स रोके.


सीकर में 14.65 करोड़,अजीतगढ़-श्रीमाधोपुर में 21.38 करोड़,खंडेला के 23.81 करोड़ के कार्यों पर पीएचईडी ने रोक लगा दी है.पूरे मामले की जांच उपसचिव गोपाल सिंह की अध्यक्षता कमेटी बनााई थी.अब ऐसे में देखना होगा कि जांच कमेटी कब रिपोर्ट सौंपेगी?


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