Jaipur: बेटियों की जिद ने पुष्पा कंवर को उतरा राजनीति मैदान में, बालिका शिक्षा पर होगा फोकस
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Jaipur: बेटियों की जिद ने पुष्पा कंवर को उतरा राजनीति मैदान में, बालिका शिक्षा पर होगा फोकस

Jaipur News: राजवीर सिंह के दादा और पिता ने भी विभिन्न राजनीतिक पदों के जरिए गांव के विकास में अहम योगदान दिया है. 

बालिका शिक्षा पर होगा फोकस.

Jaipur: पुष्पा कंवर पोकरण के बामणी ग्राम पंचायत (Bamani Gram Panchayat) और ढूंढू ग्राम पंचायत (Khundu Gram Panchayat) के पंचायत समिति सदस्य के पद पर निर्विरोध निर्वाचित हुई है. जयपुर के माणक चौक थाने के एसीपी राजवीर सिंह (Rajveer Singh) की धर्मपत्नी पुष्पा कंवर (Pushpa Kanwar) ने अभी तक बतौर ग्रहणी अपना जीवन व्यतीत किया है लेकिन उनकी दोनों बेटियों वंशिका और अंशिका की प्रबल इच्छा थी कि उनकी मां आगे आकर राजनीतिक पद के माध्यम से समाज की सेवा करें. 

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वहीं, दोनों बेटियों ने ना केवल मां को चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया बल्कि अपने पैतृक गांव में लोगों के सहयोग और मार्गदर्शन से मां का निर्विरोध निर्वाचन भी करवा दिया. दरअसल एसीपी राजवीर सिंह के परिवार में राजनीतिक परंपरा रही है. पुलिस की नौकरी के चलते राजवीर सिंह अपने परिवार की परंपरा का निर्वहन नहीं कर पाए थे लेकिन उनकी दोनों बेटियों की इच्छा थी कि परिवार से कोई राजनीति में जाए. 

बता दें कि राजवीर सिंह के दादा और पिता ने भी विभिन्न राजनीतिक पदों के जरिए गांव के विकास में अहम योगदान दिया है. एसीपी राजवीर सिंह ने बताया कि 'मेरे दादा ठाकुर बलवंत सिंह (Balwant Singh) गांव के प्रथम सरपंच पद पर निर्विरोध निर्वाचित हुए थे. उसके बाद मेरे पिता एडवोकेट रतन सिंह (Advocate Ratan Singh) पोकरण में वकालत करते थे. मेरे ननिहाल दांथल जालोड़ा से लगातार निर्विरोध सरपंच चुने जाते रहे है. साथ हीं, वह पोकरण साकड़ा पंचायत समिति में उप प्रधान भी रहे है. वर्तमान में मेरे काका इंदर के पुत्र राजेंद्र सिंह गांव में सरपंच है.'

वहीं, उन्होंने कहा कि 'यही वजह है कि बेटियों की जीत और ग्रामीणों की इच्छा के चलते फलोदी पंचायत समिति में पंचायत समिति सदस्य के तौर पर पत्नी पुष्पा कंवर का निर्विरोध निर्वाचन हुआ है. मैं पूरी उम्मीद करता हूं कि पुष्पा कंवर अपनी फिराक परिवार की विरासत को बेहतर तरीके से आगे बढ़ाएगी.'

दरअसल पुष्पा कंवर का राजनीति में जाने का मन नहीं था. चुनाव से पहले जब घर में चर्चा चली तो दोनों बेटियों अंशिका और वंशिका ने मां को मनाने में अहम भूमिका अदा की. बड़ी बेटी वंशिका राठौड़ दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) से विधि स्नातक कर रही है. छोटी बेटी अंशिका राठौड़ अंग्रेजी साहित्य ऑनर से स्नातक (Bachelor of Literature Honors) है. 

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साथ हीं, दोनों बेटियों ने ही तय किया कि मां को अब घर से बाहर निकल कर समाज सेवा करनी चाहिए. अंशिका और वंशिका का कहना है कि उनकी मां ने एक बेहतर अभिभावक के तौर पर हमेशा उनका साथ दिया है. दोनों बेटियों के पालन पोषण और उनकी उच्च शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास किए हैं. लिहाजा अब गांव के विकास के साथ-साथ बालिका शिक्षा पर उनकी मां का विशेष फोकस रहेगा.

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